निजी अस्पतालों के मेडिकल स्टोअर मेें महंगी मिलती है दवाईयां, बाहर मिलता है डिस्काउंट
मरीजों के परिजनों को होती है तकलीफ, निजी अस्पतालों के मेडिकल स्टोअर से ही लेनी पडती है दवाईयां
अमरावती/दि.28 – शहर में मेडिकल स्टोअर की संख्या बढने के चलते अब मेडिकल व्यवसाय में अच्छी खासी प्रतिस्पर्धा बढ गई है. जिसके चलते कई मेडिकल स्टोअर में दवाईयों पर अच्छा खासा डिस्काउंट दिया जाता है. परंतु वहीं दूसरी ओर शहर में लगभग सभी निजी अस्पतालों में भी अटैच्ड मेडिकल स्टोअर खोल दिए गए है, ताकि उन अस्पतालों में भर्ती रहने वाले मरीजों के परिजनों को दवाईयों के लिए इधर-उधर न भटकना पडे. परंतु निजी अस्पतालों में मरीजों के परिजनों से हर तरह की दवाई के लिए एमआरपी के बराबर ही रकम वसूल की जाती है और किसी भी तरह की दवाई पर कोई डिस्काउंट भी नहीं दिया जाता. जिसके चलते मरीजों और उनके परिजनों को सुविधा के नाम पर बेवजह ही अतिरिक्त रकम अदा करनी पडती है.
बता दें कि, अमरावती शहर में करीब 250 के आसपास निजी दवाखाने वहीं लगभग 1088 मेडिकल स्टोअर है. शहर के अधिकांश निजी दवाखानों में अस्पताल प्रबंधक द्बारा अस्पताल के भीतर ही मेडिकल स्टोअर भी खोला गया है. जिसे किराए पर देकर अस्पताल के संचालकों द्बारा अच्छा खासा पैसा कमाया जाता है. साथ ही अस्पताल में भर्ती रहने वाले मरीजों के परिजनों को अस्पताल से जुडे रहने वाले मेडिकल स्टोअर से ही दवाई खरीदने के लिए कहा जाता है. यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, अधिकांश डॉक्टरों द्बारा अपनी पर्ची पर ऐसी दवाईयां ही लिखी जाती है, जो उनके अस्पताल या दवाखाने के आसपास रहने वाले मेडिकल स्टोअर पर ही मिलती है. यदि किसी डॉक्टर द्बारा लिखे गए प्रिस्क्रिप्शन व शहर के अन्य इलाकें में स्थित मेडिकल स्टोअर में ले जाकर दिखाया, तो उस दवाई के वहां पर मिलने की संभावना नहीं के बराबर होती है.
* 250 निजी अस्पताल
मनपा क्षेत्र में 250 के आसपास निजी अस्पताल है और इसमें से अधिकांश अस्पतालों में मेडिकल स्टोअर भी है. ऐसे में इन अस्पतालों में इलाज हेतु भर्ती रहने वाले मरीजों को अस्पताल के साथ जुडे मेडिकल स्टोअर से ही दवाईयां खरीदनी पडती है.
* बाहर के मेडिकल स्टोअर पर मिलता है 15 से 20 फीसद डिस्काउंट
इन दिनों दवा व्यवसाय में लगातार बढ रही प्रतिस्पर्धा के चलते शहर के कई मेडिकल स्टोअर में दवाईयों के बिल पर 5 से 10 फीसद तक छूट दी जाती है. वहीं जेनेरिक मेडिकल स्टोअर में भी अन्य मेडिकल स्टोअर की अपेक्षा दवाईयां काफी सस्ती मिलती है. हालांकि इस समय जेनेरिक मेडिकल स्टोअर की संख्या अन्य मेडिकल स्टोअर की तुलना में थोडी कम है. ऐसे में जेनेरिक मेडिकल स्टोअर की संख्या बढाए जाने की मांग हो रही है. इसके अलावा इन दिनों आयुर्वेदिक दवाईयों का भी चलन अच्छा खासा बढ गया है और आयुर्वेदिक दवाईयों पर भी 15 से 20 फीसद की छूट मिलती है.
* अस्पताल से जुडे मेडिकल स्टोअर की जांच होती है क्या?
अन्न व औषधी प्रशासक विभाग द्बारा निजी मेडिकल स्टोअर की नियमित जांच की जाती है. गत वर्ष 26 मेडिकल स्टोअर के लाईसेंस रद्द किए गए है. वहीं 153 लाईसेंस निलंबित किए गए है. किसी भी मेडिकल स्टोअर को लेकर ग्राहकों से शिकायत प्राप्त होने के बाद इस तरह की कार्रवाई होती है. परंतु अब तक किसी भी निजी अस्पताल से ुजुडे मेडिकल स्टोअर का लाईसेंस रद्द अथवा निलंबित नहीं हुआ है. ऐसे में अब यह सवाल पूछा जाने लगा है कि, क्या निजी अस्पतालों में रहने वाले मेडिकल स्टोअर की भी जांच होती है अथवा नहीं.
* 1088 मेडिकल स्टोअर
शहर में 1088 के आसपास मेडिकल स्टोअर पंजीकृत है. गत वर्ष 26 मेडिकल स्टोअर के लाईसेंस रद्द किए गए थे. ऐसी जानकारी अन्न व औषधी प्रशासन विभाग द्बारा दी गई है.
* निजी अस्पतालों के मेडिकल में क्या चलता है?
– एमआरपी के बराबर ही रकम ली जाती है
अस्पतालों के साथ जुडे मेडिकल स्टोअर में दवाईयों के बिल पर एक रुपए की भी छूट नहीं मिलती है, बल्कि मरीजों के परिजनों से एमआरपी के अनुसार ही रकम वसूल की जाती है.
– कई लोग तो हिसाब भी नहीं देखते है
कई मरीजों के परिजन अपनी परेशानी में ही इतने उलझे रहते है और दवा खरीदकर मरीज के पास पहुंचाने की जल्दबाजी में होते है, तो ऐसे समय वे अमूमन बिल की पडताल किए बिना ही रकम अदा कर देते है. साथ ही ज्यादातर लोग दवाईयों पर अंकित रहने वाली कीमत भी नहीं देखते.
* शहर में 1088 मेडिकल स्टोअर है. यदि किसी भी मेडिकल स्टोअर में एमआरपी से अधिक रकम ली जाती है, तो उसकी शिकायत मिलने पर अन्न व औषधी प्रशासन द्बारा जांच करते हुए कार्रवाई की जाती है. गत वर्ष हमने 26 मेडिकल स्टोअर के लाईसेंस रद्द किए है. साथ ही 153 मेडिकल स्टोअर के लाईसेंसों को निलंबित किया गया हैै.
– स्वाती बरडे,
प्रभारी सहआयुक्त,
अन्न व औषधी प्रशासन विभाग.