अमरावती

मेलघाट के किसानों व्दारा दसवें साल भी स्ट्रॉबेरी का उत्पादन

ठंडी हवा के साथ अब स्ट्रॉबेरी भी पर्यटकों को कर रही है आकर्षित

चिखलदरा/दि.22– विदर्भ के नंदनवन चिखलदरा का ठंड के इस मौसम में नजारा देखते ही बनता है. ऐसे में यहां आनेवाले पर्यटकों को निसर्गरम्य वातावरण में स्ट्रॉबेरी के लाल फल अपनी ओर ध्यान केंद्रित करते हैं. विदर्भ के एकमात्र पर्यटक स्थल चिखलदरा में किसान पिछले 10 साल से इस फसल का उत्पादन कर रहे हैं. वह भी शासकीय सहायता के बगैर. इस कारण ठंडी हवा के साथ पर्यटकों को अब स्ट्रॉबेरी भी आकर्षित कर रही है.

महाबलेश्वर की पहचाने जाने वाली स्ट्रॉबेरी का उत्पादन पिछले 10 साल से मेलघाट में भी हो रही है. कृषि तंत्रज्ञान व्यवस्थापन यंत्रणा (आत्मा) व कृषि विभाग के आर्थिक सहयोग से श्री शिवाजी उद्यान विद्या महाविद्यालय ने संशोधन कर मेलघाट में स्ट्रॉबेरी उत्पादन सफल किया. यही अनुभव लेकर जिला परिषद के नियोजन विभाग अंतर्गत 50 किसानों के खेत में जिला परिषद ने स्ट्रॉबेरी उत्पादन का पथदर्शी प्रकल्प चलाया. इस प्रकल्प से किसानों को औसतन 2 लाख रुपए तक आय मिलती है. तब से किसान कोई भी शासकीय आर्थिक सहायता न लेते हुए अपने बल पर स्ट्रॉबेरी उत्पादन कर रहे हैं.

* पर्यटक सीधे खेत में
चिखलदरा आने वाले पर्यटक स्ट्रॉबेरी को देखते ही सीधे खेत में पहुंचकर स्ट्रॉबेरी ले रहे हैं इस कारण विपणन करना भी आसान हुआ है. इस बार मोथा के गजानन शनवारे, साधुराम पाटिल, भीम निखाडे, आलाहोड निवासी नारायण खडके, आकाश खडके, गंगाराम खडके, किसन खडके, मडकी निवासी गंगाराम धांडे, नामदेव चव्हाण और खटकाली निवासी आदिवासी किसान मनोहर झांबेकर ने भी स्ट्रॉबेरी उत्पादन किया है.

* संशोधन केंद्र के लिए प्रस्ताव
स्ट्रॉबेरी के पौधे महाबलेश्वर से लाने पडते है. इस कारण उत्पादन खर्च अधिक होता है. डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ ने चिखलदरा में स्ट्रॉबेरी संशोधन केंद्र के लिए महराष्ट्र शासन को प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. जनप्रतिनिधियों का प्रयास आवश्यक है. संशोधन केंद्र शुरु हुआ तो कम दाम में पौधे उपब्ध होंगे, ऐसा विश्वास श्री शिवाजी उद्यान विद्या महाविद्यालय के प्राचार्य शशांक देशमुख ने व्यक्त किया

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