अमरावती/ दि.3 – मंगल ग्रह आगामी 8 दिसंबर को सूर्य के सामने आयेगा. मंगल ग्रह के बारे में समाज में कुछ अंधश्रद्धा है. मगर यह एक खगोलिय घटना है. उस दिन साधे आँखों से इस ग्रह को देखा जा सकता है और लाल रंग होने के कारण आसानी से पहचाना जा सकता है.
खगोल शास्त्र में इस घटना को प्रतियुति कहते है. पृथ्वी व मंगल की दूरी कम होने के कारण इस ग्रह का खगोल अभ्यासक अच्छे तरह से अभ्यास कर सकते है. पृथ्वी व मंगल ग्रह की दूरी सामान्य तौर पर 13 करोड 68 लाख 67 हलार 650 किलोमीटर है. मगर प्रतियुति के दौरान यह दूरी सामान्य से कम हो जाती है. 26 माह में सूर्य-मंगल की प्रतियुति होती हेै. कर्मकांड के पीछे न लगते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोन रखकर इस विलोभनीय घटना का निरीक्षण कर आनंद लेने का आह्वान मराठी विज्ञान परिषद के विभागीय अध्यक्ष प्रवीण गुल्हाने व हौशी खगोल अभ्यासक विजय गिरुलकर ने किया है.
मंगल ग्रह लाल रंग का क्यों?
मंगल ग्रह पर आयरन ऑक्साइड की मात्रा अधिक होने के कारण वह हमेशा लाल दिखता है. इस ग्रह के दो चंद्र है. मंगल ग्रह का व्यास 6795 किलोमीटर है. इस ग्रह को सूर्य के इर्दगीर्द चक्कर मारने में 687 दिन लगते है. 20 जुलाई व 3 सितंबर 1976 को वायकिंग-1 व 2 जुलाई को मानव रहित यान ने मंगल ग्रह की मिट्टी को पहली बार स्पर्श किया. इस यान ने लगभग 11 माह की यात्रा की थी.