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जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते प्यासा है मेलघाट

सरकारी अधिकारी कर रहे केवल कागजी खानापूर्ति

* धारणी के मंडी संचालक राहुल येवले ने लगाया आरोप
अमरावती/दि.14 – चिखलदरा तहसील के खडीमल गांव में हर साल की तरह इस वर्ष भी भीषण जलकिल्लत का सामना करना पड रहा है. इसके साथ ही आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र में कई दुर्गम गांवों में भी पानी की किल्लत बनी हुई है. परंतु इसकी ओर स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित जिले की सांसद तथा जिला प्रशासन द्वारा कभी कोई ध्यान नहीं दिया गया. जिसकी वजह से खडीमल गांव के साथ ही चिखलदरा तहसील एवं मेलघाट क्षेत्र के कई गांव प्यासे है. इस आशय का आरोप धारणी कृषि उपज मंडी के संचालक राहुल येवले द्वारा लगाया गया है.
इस समस्या को लेकर मंडी संचालक राहुल येवले का कहना रहा कि, जहां शहरी क्षेत्र में लोगबाग दोपहर के 3 बजे एसी और कूलर में सोते हुए ठंडी हवाओं का आनंद लेते है. वहीं दूसरी ओर दोपहर 3 बजे के समय तेज गर्मी और चिलचिलाती धूप के दौरान खडीमल गांव में महिलाओं व बच्चों को कुएं से पानी ले जाना पडता है. येवले के मुताबिक प्रशासन द्वारा खडीमल गांव में शुद्ध व पर्याप्त पानी दिये जाने का दावा किया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि, कुएं से खराब व गंधेला पानी ही सभी लोग लेकर जाने के लिए मजबूर है और दो-तीन टैंकरों के जरिए 15 किमी की दूरी से यहां पर पानी लाया जा रहा है. येवले ने यह भी बताया कि, 2-3 दिन पूर्व जिलाधीश सौरभ कटियार इस परिसर के दौरे पर आये थे और कुछ कुएं में ट्रैंकर से पानी भर देने की कवायत पूरी की गई थी, ताकि जिलाधीश से प्रशंसा हासिल की जा सके. ऐसे में प्रशासन द्वारा इसकी ओर गंभीरतापूर्वक ध्यान देते हुए समस्या का स्थायी समाधान खोजा जाना चाहिए और इस परिसर में भुगर्भिय जलस्तर को बढाने के लिए सिमेंट नाला, बांध, तालाब व खेत तालाब जैसी योजनाएं चलाई जानी चाहिए.
मंडी संचालक राहुल येवले ने यह भी बताया कि, कांग्रेस नेत्री तथा जिले की पूर्व पालकमंत्री व विधायक यशोमति ठाकुर के कार्यकाल दौरान इस क्षेत्र के 14 गांवों के लिए 33 करोड रुपए की निधि को मंजूरी देने के साथ ही गंगारखेडा बांध से जलापूर्ति योजना को मंजूरी दी गई थी, जिसका काम व्याघ्र प्रकल्प की अनुमति नहीं मिलने की वजह से रुका हुआ था. लेकिन इसकी ओर भी आगे चलकर मेलघाट क्षेत्र एवं जिले के जनप्रतिनिधियों द्वारा ध्यान नहीं दिया गया. अन्यथा इस वर्ष पानी को लेकर किल्लत पैदा होने की नौबत ही नहीं आती.

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