आंदोलन रोकने मंत्रालय में बैठक शुरु, शाम तक निर्णय की उम्मीद
विद्यापीठीय व महाविद्यालयीन सेवक संयुक्त समिति का आंदोलन शुरु
अमरावती /दि. १५- महाराष्ट्र के सभी अकृषि विद्यापीठीय उसी प्रकार सभी महाविद्यालयीन शिक्षकेत्तर कर्मचारी संगठनों ने अपनी विविध मांगों के लिए विविध चरण में आंदोलन शुरू किया है. आंदोलन के तीसरे चरण में आज बुधवार १५ फरवरी को सभी कर्मचारियों ने काली फीत लगाकर कामकाज किया. इसके पूर्व आंदोलन के दूसरे चरण में मंगलवार १४ फरवरी को अवकाश काल में प्रदर्शन किया था. इस आंदोलन में विद्यापीठ के सभी कर्मचारी शामिल हुए. १४ फरवरी की दोपहर को मुख्य प्रशासकीय इमारत के समक्ष विद्यापीठ के कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया. इस अवसर पर ऑफिसर्स फोरम के अध्यक्ष शशिकांत रोडे, पिछडावर्गीय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष डॉ. नितिन कोली, संयुक्त कृति समिति के संगठक तथा महाराष्ट्र विद्यापीठ कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अजय देशमुख, डॉ. मंगेश वरखेडे, डॉ. दादाराव चव्हाण, कर्मचारी संघ के महासचिव नरेंद्र घाटोल ने इस सभा को संबोधित किया. बुधवार को काली फीत लगाकर कामकाज किया गया तथा १६ फरवरी को एक दिन की सांकेतिक हडताल की जाएगी. इसके बाद भी यदि शासन ने दखल नहीं ली तो २० फरवरी से महाराष्ट्र के सभी विद्यापीठ व संलग्नित महाविद्यालय बेमियादी बंद रहेंगे. राज्य के अकृषि विद्यापीठीय तथा महाविद्यालयीन सेवक संयुक्त कृति समिति के नेतृत्व में आंदोलन किया जा रहा है. सुधारित आश्वासित प्रगती योजना का रद्द किया शासन निर्णय पुनर्जीवित कर योजना पूर्ववत लागू करें, सातवें वेतन आयोग के प्रावधान नुसार १०-२०-३० साल के बाद की लाभ की योजना विद्यापीठ तथा महाविद्यालय के शिक्षकेतर कर्मचारियों लागू करें, सातवें वेतन आयोग से वंचित १४१० विद्यापीठ कर्मचारियों को वेतन आयोग लागू करें, महाविद्यालयीन शिक्षकेतर कर्मचारियों को १ जनवरी २०१६ से प्रत्यक्ष सातवां वेतन लागू हुआ,उस समयावधि के अंतर का बकाया अदा करें, रिक्त पद भरने मंजूरी दें, आदि सहित अन्य मांगे आंदोलनकर्ताओं की है. इस आंदोलन में विद्यापीठ व महाविद्यालय के करीब ४० हजार कर्मचारी सहभागी हुए है. सरकार ने १६ फरवरी तक ध्यानाकर्षण नहीं किया तो २० फरवरी से आंदोलन तीव्र करने की तैयारी समिति ने दर्शायी है.