मेलघाट व्याघ्र प्रकल्पग्रस्तों को 9 वर्ष से नहीं मिला मुआवजा
अमरावती के संभागीय आयुक्त को हाईकोर्ट का नोटीस
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छह सप्ताह में जवाब देने के आदेश
अमरावती/दि.20 – मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत गुल्लरघाट से दूसरी ओर स्थानांतरित किये गए अनेक नागरिकों को पिछले 9 वर्ष से दस लाख रुपए का मुआवजा नहीं मिला है. इस मुआवजे से नागरिक वंचित रहने से हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अमरावती संभागीय आयुक्त, अकोला जिलाधिकारी, अकोट उपवनसंरक्षक और वनविभाग को नोटीस दिया है. हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों को छह सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश दिये है. हाईकोर्ट व्दारा नोटीस जारी कर देने से अनेक वर्षाें से मुआवजे की प्रतीक्षा में रहने वाले याचिकाकर्ताओं की आशाएं अब बढने लगी है.
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में सरकार ने 6 आदिवासी याचिकाकर्ताओं की जमीन अधिग्रहीत कर उन्हें भूमिहीन किया तथा उनके घरों का भी वनक्षेत्र में समावेश कर उन्हें स्थानांतरण के लिए बाध्य किया. स्थानांतरण करते समय अधिकारियों ने कानून व नियमों का कडाई से पालन करना जरुरी था. किंतु कोई भी पालन नहीं किया गया. पिछले अनेक वर्षाें से स्थानांतरीत आदिवासी परिवार जमीन के मुआवजे के लिए व पुनर्वसन के 10 लाख रुपए मिलना चाहिए, इसके लिए वन विभाग ेक अकोट कार्यालय में जाकर मांग कर रहे है. किंतु उनकी मांग व निवेदन की ओर अधिकारियों ने दुर्लक्ष किया. जिससे छह विधवा व तलाकशुदा महिलाओं ने पुनर्वसन के 10 लाख रुपए मिलने चाहिए, इसके लिए एड.सिध्दांत घट्टे व्दारा हाईकोर्ट में याचिका दाखल की. 2012 में पुनर्वसन हुए गुल्लरघाट गांव की महिलाओं को अभी तक 10 लाख रुपए नहीं दिये गए. जिससे आशाबाई समेत अनेक लोग मुआवजे से वंचित है. याचिकाकर्ताओं की ओर से एड.सिध्दांत घट्टे, एड.गजानन शिंदे ने पक्ष रखा.