* तनाव, अनुवांशिकता, व्यसनाधीनता तथा अकेलापन है वजह
अमरावती/दि.5- देश में इस समय छह से सात प्रतिशत लोग मानसिक बीमारियों की चपेट में है. यह बात राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान अंतर्गत किये गये सर्वे के चलते पता चली है. अनुवांशिकता के साथ ही बढते तनाव, व्यसनाधिनता और अकेलेपन की वजह से मानसिक बीमारियों का प्रमाण बढ गया है और इसका असर कोविड संक्रमण काल के दौरान बडे पैमाने पर दिखाई दिया. ऐसे में स्थिति को संभालने के लिए अब मानसोपचार विशेषज्ञों ने अपने कदम आगे बढाये है.
मानसिक तौर पर अस्वस्थ व असंतुलित रहनेवाले व्यक्ति को खुद के मानसिक तौर पर बीमार रहने का ऐहसास ही नहीं होता, बल्कि वह खुद को पूरी तरह ठीकठाक ही समझता है. ऐसे में इस तरह के व्यक्तियों की मानसिक स्थिति का पता लगाने हेतु ‘मेंटल स्टेटस् एक्झामिनेशन’ नामक जांच की जाती है. यह जांच घर के सदस्यों द्वारा मरीज की बताई गई हिस्ट्री के आधार पर की जाती है. जिसमें संबंधित व्यक्ति का व्यवहार किस तरह है, उसके बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है. जिसके आधार पर संबंधित व्यक्ति को मानसोपचार की जरूरत है अथवा नहीं, इसे लेकर निष्कर्ष निकाला जाता है. अब तक के अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि, यदि समय पर मानसोपचार किया जाये, तो किसी भी मानसिक मरीज को ठीक किया जा सकता है.
बता देें कि, तनाव के लिए आंतरिक घटकों का 90 से 95 फीसद हिस्सा होता है. कोई भी स्थिति खुद तनावपूर्ण नहीं रहती, बल्कि उसकी ओर देखने के दृष्टिकोण पर सबकुछ निर्भर करता है.
* जिले में हैं दो व्यसनमुक्ति केंद्र
अमरावती शहर में मानसिक बीमारियों से मुक्त करने का प्रयास करनेवाली दो निजी संस्थाएं है. जिनके द्वारा अपने ट्रस्ट के जरिये व्यसनमुक्ति व पुनर्वसन केंद्र भी चलाये जाते है. जहां पर मानसिक तौर पर अस्वस्थ मरीजों एवं व्यसनाधीन लोगों के लिए समूपदेशन व मार्गदर्शन जैसे उपक्रम भी चलाये जाते है.
* बच्चों पर अपनी इच्छाओं का बोझ न लादे
ज्यादातर अभिभावक अपने बच्चों पर अपनी इच्छाओं का बोझ लाद देते है. बच्चों को धडाधड अंग्रेजी बोलना आना ही चाहिए. बच्चे डॉक्टर या इंजीनिअर तो बनना ही चाहिए, ऐसी अति महत्वाकांक्षाओं का भूत अभिभावकों के सिर पर सवार होता है. जिसके चलते किशोरवयीन बच्चों के वर्तमान के साथ-साथ भविष्य के भी उध्वस्त होने का खतरा होता है.
* ‘मेंटल’ होने के लक्षण
मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति अकेले ही बडबडाता रहता है. साथ ही कई बार ऐसे लोगों को लगता है कि, कोई उसे मार देगा या लोग उसके बारे में ही बात अथवा कोई षडयंत्र कर रहे है. ऐसे लोग अचानक ही हिंसक भी हो जाते है और उनका अपने काम में ध्यान नहीं लगता. ऐसे लोग अकेले ही बैठे-बैठे कुछ सोचते हुए अपने हाथ या पांव हिलाते रहते है और उन्हें नींद भी नहीं आती. साथ ही साथ उनकी मानसिक स्थिति हमेशा डोलायमान रहती है.
* मानसिक बीमारियां बढने की वजहें
– मानसिक बीमारियों की सबसे प्रमुख वजह अनुवांशिकता हो सकती है. यदि परिवार में पहले से कोई व्यक्ति मानसिक तौर पर बीमार है, तो परिवार के किसी अन्य सदस्य के भी मानसिक विकार की चपेट में आने का खतरा हो सकता है.
– ब्रेन में डोबामेंट नामक केमिकल बढने की वजह से भी मानसिक विकारों का प्रभाव बढ जाता है.
– व्यसनाधिनता भी मानसिक बीमारियों की एक प्रमुख वजह है. व्यसनाधीन व्यक्ति में संदेह की वृत्ति लगातार बढती जाती है.
– यदि कोई व्यक्ति लगातार तनाव में रहता है, तो उसके मानसिक तौर पर बीमार होने का खतरा अधिक रहता है.
* मेंटल टेस्ट करवाना जरूरी
परिवार में यदि कोई व्यक्ति लगातार अकेले में ही बडबड कर रहा है, या बार-बार हिंसक हो रहा है और यदि उसे अस्तित्व में नहीं रहनेवाली बातों का आभास हो रहा है, तो ऐसे व्यक्ति की मानसिक जांच करवाने की नितांत आवश्यकता है. जिसके लिए ‘मेंटल स्टेटस् एक्झामिनेशन’ नामक टेस्ट अनिवार्य रूप से करवाई जानी चाहिए.
* समय पर इलाज कराने की जरूरत
राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान द्वारा किये गये सर्वेक्षण के मुताबिक देश में 6 से 7 फीसद लोगों के मानसिक तौर पर बीमार रहने की बात सामने आयी है. यदि समय पर इलाज की व्यवस्था की जाये, तो इन लोगों को मानसिक बीमारियों से बाहर निकाला जा सकता है. इसमें शारीरिक व मानसिक स्तर पर इलाज किये जा सकते है.
– डॉ. स्वाती सोनोने
मानसोपचार विशेषज्ञ
मानसिक बीमारियोें का प्रमाण दिनोंदिन बढता जा रहा है. ऐसी बीमारियों के लक्षण दिखाई देते ही तुरंत उनका इलाज करवाया जाना चाहिए. साथ ही अभिभावकों ने अपने बच्चों पर अपनी अपेक्षाओं व उम्मीदों का अनावश्यक बोझ भी नहीं डालना चाहिए, अन्यथा स्थिति बिगड सकती है.
– डॉ. अनुपम राठोड
मानसोपचार तज्ञ