किसानों के खेत में जाकर गेहूँ खरीद रहे व्यापारी
मध्यप्रदेश के ट्रेडर्स की खरीदी जोरो पर, भाव नहीं बढ रहे
अमरावती/दि. १२– इस वर्ष की रब्बी सीजन में गेंहूॅ की फसल निकालना शुरू है तथा गेहूं बाजार में बिक्री के लिए आ गया है. फुटकर बाजार में गेहूं की आवक कम है. भाव बढने की किसानों की अपेक्षा असफल हो रही है. भाव न बढने का मुख्य कारण व्यापारी किसानों के खेत में जाकर पूरा गेहूँ खरीद लेते है. ऐसा साबित होने लगा है. मध्यप्रदेश के ट्रेडर्स ने बडी मात्रा में किसानों के खेत के गेहूँ की खरीदी शुरू की है.
अमरावती जिले में रब्बी सीजन में चना व गेहूं की दोनों फसल ली जाती है. गेहूॅ की फ सल सिंचाई पर निर्भर होने से गेहूँ का क्षेत्र सीमित है. जनवरी माह के अंत तक बुआई होती है. इस वर्ष की तुलना में गेहूँ की बुआई कम हुई थी. जनवरी से मार्च में मौसम बदलाव ओले गिरने के समय इस बार शुरूआत में ही गेहूॅ को इस संकट का सामना नहीं करना पडा. उत्पादन भी ठीक ही हुआ है. नया गेहूॅ बाजार मेें मिलने लगा है. इसी दौरान रश्यिा-युक्रेन युध्द की शुरूआत हो गई है. गेहूँ का निर्यात होने के संकेत मिलने लगे है. जिसके कारण गेहूँ की कीमत में वृध्दि होगी. ऐसी अपेक्षा क्रेता कर रहे है. फुटकर बाजार की कीमत से निराशा व्यक्त की जा रही है.
गेहूँ की कीमत न बढने का कारण खोज करने पर पता चला कि व्यापारी किसानों के खेत में जाकर सारा गेहॅू खरीद लेते है. मध्यप्रदेश के ट्रेडर्स ने जिले के ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के खेत में जाकर गेहूँ की खरीदी शुरू की है. जगह पर दो हजार से अधिक भाव मिलने से किसानों ने भी इस ट्रेडर्स को गेहॅू बेचने की शुरूआत की है. ट्रेडर्स यहां से गेहूँ खरीद कर मिल में साफ सफाई व पैकिंग शुरू करके फिर से इसी बाजार में बेचने के लिए लाने लगे. फुटकर बाजार में मिल का गेहूॅ थोक अनाज व्यापारी के पास आ गया है. उसका भाव २७०० रूपये से अधिक है. किसानों का गेहूॅ २०५० से २१५० रूपये प्रति क्विटंल खरीदा जाता है. वहीं गेहूँ २७०० रूपये में बाजार में उपलब्ध है. गेहूँ उत्पादक किसान फुटकर बाजार में भाव बढेंगे यह सोचकर ट्रेडर्स ने किसानों के खेत में जाकर गेहूॅ खरीदकर पानी फेर दिया है. जिसके कारण किसान एक बार फुटकर बाजार में आ रहा है.
* हमारा भी होता है नुकसान
किसानों के खेत में जाकर सारा गेहूॅ खरीदने से किसानों को बढा हुआ भाव नहीं मिलता. जिससे हमारा भी नुकसान हो रहा है. किसानों के खेत में जाकर खरीदी करने से बाजार में गेहूॅ की आवक कम हो गई है. जिससे हमारा खरीदी-बिक्री का व्यवहार प्रभावित हो गया है. ऐसा बाजार समिति के अडते राजेश पाटिल ने बताया.