अमरावती

बाघों का सर्वोत्कृष्ट नैसर्गिक अधिवास है मेलघाट

व्याघ्र प्रकल्प की स्थापना को पूर्ण हुए 47 वर्ष

अमरावती/दि.22 – देश के पहले 9 व्याघ्र प्रकल्पों में सबसे बडे और राज्य के सबसे पहले मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प ने अपनी स्थापना के 47 वर्ष पूर्ण कर लिये है और आज यह व्याघ्र प्रकल्प अपना 48 वां वर्धापन दिवस मना रहा है. 22 फरवरी 1974 को अस्तित्व में आया यह व्याघ्र प्रकल्प बाघों के प्रजनन और विचरण हेतु अनुकूल रहने के चलते बाघों का सर्वोत्कृष्ट नैसर्गिक अधिवास साबित हुआ है.
व्याघ्र संवर्धन हेतु शुरू किये गये इस व्याघ्र प्रकल्प का क्षेत्रफल 2 हजार 700 चौरस किमी है. जिसमें 361.28 चौरस किमी क्षेत्रफलवाला गुगामल राष्ट्रीय उद्यान भी शामिल है. एक बाघ को साधारणत: 25 चौरस किमी का क्षेत्र विचरण हेतु लगता है. इस हिसाब से मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में 100 से अधिक बाघ बडे आराम से रह सकते है. बाघों तथा बाघों के इस नैसर्गिक अधिवास को सुरक्षित रखने की दृष्टि से समय-समय पर अलग-अलग परिणामकारक उपाय योजनाएं चलाई जाती है. जिनके जरिये व्याघ्र संवर्धन व संरक्षण के काम में यह व्याघ्र प्रकल्प बेहद सफलतापूर्वक काम कर रहा है. एनटीसी की मूल्यमापन समिती द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प को ‘वेरी गुड’ की श्रेणी में रखा गया है.
ज्ञात रहे कि, बाघों के अधिवास क्षेत्र में मानवी हस्तक्षेप कम करने हेतु वन्य क्षेत्र में शामिल गांवों के पुनर्वसन की संकल्पना को साकार किया जा रहा है. जिसके चलते पुनर्वसित किये गये गांवों और उनसे लगे खेत परिसरों की जमीन में अब घास के जंगल खडे हो रहे है. जिसमें हिरण, सांबर व चितल जैसे अन्य वन्यजीवों की संख्या बढने लगी है. जिसके जरिये बाघों को खाद्य के साथ ही मानव विरहित क्षेत्र उपलब्ध हो रहा है.
इसके साथ ही पर्यटकों को वन्यजीवों का दर्शन हो और समृध्द वनसंपदा दिखाई दे, इस हेतु जंगल क्षेत्र में व्याघ्र प्रकल्प द्वारा अलग-अलग भ्रमण मार्ग विकसित किये गये है. इसके अलावा पर्यटक यहां पर रात्री विश्राम करते हुए प्राकृतिक वातावरण व सौंदर्य का आनंद ले सके. इस बात के मद्देनजर जंगल क्षेत्र में कई सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई है. जिसके चलते हाल-फिलहाल के वर्षों में पर्यटकोें को बाघों सहित अन्य वन्यजीवों का दर्शन भी बडे पैमाने पर हो रहा है और कुछ वर्ष पूर्व पर्यटन से दूर रहनेवाला यह व्याघ्र प्रकल्प अब पर्यटन के क्षेत्र में भी अच्छा-खासा काम कर रहा है.

हाथी सफारी है मुख्य आकर्षण

महाराष्ट्र सहित मध्य भारत क्षेत्र में सबसे पहले मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प द्वारा ही हाथी सफारी की सुविधा शुरू की गई. इसमें पर्यटकों को हाथी की पीठ पर बैठकर जंगल में घुमने का आनंद उपलब्ध कराया जाता है. यह जंगल सफारी पर्यटकों द्वारा काफी पसंद भी की जाती है. इस काम हेतु मेलघाट में वन विभाग द्वारा विशेष तौर पर हाथी उपलब्ध कराये गये है. जिनकी खासतौर पर देखभाल की जाती है. साथ ही इन हाथियों को व्याघ्र प्रकल्प में घुमने-फिरने हेतु विशेष तौर पर प्रशिक्षित भी किया गया है.

मेलघाट में है 72 छोटे-बडे बाघ

मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में आज करीब 72 छोटे-बडे बाघ मौजूद है. जिनमें 21 मादा व 29 नर बाघों के अलावा 22 शावक भी है. विगत 47 वर्षों की यात्रा के दौरान मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में व्यवस्थापन व उपाय योजनाओं में चरणबध्द ढंग से बदलाव किया गया. जिसके सार्थक परिणाम भी दिखाई दिये.

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