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अचानक नहीं बल्कि सुनियोजित ढंग से लापता हुआ मयूर झांबानी

क्रिकेट सट्टे में हार गया था 2 करोड 64 लाख रुपए

* बुकियों को रकम देने से बचने हेतु शातिर तरीके से हुआ अंडर ग्राउंड
* रकम न देना पडे इस हेतु अपनाई सोची समझी रणनीति
* इससे पहले भी झांबानी परिवार के एक सदस्य ने इसी नीति पर किया था अमल
अमरावती/दि.9 – शहर के फरशी स्टॉप पर पेट्रोल पंप व पुराना बायपास पर बगीया रेस्टारेंट चलाने वाले राजुमल झांबानी का बेटा मयूर झांबानी विगत 3 नवंबर को अचानक ही ट्रेन में बैठकर पुणे जाने के लिए निकला था. लेकिन वह पुणे पहुंचा ही नहीं और तब से लेकर अब तक उसका कोई अता-पता भी नहीं चल पाया है. ऐसे में झांबानी परिवार द्वारा दी गई शिकायत के चलते रेल्वे पुलिस द्वारा मयूर झांबानी की तलाश की जा रही है. परंतु अब जो बातें छन-छनकर सामने आ रही है, उनके मुताबिक मयूर झांबानी अचानक ही लापता नहीं हुआ, बल्कि उसने बेहद सोची-समझी रणनीति के तहत अपने आप को ‘अंडर ग्राउंड’ कर लिया है, ताकि उसे क्रिकेट सट्टा बुकियों को 2 करोड 64 लाख रुपए का ‘भरण’ न करना पडे. साथ ही इस तरह से लापता होकर क्रिकेट सट्टा बुकियों को पर रकम वसूल नहीं करने को लेकर दबाव बनाया जा सके.
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अपने ‘खानदानी असर’ के चलते मयूर झांबानी को भी सट्टा खेलने का जबर्दस्त शौक है तथा पेट्रोल पंप व होटल चलाने के साथ-साथ ब्याज बट्टे का भी धंधा करने वाला मयूर झांबानी क्रिकेट मैचों पर जमकर सट्टा खेलता है. पता यह भी चला है कि, विगत 1, 2 व 3 नवंबर को वर्ल्ड कप में खेली गई क्रिकेट मैचों पर मयूर झांबानी ने बडे-बडे दांव लगाए थे. लेकिन इस सट्टे में वह करीब 2 करोड 64 लाख रुपए की रकम हार गया. ऐसे में उसे यह डर सताने लगा कि, जिन बुकियों के पास उसने सट्टा लगाया था, अब वे उससे सट्टे पर लगाई गई रकम की वसूली हेतु उसके पीछे हाथ धोकर पड जाएंगे. जिससे पहली जान छूडाने और क्रिकेट सट्टा बुकियों को कानून व पुलिस का डर दिखाने के लिए मयूर झांबानी 3 नवंबर वाली रात बेहद सोची समझी रणनीति के तहत अमरावती से भाग निकला और ‘अंडर ग्राउंड’ हो गया.
उल्लेखनीय है कि, मयूर झांबानी विवाहित है और उसके परिवार में उसकी पत्नी व दो बच्चों के साथ ही पिता व अन्य सदस्य भी है. कंवर नगर की गली नं.2 में जहां पर मयूर झांबानी का परिवार रहता है, वहां आसपास के लोगों से प्रत्यक्ष मिलकर चर्चा करने और झांबानी परिवार की टोह लेने पर पता चला कि, झांबानी परिवार में सबकुछ पहले की तरह बेहद सामान्य है. अमूमन यदि किसी परिवार में कोई व्यक्ति, खास कर जान-जवान बेटा लापता या गुमशुदा हो जाता है, तो पूरा परिवार उसकी तलाश में दिन-रात एक करते हुए जमीन आसमान भी एक कर देता है. लेकिन झांबानी परिवार में सबकुछ पहले की तरह सामान्य और काफी हद तक ‘चीडीचुप’ दिखाई दे रहा है. जिसे देखते हुए सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि, शायद झांबानी परिवार को यह पता है कि, मयूर झांबानी इस वक्त कहां है तथा संभवत: किसी ना किसी जरिए मयूर झांबानी की अपने परिवार के संपर्क में है.
इस मामले में पहले यह दर्शाया गया कि, मयूर झांबानी अपना मोबाइल अपनी कार में ही छोड गया है. परंतु अब विश्वसनीय सूत्रों के जरिए यह जानकारी सामने आयी है कि, मयूर झांबानी के पास एक और मोबाइल हैंडसेट व सिमकार्ड है. मयूर झांबानी ने हमेशा प्रयोग में रहने वाले अपने स्मार्ट फोन वाले मोबाइल हैंडसेट को तो अपनी कार में छोड दिया था. लेकिन जब उसके मंगेश शादी नामक दोस्त ने बडनेरा स्टेशन पर ले जाकर ड्राप किया था. तब मयूर के पास अच्छे खासे पैसे और कपडे लत्ते रहने के साथ ही एक साधा व छोटा मोबाइल हैंडसेट भी था. शायद अपने उसी मोबाइल के जरिए मयूर झांबानी अपने परिवार के साथ संपर्क में जुडा हुआ है और मयूर का उक्त मोबाइल नंबर शायद उसके परिवार को ही पता है. जिसकी जानकारी किसी अन्य व्यक्ति को नहीं है.

