अमरावतीमहाराष्ट्र

‘उजडे गांव का मारुती’ गत वैभव का गवाह

मौजा है लेकिन गांव नहीं, गांव की पहचान के रुप में हनुमानजी की प्रतिमा वर्षो से वैसी ही

* चांदुर बाजार तहसील में 39 गांव उजडे
चांदुर बाजार/दि.23– अनेक गांव विभिन्न आपदा में किसी कारण से उजड गए. इन उजडे गांव का अस्तित्व समाप्त हुआ रहा तो भी इस गांव की हनुमानजी की प्रतिमा ने पहचान आज भी कायम रखी है. इसी कारण ‘उजडे गांव का मारुती’ आज भी गत वैभव का एकमात्र गवाह के रुप में खडा है.

चांदुर बाजार तहसील में वर्तमान में मौजा रहे 39 गांव उजडे है. इस गांव से राजस्व भी वसूल किया जाता है. लेकिन गांव गवाह के रुप में एक रुपया भी इस मारुती पर खर्च नहीं किया जाता. फिर भी इस उजडे गांव में जिनकी खेती है वे किसान इस उजडे गांव के देवता की पूजा-अर्चना कर उसका अस्तित्व कायम रख रहे है. इस कारण गांव उजडने को सैंकडो वर्ष हुए रहे तो भी इस गांव में हनुमानजी की प्रतिमा का अस्तित्व कायम है. इसी कारण आज के वैज्ञानिक युग में उजडे गांव का देवता मारुती, गांव का गत वैभव कहने के लिए अभी भी खडा है.

* सुख-दुख के साथ ही पवनपुत्र हनुमान
गांव बसाने की प्रक्रिया को हजारो वर्षो का इतिहास है. उस समय पांढरी पर खेती और रोजगार की आवश्यकता के कारण हजारो गांव बसे. उस समय गांव बसने की प्रक्रिया में पहले गांव के रक्षक के रुप में हनुमानजी की प्राणप्रतिष्ठा की जाती थी. उसके बाद ही गांव का निर्माण किया जाता था. इस कारण गांव के मारुती यह गांव के सभी नागरिको, अनेक पिढीयों के सुख-दुख के साथी रहते थे. इस कारण उजडे गांव के नागरिको को मारुतीनंदन अपनेही लगते थे. आज के वैज्ञानिक युग में अस्तित्व में रहे गांव में भी मारुती का परिसर राजनीतिक नहीं बल्कि पारिवारिक, सुख-दुख के लेने-देन के लिए गांव के नागरिकों को अपना लगता है.

* पिढीयां भी बदली और वैभव भी गया
गांव-कस्बो के बाद इतिहास में अनेक पिढीयां आई और अनेक साम्राज्य बदले. परिवर्तन भी हुआ और राजा भी बदला. स्वाधिनता मिलने के बाद राजस्व विभाग ने मौजा के रुप में गांव दर्ज हुए. छत्रपति शिवाजी महाराज के कार्यकाल से इस उजडे गांव का रिकॉर्ड प्रशासन विभाग में है. वह रिकॉर्ड आज भी कायम है. उजडे गांव का अस्तित्व नहीं है, लेकिन शासन के पास उसका मौजा आज भी कायम है. मौजा में सैंकडो एकर खेती आज भी है. लेकिन वहां गांव और गांव के नागरिक उतने नहीं है. लेकिन उन उजडे गांव की पहचान के रुप में गांव के देवता मारुतीनंदन सैंकडो साल से बिना छत के खुले में बैठे है. यहां कभी तो भी सुख वैभव संपन्न गांव था. इसकी याद इस मारुतीनंदन के पास आनेवालो को ताजा कर देती है.

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