* केंद्र की नीति से उत्पादकों का नुकसान
अमरावती / दि.17– संभाग में कपास के बाद सर्वाधिक रकबा वाले सोयाबीन के उत्पादक किसानों को मार्केट में सरकार द्बारा घोषित समर्थन मूल्य जरूर मिल रहा है. लेकिन भाव बढने की संभावना क्षीण होने से किसान थोडे बहुत निराश है. क्योंकि अपेक्षित भाव नहीं मिलने से उनका खेतीबाडी में नुकसान हो रहा है. कुछ अंशों में केंद्र सरकार की नीति को भी सोयाबीन को अपेक्षित रेट नहीं मिल पाने का दोष दिया जा रहा है. सरकार ने तेलों के दाम काबू में रखने आयात बढा रखा है. इस बीच स्थानीय फसल मंडी में आवक जारी है. आज भी 7 हजार बोरे सोयाबीन आवक रहने की जानकारी मंडी समिति ने दी.
* सरकारी खरीदी उपेक्षित
गत तीन माह की तुलना में सोयाबीन को प्रति क्विंटल केवल 60-100 रूपए अधिक दाम मिल रहा है. नया वर्ष शुरू होते ही थोडा और इजाफा हुआ. फिर भी किसानों ने सरकारी खरीदी से मुंह मोड रखा है. सरकार 4600 रूपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य घोषित कर रखा है. यहां मार्केट में लगभग इसी दाम पर सोयाबीन खरीदा जा रहा है.
* बारिश की रूखाई से पैदावार कम
क्षेत्र में बारिश के असमतोल ने पैदावार पर व्यापक असर किया. जुलाई में जहां अतिवृष्टि हो गई वही अगस्त में बारिश ने मुंह फेर रखा था. जानकारों का कहना है कि इससे सोयाबीन का काफी नुकसान हुआ. प्रति हेक्टेयर औसत पर भी प्रभाव पडा. उत्पादन बेहद कम होने से पहले ही घाटे में चल रहे किसान का संकट अपेक्षित भाव नहीं मिलने से बढ गया.
* केंद्र की नीति को दोष
अक्तूबर से सोयाबीन की मंडी में आवक जारी है. गत तीन माह में 7 लाख 28 हजार क्विंटल से अधिक आवक हो रही है. अभी भी रोज 6-7 हजार बोरे सोयाबीन आ रहा है. केंद्र सरकार ने तेल के दाम नियंत्रण में रखने आयात बढा रखा है. इस वजह से तेल कारखाने सोयाबीन को अपेक्षित रेट नहीं दे रहे.