* मयूर का चचेरा भाई मनीष भी ऐसे ही भागा था
विशेष उल्लेखनीय है कि, मयूर झांबानी 3 व 4 नवंबर वाली रात 3.45 बजे पुणे जाने वाली नागपुर-पुणे ट्रेन में बैठकर पुणे के लिए बडनेरा स्टेशन से रवाना हुआ था. इस टे्रन को अगले 12 घंटे बाद पुणे पहुंचना था. यानि 4 नवंबर की दोपहर 4 बजे के आसपास मयूर ने पुणे पहुंचना था. परंतु वह पुणे पहुंचा ही नहीं. इधर 4 से साढे चार बजे के दौरान ही मयूर के चचेरे भाई मनीष झांबानी ने बडनेडा आरपीएफ पहुंचकर मयूर के लापता व गुमशुदा हो जाने की शिकायत भी दर्ज करा दी. जबकि कई बार ट्रेन भी विलंब से चलती है, तो कोई भी यात्री अपने गंतव्य पर पहुंचने में थोडा बहुत आगे-पीछे हो ही जाता है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, मनीष झांबानी को अगले 12 घंटे के भीतर यह कैसे पता चल गया कि, उसका चचेरा भाई बीच रास्ते में ही कहीं लापता हो गया है. यहां यह भी खास तौर से ध्यान दिलाया जाना जरुरी है कि, मयूर की गुमशुदगी को लेकर बडनेरा आरपीएफ में शिकायत दर्ज करवाने वाले उसके चचेरे भाई मनीष झांबानी को भी क्रिकेट सट्टा खेलने का अच्छा खासा शौक रह चुका है औ वह भी इससे पहले एक बार क्रिकेट सट्टे में काफी बडी रकम हार गया था. जिसके बाद सट्टा बुकियों को रकम अदा करने से बचने हेतु मनीष ने भी सुनियोजित तरीके से लापता होकर कुछ इसी तरह का ‘कारनामा’ किया था और सट्टा बुकियों को जमकर चुना लगाया था. कहा जा सकता है कि, इसी आजमाए हुए नुस्खे पर अब मयूर झांबानी अमल कर रहा है.

* पुणे नहीं, रायपुर में छिपा हुआ है मयूर
एक बेहद विश्वसनीय सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक अमरावती से निकलकर मयूर झांबानी ने केवल दिखावे के लिए पुणे जाने वाली ट्रेन पकडी थी. लेकिन वह बीच रास्ते में कहीं पर ट्रेन से उतर गया और वहां से रायपुर में रहने वाले अपने किसी रिश्तेदार के यहां चला गया. साथ ही इस समय भी मयूर झांबानी रायपुर में ही अपनी उसी रिश्तेदार के यहां छिपा हुआ है.

