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जनआंदोलन की सफलता है मेडिकल कॉलेज

किरण पातुरकर ने दिया फडणवीस को श्रेय

* जीएमसी के लिए आरंभ से लेकर अंत तक उठाई आवाज
अमरावती/दि. 1 – शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के इसी सत्र से प्रवेश प्रारंभ होने के लिए सतत प्रयास कर रहे भाजपा नेता किरण पातुरकर ने इसके लिए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को श्रेय दिया. उन्होंने फाइनली जीएमसी की प्रवेश प्रक्रिया आरंभ होने पर खुशी व्यक्त कर कहा कि, डीसीएम फडणवीस ने अमरावती में शासकीय चिकित्सा कॉलेज के लिए सतत सकारात्मक रहते हुए प्रत्येक स्तर पर अमरावती से की गई डिमांड को आखिर साकार किया. पिछले वर्ष के राज्य शासन के बजट में इसकी घोषणा की गई थी. अब यह प्रत्यक्ष रुप से साकार हो रहा है. यह अमरावती के लोगों के आंदोलन की सफलता है. उल्लेखनीय है कि, शासकीय मेडिकल कॉलेज के लिए आठ वर्ष पहले 2016 में सर्वप्रथम किरण पातुरकर ने ही आवाज उठाई थी.
* संगठनों का साथ, एक लाख हस्ताक्षर
पातुरकर ने कहा कि, अमरावती में 300-400 संस्थाओं का भी इस मेडिकल कॉलेज के आंदोलन में न केवल योगदान है, बल्कि स्थानीय लोगों द्वारा चौका-चौक पर टेबल लगाकर जमा किए गए एक लाख हस्ताक्षर का श्रेय भी सभी को है. जिसके कारण शासन दरबार में मेडिकल कॉलेज की मांग को बल मिला. धीरे-धीरे मोर्चा, उपोषण और अन्य आंदोलन के कारण राज्य शासन को अमरावती जैसे संभाग मुख्यालय शहर में जीएमसी की घोषणा करनी पडी. अब जीएमसी साकार हो रहा है तो आंदोलन में सहभागी प्रत्येक को इसका श्रेय है.
* लोग हंसते, मजाक उडाते
पातुरकर ने बताया कि, जब उन्होंने शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के लिए सर्वप्रथम आवाज उठाई तो राजनीति और सामाजिक क्षेत्र के लोग उनका मजाक उडाते, उन पर हंसते थे. किंतु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, अपने प्रयत्न जारी रखे. उस समय प्रदेश की बागडौर देवेंद्र फडणवीस के हाथ थी. फडणवीस से जाकर मिले. अमरावती आईएमए शाखा का भी मेडिकल कॉलेज की डिमांड में बडा योगदान है. लोगों को एकत्र करना और मेडिकल कॉलेज आ सकता, इस बात का विश्वास दिलाना भी दुष्कर था.
* घोषणा के बाद भी यकीन नहीं
पातुरकर ने बताया कि, प्रदेश के बजट में जीएमसी की घोषणा पश्चात भी अमरावती के कई लोग ऐसे हैं, जिन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि, यहां जीएमसी साकार होने जा रहा है. कुछ लोगों ने जगह का मुद्दा बनाकर रोडे अटकाने का प्रयत्न किया. किंतु किरण पातुरकर मेडिकल कॉलेज के लिए डिगे नहीं. उन्हें अमरावती शहर के कौनसे हिस्से में कॉलेज स्थापित होगा, इससे सरोकार नहीं था. कॉलेज का आना आवश्यक था. गरीब विद्यार्थियों के लिए एमबीबीएस की पढाई सुलभ हो गई, यह महत्वपूर्ण है.

 

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