सुहगिनें पति की लंबी आयु के लिए रखेगी वट सावित्री का व्रत
6 जून को वटवृक्ष पूजा का पर्व

अमरावती/दि.5– वट सावित्री व्रत का महत्व अधिक बढ जाता है. जब हर सुहागिन महिला अपने सुहाग की रक्षा के लिए ईश्वर से कामना करती है. पति की लंबी आयु की दुआ करने के साथ साथ वह उसकी तरक्की के लिए कई उपवास भी रखती है. यह उपवास हर सुहागिन महिला के लिए खास होता है. वट सावित्री व्रत के दिन सुहागने पूरे विधि विधान से पूजा करती है. इस दौरान कुछ महिलाएं निर्जला उपवास भी रखती है. इस दिन वटवृक्ष की पूजा का खास महत्व है. माना जाता है है कि इस वृक्ष की पूजा के बिना व्रत पूरा नहीं होता. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनोें देवों का वास होता है. इसलिए व्रत रखनेवाली महिलाओं को तीनों देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यह उपवास ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या की तिथि को रखा जाता है. इस साल वट सावित्री व्रत गुरूवार, 6 जून को है. इस तिथि पर उत्तर भारतीय समुदाय को महिलाएं व्रत रखती है. जबकि महाराष्ट्रीयन समाज की महिलाएं ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि शुक्रवार 21 जून को वट सावित्री पूजन करेगी. इसे वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दौरान सत्यवान और सावित्री की कथा सुने बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि वट सावित्री व्रत करने से पति की आयु लंबी होती है और परिवार में भी सुख समृध्दि बनी रहती है. यही नहीं अखंड सौभाग्यवती भव का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि इस दिन से जुडी पौराणिक कथा प्रचलित है.
* यमराज से छुडाकर पति को वापस लायी थी सावित्री
एक दिन सावित्री पति सत्यवान के साथ वन को गई. वन में सत्यवान लकडी काटने के लिए जैसे ही पेड पर चढने लगा उसके सिर में असहनीय पीडा होने लगी. कुछ देर वह सावित्री की गोद में सिर रखकर लेट गया. कुछ ही समय में उनके समक्ष अनेक दूतों के साथ स्वयं यमराज खडे हुए थे. यमराज सत्यवान की आत्मा को लेकर दक्षिण दिशा की ओर चलने लगे. पतिव्रता सावित्री भी उनके पीछे चलने लगी. यमराज से कहा जहां तक मेरे पति जायेंगे. वहां तक मुझे जाना चाहिए. यही सनातन सत्य है. यमराज सावित्री की वाणी से प्रसन्न हुए और उनसे तीन वर मांगने को कहा. सावित्री ने मांगा मेरे सास-ससुर अंधे है. उन्हें नेत्र ज्योति दें. मेरा ससुर का खोया हुआ राज्य उन्हें वापस मिल जाए और मैं पति सत्यवान के 100 पुत्रों की मां बनना चाहती हूं. पति भक्ति से प्रसन्न होकर यमराज ने अंतिम वरदान देते हुए सत्यवान की जीवात्मा को पाश से मुक्त कर दिया. नीचे पडे सत्यवान के मृत शरीर में जीव का संचार हो रहा है. तब से सावित्री ने वट पूजन आरंभ कर दिया. कुछ देर में सत्यवान उठकर बैठ गया. उधर सत्यवान के माता-पिता की आंखे भी ठीक हो गई और उनका खोया हुआ राज्य भी वापस मिल गया.