अमरावती

जंगली सब्जियों के औषधीय गुण स्वास्थ्यवर्धक होते हैं- जिलाधिकारी सौरभ कटियार

रणभाजी महोत्सव में महिला स्व-सहायता समूहों ने की भागीदारी

कई दुर्लभ जंगली सब्जियों हुई उपलब्ध
300 किसानों की भागीदारी,
जंगली सब्जियों, अनाजों की हुई 50 हजार रुपये की बिक्री
अमरावती/ दि. 12 – औषधी की तरह काम करने व गुणों वाली कई जंगली सब्जीयां अब दुर्लभ होती जा रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में उगाई जाने वाली जंगली सब्जियाँ जैसे गुलवेल, मटरू, केटमोड़, अघाड़ा, केला, सन आदि शहरी नागरिकों के लिए इस महोत्सव के व्दारा उपलब्ध हो गई हैं। कलेक्टर सौरभ कटियार ने शनिवार को यहां महोत्सव के माध्यम से कहा कि इन स्वास्थ्यवर्धक जंगली सब्जियों के लिए बाजार उपलब्ध कराया जाना इन्हें उगाने वाले किसानों के लिए काफी लाभकारी साबीत होगा. श्री शिवाजी उद्यान विद्या महाविद्यालय के परिसर में कृषी विभाग, ‘आत्मा’ व श्री शिवाजी उद्यान विद्या महाविद्यालय, प्रादेशिक संशोधन केंद्र व स्त्री शक्ती मंच के संयुक्त रुप से जिला स्तरीय रानभाजी व मिलेट्स महोत्सव का आयोजन किया गया. इस महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर जिलाधिकारी कटियार उपस्थितों को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में विभागीय कृषी सहसंचालक किसन मुले, जिला अधीक्षक कृषी अधिकारी राहुल सातपुते, आत्मा के परियोजना संचालक अर्चना निस्ताने, रामेती अमरावती की प्राचार्य विजय चवाले, श्रीशिवाजी उद्यानविद्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. शशांक देशमुख, प्रादेशिक संशोधन केंद्र प्रमुख वर्षा टापरे, स्त्री शक्ती मंच अध्यक्षा प्रा. वृक्षाली ओक आदि इस समय उपस्थित थे.
जिलाधिकारी कटियार ने कहा कि जंगली सब्जीयां धान्य को अपने भोजन में नियमित रुप से समावेश करें. रानभाजी महोत्सव में जिले की बचत गुट व किसानों ने विभिन्न प्रकार की जंगली सब्जीयों के स्टॉल में गुलवेल, मटरू, केटमोड़, अघाड़ा, केला, सन आदि सब्जियों को बेचने के लिए सजाया था. इन स्टॉलों को भेंट देकर जंगली सब्जियों को खरीदने का आहवान जिलाधिकारी ने इस समय किया. महोत्सव के माध्यम से किसानों से सीधे ग्राहक तक पहुचाने का क्रम निर्माण करना यह समय की जरुरत की बात पर भी उन्होनें जोर दिया. गुलवेल एक ऐसी सब्जी है जिसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और यह रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करती है। यह मधुमेह, त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए भी बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि राई कफ-पित्तदोष, रक्त विकार, खुजली, कुष्ठ रोग, उदर विकार में उपयोगी सब्जी है। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने विभिन्न जंगली सब्जियों के स्टॉलों एवं खाद्य स्टॉलों का अवलोकन कर जानकारी हासिल की.आत्मा की परियोजना निदेशक श्रीमती निस्ताने ने परिचय में जिला स्तरीय जंगली सब्जी एवं धान्य महोत्सव के आयोजन के पीछे के उद्देश्य की जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. देशमुख ने उपस्थित लोगों का आभार माना.

कृषि विशेषज्ञों का मार्गदर्शन
महोत्सव में कृषि विज्ञान केंद्र घाटखेड के गृह विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. प्रणिता कडू ने ‘विलुप्त अनाज’ विषय पर मार्गदर्शन किया। पीकेवी के प्रोफेसर डॉ. पाटिल ने ‘आहार में अनाज का महत्व’ के साथ-साथ विदर्भ की जंगली सब्जियों और आहार में उनके महत्व पर मार्गदर्शन दिया। इस अवसर पर मोर्शी तहसील के निम्बी की प्रगतिशील किसान लता पोहेकर ने आहार में जंगली सब्जियों के महत्व पर भी अपने विचार व्यक्त किये। महोत्सव में सहभागी होने वाले उदखेड़े के दिनकर कानतोड़े, धारणी की भागीरथी कास्देकर इन प्रगतीशील किसानों को मान्यवरों के हाथों सम्मान किया गया.

विभिन्न जातियों की सब्जियों के सजे स्टाल
महोत्सव में सन, केला, कुंजर, अघाड़ा, करतुले, डोडा भाजी, मोहावुले, तारोटा, करदाखोसला, फंदी भाजी, चौलाई, गुलवेल, कुड़ा, अरेबिका, करवंद, शेवगा, बांस का अंकुर, मठ, कटेमठ, चावल, शिलगुड़ी, मशरूम, आलू के पत्ते, भोसा, पिंपल, कवाथ, इमली, बेलफल, चमकुरा, शतावरी, सूरन, स्टार फ्रुट, पापनुस आदि जंगली सब्जियों के साथ-साथ विभिन्न दालों एवं खान-पान की दुकानों पर बिक्री के लिए स्टॉल लगाए गए थे। इस उत्सव में लगभग तीन सौ किसानों ने भाग लिया। साथ ही इसके जरिए करीब 50 हजार रुपए की जंगली सब्जियां और अनाज भी बेचा गया।

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