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बच गया मेलघाट का बफर जोन, जंगल के बाहर से लाइन

अकोट- खंडवा रेलमार्ग सोनाला जामोद से जाएगा

* आठ साल का इंतजार खत्म, शीघ्र मंजूरी
अमरावती/दि.17– मेलघाट बाघ परियोजना के बफर क्षेत्र से प्रस्तावित रेल लाइन आखिरकार दूर कर दी गई है. अब अकोट-खंडवा रेलमार्ग को हिवरखेड़-सोनाला-जामोद से ले जाने का प्रस्ताव आया है. बल्कि रेल्वे ने भी इस प्रस्ताव को लगभग हरी झंडी दे दी है. जिससे न केवल जंगल बच जाएगा, बल्कि रेल मार्ग को बुलढाणा जिले से जोड़ने की प्रलंबित मांग भी पूर्ण हो जाएगी. प्रस्तावित रेलमार्ग शीघ्र मंजूर होने और जल्द से जल्द काम शुरु होने की संभावना जताई जा रही है.
उल्लेखनीय है कि पुरानी मीटरगेज रेल लाइन को बदलने की मांग वर्षों से चल रही थी. पूर्व केंद्रीय मंत्री सूर्यकांता पाटील, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमीत्रा महाजन, पूर्व सांसद अनंतराव देशमुख, पुंडलिकराव गवली, एड. प्रकाश आंबेडकर, वर्तमान सांसद संजय धोत्रे, भावना गवली ने बॅ्राडगेज हेतु प्रयास किए.
रेल्वे ने खंडवा-पूर्णा रेल लाइन को दो भागों में विभाजित किया. पहला पूर्णा-अकोला और दूसरा खंडवा-अकोला. पूर्णा-अकोला मार्ग 210 कि.मी. का है. इसका ब्रॉडगेज में रुपांतर हो गया है. इस मार्ग पर गत 15 वर्षों से ट्रेनों की आवाजाही भी शुरु हो गई. अकोला-खंडवा 178 किमी मार्ग मेलघाट बफर जोन के कारण अटका था. अब बफर जोन से बाहर रेललाइन बिछाने का प्रस्ताव आया है. यह हिवरखेड-सोनाला-जामोद मार्ग से होगा. जिससे मेलघाट का जंगल बच जाएगा. पहले तुकईथड से दबका-धुलघाट-वाणरोड-हिवरखेड से अडगांव रेल लाइन थी. अब तुकइथड से हिवरखेड-सोनाला-जामोद रेल मार्ग रहेगा. फासला 29 किमी बढ़ गया है.
यह भी याद दिला दें कि अकोला-खंडवा रेल लाइन के लिए 2008 में मंजूरी मिल गई थी. 1472 करोड़ का बजट दिया गया था. अब जाकर काम शुरु होने के आसार बढ़े है. एक तरफ खंडवा-तुकइथड और दूसरी तरफ अकोट-अडगांव काम शुरु होगा. मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिए एक और लाइन हो जाएगी.

 

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