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यूनियन बैंक घोटाले में चपरासी निकला मास्टरमाइंड

बैंक के पूर्व मैनेजर व असिस्टंट मैनेजर सहित दोस्त के साथ मिलकर किया घोटाला

* असली सोने की बजाय नकली सोने के आभूषण लाकर रखे गये लॉकरों में
* 1.21 करोड रूपयों के 2300 ग्राम सोने की जालसाजी
अमरावती/दि.21- स्थानीय राजापेठ परिसर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में ग्राहकों द्वारा गिरवी रखे गये सोने के असली आभूषणों को बदलकर उनके स्थान पर नकली सोने के आभूषण लाकर रखे जाने का मामला विगत माह उजागर हुआ था. जिससे अमरावती शहर व जिले सहित समूचे राज्य में हडकंप मच गया था. वहीं इस मामले की जांच करते हुए आर्थिक अपराध शाखा ने बैंक के पूर्व मैनेजर जतीन प्रेमचंद कुंद्रा व असिस्टेंट मैनेजर गौरव शिंदे सहित बैंक के चपरासी पवन अरूण पारेकर तथा पारेकर के दोस्त सतीश भोंडवे को गत रोज अपनी हिरासत में लिया है. जिन्हेें अदालत ने सात दिनोें तक पूछताछ हेतु पुलिस की कस्टडी में देते हुए पीसीआर में रखने का आदेश दिया है. पुलिस द्वारा अब तक की गई जांच और पूछताछ में पता चला है कि, इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड बैंक का चपरासी पवन पारेकर ही था. जिसने बैंक के पूर्व मैनेजर व असिस्टेंट मैनेजर सहित अपने दोस्त के साथ मिलकर बडे सुनियोजीत तरीके से इस घोटाले को अंजाम दिया और करीब 1 करोड 21 लाख रूपये मूल्य के 2300 ग्राम असली सोने के आभूषण को बैंक के लॉकरों से उडाते हुए लॉकरों में नकली सोने के आभूषण लाकर रखे. यह असली सोना बैंक के 37 खाताधारकों द्वारा बैंक से कर्ज लेते समय गिरवी के तौर पर रखा गया था. इसके अलावा इन आरोपियों ने 22 खाताधारकों के नाम पर खुद ही फर्जी तरीके से दस्तावेज पेश करते हुए गोल्ड लोन की केस बनायी और नकली सोना गिरवी रखते हुए करीब 71 से 72 लाख रूपये का कर्ज हासिल किया. ऐसे में इन चारों आरोपियों ने बैंक के 37 खाताधारकों को चुना लगाने के साथ-साथ खुद अपनी ही बैंक के साथ भी फर्जीवाडा किया. ऐसे में इस बैंक से गोल्ड लोन प्राप्त करनेवाले सभी खातधारकों में इस समय अच्छा-खासा हडकंप मचा हुआ है और आर्थिक अपराध शाखा पुलिस ने बैंक के सभी गोल्ड लोन कर्जधारकों से आगे आकर अपनी शिकायतें दर्ज कराने का आवाहन भी किया है.

* नकली सोने के हुबहू गहने कहां से बनकर आये
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, गोल्ड लोन प्राप्त करते समय कर्ज धारकों द्वारा असली सोने से बने जिस तरह के गहने बैंक के पास गिरवी रखे गये थे, उसी तरह के नकली सोने से बने गहने इस समय बैंक के लॉकरों से बरामद हुए है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, आखिर इस घोटाले में लिप्त बैंक के चारों अधिकारियों व कर्मचारियों ने असली गहनों की तरह हुबहू दिखाई देनेवाले नकली सोने के गहने कहां से और कैसे बनवाकर लाये. जाहीर सी बात है कि, इसमें किसी सुवर्णकार की संलिप्तता शामिल है. इस बात के मद्देनजर अब आर्थिक अपराध शाखा द्वारा शहर के कुछ सराफा व्यवसायियों को अपने निशाने पर लिया गया है. जिन्हें बहुत जल्द पूछताछ के लिए उठाया जायेगा. इसके साथ ही आर्थिक अपराध शाखा पुलिस अब चारों आरोपियों द्वारा बैंक के लॉकरों से उडाये गये असली सोने के आभूषणों को भी बरामद करने का प्रयास किया जायेगा. जिसे लेकर पता चला है कि, इन चारों ने उक्त असली सोने को शहर के कुछ सराफा व्यवसायियों के पास ले जाकर गिरवी रखते हुए उसकी ऐवज में रकम हासिल की थी. इसके अलावा 22 फर्जी खाताधारकों के नाम पर नकली सोना गिरवी रखते हुए उठाये गये कर्ज की राशि को भी आरोपियों से वसूल करने का प्रयास किया जायेगा.

