रेल्वे की परीक्षा में शंकरबाबा के कामों का उल्लेख
वझ्झर का नाम देशभर में फैला, जिले के लिए गौरवपूर्ण बात
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अमरावती /दि.16– अनाथों के नाथ कहे जाते पद्मश्री डॉ. शंकरबाबा पापलकर के जीवन कार्यों पर हाल ही में भारतीय रेल्वे रिकृटमेंट बोर्ड की ओर से ली गई परीक्षा में सवाल पूछा गया. यानि अब वझ्झर आश्रम के संचालक डॉ. शंकरबाबा पापलकर का नाम देशभर में फैल चुका है. यह अमरावती जिले के लिए बेहद गौरवपूर्ण बात है.
बता दें कि, विगत अनेक वर्षों से डॉ. शंकरबाबा पापलकर द्वारा 123 दिव्यांग व अनाथ बच्चों का पालन पोषण किया जा रहा है और अब उनके कामों की जानकारी दूर तक फैल गई है. जिसे देखते हुए भारत सरकार ने डॉ. शंकरबाबा पापलकर को पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया है. साथ ही संत गाडगे बाबा अमरावती विद्यापीठ द्वारा उन्हें डॉक्टरेट सहित अन्य कई सम्मान प्रदान किये गये है. अचलपुर तहसील के वझ्झर स्थित आश्रम में देशभर के 18 वर्ष से अधिक आयु वाले दिव्यांग व अनाथ बच्चों का डॉ. शंकरबाबा पापलकर पालन पोषण करते है और उनके लिए कानून तैयार करवाने हेतु डॉ. शंकरबाबा पापलकर का संघर्ष अब भी चल रहा है. ऐसे में ही देश के रेल्वे मंत्रालय ने भी डॉ. शंकरबाबा पापलकर के कामों की दखल ली और हाल ही में रेल्वे भर्ती बोर्ड (मुंबई) द्वारा ली गई परीक्षा में शंकरबाबा पापलकर के कामों के संबंधित एक प्रश्न का समावेश किया गया. जिससे शंकरबाबा पापलकर के समाजकार्य को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है.
* रेल्वे बोर्ड की परीक्षा में पूछा गया था यह प्रश्न
रेल्वे बोर्ड द्वारा हाल ही में ली गई परीक्षा में 18 वें क्रमांक का प्रश्न था कि, डॉ. शंकरबाबा पुंडलिकराव पापलकर ……. के जीवन को बेहतर बनाने के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाते है. इस सवाल के जवाब में बहुपर्यायी पद्धति के जरिए दिये गये पर्यायों में ए- दिव्यांग व निराश्रीत बच्चों, बी- शिक्षा प्राप्त करने वालो, सी- किसानों व डी- वरिष्ठ नागरिकों, ऐसे चार पर्याय दिये गये थे. जाहीर है कि, इसमें से पहला पर्याय ही सही जवाब था.
* मेरे दिव्यांग बच्चों का हुआ सम्मान
रेल्वे बोर्ड द्वारा ली गई परीक्षा में खुद को लेकर पूछे गये सवाल की जानकारी मिलने पर प्रतिक्रिया देते हुए पद्मश्री डॉ. शंकरबाबा पापलकर ने इस पर आनंद व्यक्त किया और कहा कि, इस जरिए रेल्वे बोर्ड ने वझ्झर आश्रम और आश्रम में रहने वाले दिव्यांग बच्चों का सम्मान किया है.