* बडनेरा आरपीएफ जुटी जांच में, शहर पुलिस भी गुप्त तरीके से लगी काम पर
बता दें कि, बेहद शातिर दिमाग के साथ अमल में लायी गई इस योजना व रणनीति पर आगे बढते हुए मयूर झांबानी के अंडर ग्राउंड हो जाने के बाद झांबानी परिवार की ओर से बडनेरा रेल्वे पुलिस को मयूर की गुमशुदगी के बारे में शिकायत दी गई और इसे लेकर अब तक शहर पुलिस को अधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है. इसके साथ ही शिकायत दर्ज कराने वाले मयूर के चचेरे भाई मनीष झांबानी ने अब तक बडनेरा आरपीएफ के पास 2-4 चक्कर भी लगा लिए और अपने चचेरे भाई को जल्द से जल्द खोजने के बारे में गुहार भी लगाई है. ऐसे में बडनेरा आरपीएफ इस पूरे मामले की बडी तत्परता के साथ सघन जांच कर रही है. इस जरिए कहीं न कहीं झांबानी परिवार द्वारा रेल्वे पुलिस को दिभ्रमित करते हुए उनका समय नष्ट करने का काम किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर अपने पास इस बारे में कोई अधिकारिक सूचना व शिकायत नहीं रहने के बावजूद भी अमरावती शहर पुलिस खुफिया तरीके से इस मामले की जांच में जुटी हुई है, ताकि क्रिकेट सट्टे की अवैध धंधों की जडों तक पहुंचा जा सके.

* अब क्या करेंगें क्रिकेट सट्टा बुकी?
बता दें कि, क्रिकेट सट्टा पूरी तरह से अवैध व्यवसाय है और इस सट्टे के चक्कर में फंसकर कई संभ्रात परिवारों के युवा बर्बाद हो चुके है. साथ ही कुछ युवाओं ने सट्टे में बडी रकम हार जाने के बाद निराशा का शिकार होकर पैसों के भुगतान से बचने आत्महत्या भी की है. वहीं अमरावती में मयूर झांबानी व मनीष झांबानी जैसे लोग भी है. जो क्रिकेट सट्टा बुकियों को भी चपत लगाने का माद्दा रखते है. जिसमें से मनीष झांबानी इससे पहले सट्टे में अच्छी खासी रकम हारकर क्रिकेट सट्टा बुकियों को चुना लगा चुका है और क्रिकेट सट्टा बुकी उसकी कुछ भी नहीं बिगाड पाए, वहीं अब मयूर झांबानी भी लगभग उसी रास्ते पर है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प रहेगा कि, सट्टा खेलने वालों की कॉलर पकडकर उनसे हारी गई रकम की धन उगाही सट्टा बुकी अब इस मामले में अपने से भी बडा मास्टर माइंड रहने वाले मयूर झांबानी से कैसे डिल करते है. क्या मयूर झांबानी द्वारा उठाए गए इस कदम की वजह से सट्टा बुकी उसे सट्टे की रकम छोड देंगे और 8-10 दिन में मयूर झांबानी एक बार फिर अमरावती वापिस आकर पहले की तरह अपना व्यवसाय चलाएंगा, या फिर इस बार सट्टा बुकियों द्वारा मनीष के गिरहबान पर हाथ डालकर उससे हारी गई रकम वसूल करेगे. साथ ही यह देखना भी दिलचस्प रहेगा कि, अब चूूंकि मयूर झांबानी की गुमशुदगी के पीछे क्रिकेट सट्टे की वजह रहने की बात सामने आ चुकी है. ऐसे में पुलिस द्वारा मयूर झांबानी और क्रिकेट सट्टा बुकियों के खिलाफ क्या कदम उठाया जाता है.

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