* बैंक की तिजोरी से निकाला जाता था सोना
पता चला है कि, यूनियन बैंक की राजापेठ शाखा में जिन 33 खाताधारकों ने अपने असली सोने के आभूषण गिरवी रखते थे, उनके आभूषणोें को बैंक के पैनल पर रहनेवाले सराफा सर्वेयर द्वारा प्रमाणित करने के बाद ही सिलबंद पैकेट में बंद करते हुए बैंक की तिजोरी में रखा गया था. जिसे बैंक के चपरासी पवन पारेकर ने बैंक के तत्कालीन मैनेजर जतीन कुंद्रा व असिस्टेंट मैनेजर गौरव शिंदे के साथ मिलीभगत करते हुए धीरे-धीरे बैंक की तिजोरी से निकालकर अपने परिचय में रहनेवाले सराफा व्यवसायी के पास पहुंचाना शुरू किया. इस काम में चपरासी पवन पारेकर का मित्र सतीश धोंडवे भी शामिल था. पश्चात असली स्वर्णाभूषणों की तरह दिखाई देनेवाले नकली सोने के आभूषण बनवाकर उन्हें तिजोरी में लाकर रखा गया. ऐसे में अब आर्थिक अपराध शाखा पुलिस द्वारा पूरे मामले की सघन तरीके से जांच करने के साथ ही बैंक के डीवीआर को जप्त करते हुए विगत तीन वर्षों के सीसीटीवी फुटेज को खंगाला जायेगा. ताकि इस दौरान बैंक में कब और किसका आना-जाना रहा, इस बात का पता लगाया जा सके.

* ऐसे हुआ था मामले का खुलासा
बता दें कि, आंचल विहार कालोनी निवासी उज्वल मलसने नामक खाताधारक द्वारा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की राजापेठ शाखा में अपने 100 ग्राम सोने के आभूषण गिरवी रखते हुए 3 लाख 30 हजार रूपये का कर्ज लिया गया था और कर्ज की अदायगी पश्चात जब उसे बैंक द्वारा उसका सोना लौटाया गया, तो उज्वल मलसने ने यह सोना नकली रहने का आरोप लगाया. साथ ही इसकी शिकायत राजापेठ पुलिस थाने में दर्ज करायी. इसके पश्चात ऐसी करीब एक-दो शिकायतें और भी सामने आयी. जिसके चलते राजापेठ पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तथा बैेंक से पूरे मामले को लेकर विस्तृत जवाब भी मांगा गया. पश्चात जैसे ही पता चला कि, यह घोटाला एक से डेढ करोड रूपये के आसपास का है, तो मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दी गई.

* पहले बैंक ने की थी नानुकूर, ऑडिट रिपोर्ट देने में भी हुई थी टालमटोल
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत 20 अगस्त को जब यह मामला उजागर हुआ था, तो एक के बाद एक सामने आती शिकायतों के बावजूद बैंक के प्रबंधन ने खुद पर लग रहे सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया था और बैंक में पूरा कामकाज ‘ऑलवेल’ रहने की बात कही थी. वहीं जब आर्थिक अपराध शाखा पुलिस ने बैंक से इस मामले को लेकर ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी, तो यह रिपोर्ट देने में भी बैंक के प्रबंधन ने काफी टालमटोल की थी, क्योंकि इस रिपोर्ट से यह पूरी तरह स्पष्ट होनेवाला था कि, असली सोने को नकली सोने के साथ बदलने की यह गडबडी आखिर कब और किस मैनेजर के कार्यकाल में हुई थी. ऐसे में बैैंक द्वारा ऑडिट रिपोर्ट देना कुछ हद तक टाला जा रहा था. लेकिन जब अपराध शाखा पुलिस ने कुछ सख्त रवैय्या अपनाया, तो बैंक प्रबंधन ने मजबूर होकर अपनी ऑडिट रिपोर्ट पुलिस को सौंपी. जिसके आधार पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चार आरोपियों को अपनी हिरासत में लिया है.

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