परतवाडा/मेळघाट/दि.५ – धारणी सातपुडा के नंदनवन में बसा यह मेलघाट जिंसमे करिब ३५० के ग्राम का समावेश है, धारणी तथा चिखलदरा तहसील में आनेवाले सैकडों ऐसे ग्राम है, जहां मोबाईल नेटवर्क टिव्ही जैसी आधुनिक वस्तूए देखने को नहीं मिलती, कहीं गाव मे बिजली कि सुविधा उपलब्ध नहीं,
तो कहीं रास्ते जैसी सुख सुविधाओ सें भी आज अनेक गाव वंचित देखने को मिल रहें है, जहा किसी भी प्रकार की आधुनिक सुख सुविधा आज तक पहुचांई नहीं गयी. मेलघाट को भले ही यह कहा जा रहा है, कि सब कुछ उपलब्ध हो गया, लेकिन यहा का मानव आज भी आधुनिक युग से दुर रहकर संघर्ष भरा जीवन जी रहा है. मेलघाट मे अंधश्रद्धा के नाम पर आये दिन नऐ-न ऐ मामले यहा देखने ओर सुनने को मिलते है. कुछ दिनो पहिले मासुम बीमार बच्चे को गर्म सलाखों से चटके दिऐ जानेवारी का मामला भी प्रकाश मे आया था, इस तरह के अंधश्रद्धा के उपचार नरबली के मामले यहा की सेवा भावी संस्था तथा समाज सेवको के लिऐ चुनौती बनती नजर आरही है.
अज्ञानता के शिकार कुछ लोग अंधश्रद्धा की चपेट में आ जाते, जिनको अच्छे विचारो कि आवश्यकता है, इसके लिऐ मेलघाट मे सेवा भावी संस्था समाज सेवक और शिक्षित लोगो ने अंधश्रद्धा के प्रति जनजागृती वाले अभियान चलाना चाहिये. जिसे हमारे क्षेत्र में अंधश्रद्धा की सोच वालों का प्रमाण कम हो सके, लेकिन इसकी सुरवात कोन करेगा ? ऐसे भी सवाल मेलघाट में उपस्थित होते है, यहा पर शासन प्रशासन करोडो रूपयोका विकास के नाम से खर्च कर रहा है, किंतु आज भी ऐसे ग्रामीण है जहा पर शासन प्रशासन की सुख सुविधा नहीं पहुच पाती और इनके दरवाजों तक पहुचने से पहले अपना दम तोड देती है.
नंदनवन कहे जाने वाला मेलघाट पुरे विदर्भ में प्रसिद्ध है, लेकीन यहा पर आज भी सैकडों गाव आधुनिक सुख सुविधा से कोसो दुर दिखाई दे रहे है.
जहा पर नेटवर्क कि किसी प्रकार की सुविधा नहीं होने से इन्हे गुमनामी का जीवन जिना पड रहा है, ऐसे ग्रामीणो पर कब और कैसे शासन ध्यान देता? इस पर अब अती दुर्गम ग्रामीणों का ध्यान लगा हुआ है.