अमरावती-दि.13 जारी वर्ष में बारिश के मौसम दौरान जून माह में मौसम पूरी तरह से खुला व सूखा रहा और 5 जुलाई से बारिश शुरू हुई, जो अब तक रूक-रूक कर चल रही है. इस दौरान जिले के 80 राजस्व मंडलों में अतिवृष्टि दर्ज की गई है. वही कुछ राजस्व मंडलों में दो से तीन बार अतिवृष्टि होने के चलते फसलों की बडे पैमाने पर बर्बादी हुई है.
जिले में 1 जून से 12 सितंबर की कालावधि के दौरान 671 मिमी औसत बारिश होने की अपेक्षा रहती है. जिसकी ऐवज में इस बार 805 मिमी बारिश हुई है. यह औसत की तुलना में 120 फीसद है. वही सितंबर माह में अपेक्षित औसत की तुलना में 240 फीसद पानी बरसा है. जिले में इस समय तक सर्वाधिक 1224 मिमी बारिश चिखलदरा में और सबसे कम 548 मिमी बारिश दर्यापुर तहसील में हुई है. इसके अलावा धारणी ूमें 824 मिमी, अमरावती में 727 मिमी, नांदगांव खंडेश्वर में 880 मिमी, चांदूर रेल्वे में 867 मिमी, तिवसा में 995 मिमी, मोर्शी में 846 मिमी, वरूड में 1114 मिमी, भातकुली में 564 मिमी, अंजनगांव सुर्जी में 658 मिमी, अचलपुर में 692 मिमी, चांदूर बाजार में 892 मिमी तथा धामणगांव रेल्वे तहसील क्षेत्र में 1017 मिमी पानी बरस चुका है.
* किस माह में कितनी बारिश
– अपेक्षित बारिश (मिमी)
जून – 146
जुलाई – 277
अगस्त – 175
– प्रत्यक्ष बारिश (मिमी)
अगस्त – 185
जुलाई – 389
जून – 95
* सितंबर में होगी औसत से अधिक बारिश
मौसम विभाग ने 14 सितंबर तक चहुंओर झमाझम बारिश होने की संभावना जताई है. वहीं 20 से 22 सितंबर तक हलके व मध्यम स्तर की बारिश होने की उम्मीदें है. ऐसे में जुलाई माह के दौरान अपेक्षा की तुलना में कहीं अधिक बारिश हो सकती है.
* पानी की चिंता मिटी
प्रतिवर्ष गरमी के मौसम दौरान जिले के 200 से अधिक गांवोें में मार्च माह से ही पानी की किल्लत दिखाई देने लगती है. किंतु इस वर्ष लगातार हो रही बारिश की वजह से भूगर्भिय जल का पुनर्भरण अच्छे तरीके से हुआ है. जिसके चलते इस बार जिले में गरमी के मौसम दौरान पानी की किल्लत महसूस नहीं होगी. हालांकि उंचे पहाडी क्षेत्रों में स्थित कुछ गांवों में मई माह के दौरान जलकिल्लत हो सकती है.
इस समय मान्सून की ट्रफ रेखा दक्षिण की ओर से मध्यप्रदेश व विदर्भ क्षेत्र से होकर गुजर रही है. साथ ही दक्षिण महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों के उपर चक्रावाती हवाएं चल रही है. इस स्थिति के चलते अगले दो से तीन दिनोें के दौरान अच्छी-खासी बारिश होने की संभावना बनी हुई है.
– प्रा. अनिल बंड
मौसम विशेषज्ञ