सहजयोग में ध्यान: चेन्नई में हुआ दो दिवसीय ध्यान सत्र
अमरावती/दि.18– सहजयोग ध्यान पद्धति की प्रणेता श्री माताजी निर्मला देवी जी हैं. 1970 में श्री माताजी ने कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्मसाक्षात्कार प्रदान करने की सहज पद्धति की स्थापना की. सहजयोग शाश्वत सत्य पर आधारित पूर्ण रूप से एक वैज्ञानिक पद्धति है. सहजयोग द्वारा आत्मसाक्षात्कार का अनुभव प्राप्त होने के बाद नियमित ध्यान से हमारा अधात्मिक उथान संभव है. नियमित सहजयोग ध्यान करने से परमात्मा की कृपा में मनुष्य का जीवन शांत और संतुलित हो जाता है.
इसी उद्देश्य के साथ सहजयोग चेन्नई द्वारा दो दिवसीय ध्यान सत्र आयोजित किया गया था. 15 व 16 जुलाई को आयोजित ध्यान सत्र में चेन्नई व भारत के अन्य हिस्सों से आए हुए कई सत्य के साधकों ने सामूहिक ध्यान द्वारा विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की. सत्र के माध्यम से ध्यान की गहनता के बारे में बताया गया और सहजयोग ध्यान पद्धति की विशेषता व उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया. सहजयोग ध्यान किस प्रकार जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है इस पर चर्चा हुई.
श्री माताजी निर्मला देवी अपनी अमृतवाणी में साधकों को बताती हैं कि किस प्रकार माँ आदिशक्ति की स्तुति आपको आत्मा का सुख प्रदान कर सकती है. सहजयोग से निःशुल्क आत्मसाक्षात्कार का अनुभव प्राप्त होता है.