नदी नालों को बारिश का इंतजार
धारणी/ दि. 17- अप्रैल माह में चाहिए वैसी तपन बेमौसम बारिश के कारण महसूस नहीं हुई थी. मई माह के शुरूआत से सूरज आग उगलने लगा. ऐसे में मेलघाट क्षेत्र की प्रमुख नदियां और नाले सूखे दिखाई देने लगे है. इस कारण जंगल के वन्यप्राणी और गांव के पालतू प्राणी भटकते दिखाई दे रहे है.
मेलघाट से बहनेवाली तापी, सिपना, गडगा, खंडू, खापरा, दवाल आदि नदियों के पात्र सूख गए है. पर्यावरण का संतुलन तेजी से बिगड रहा है. इसका मुख्य कारण मानव जाति द्बारा पर्यावरण के साथ किया गया खिलवाड है. मानव जाति वर्तमान में अपनी आवश्यकता के लिए भारी मात्रा में पेडों की कटाई कर रही है. इस कारण पर्यावरण का संतुलन बिगडता जा रहा है. इन सभी कारणो से वर्तमान में मेलघाट जैसे नैसर्गिक संपदा से परिपूर्ण रहनेवाले क्षेत्र से बहनेवाली नदियां सूखती दिखाई दे रही है. इन प्रमुख नदियों पर जिप जलसंधारण व लघु सिंचन जलसंपदा विभाग की तरफ से कोल्हापुरी बांध तथा अन्य बांध निर्मित किए गए थे. वह भी नियोजन के अभाव में सूखे पडे है. कुल मिलाकर जलसंधारण के काम पूरी तरह ठप्प पडे है. भविष्य में मेलघाट में जलसंधारण बाबत नियोजन कर पर्यावरण का विचार करना काफी आवश्यक हो गया है. मेलघाट में चाहिए उस प्रमाण में पौधारोपण, जलसंवर्धन, जलसंधारण आदि काम किए गये तो फिर से दफा नदियां 12 माह बहती दिखाई देगी. ऐसा नागरिको का कहना है.