गटप्रवर्तक व आशा स्वयंसेविकाओं को शासकीय सेवा में कायम करें
आयटक ने प्रधानमंत्री के नाम जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
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अमरावती/दि.25 – गटप्रवर्तक व आशा स्वयंसेविकाओं को शासकीय सेवा में कायम करने और न्यूनतम वेतन देने बाबत आगामी वित्तीय बजट में प्रावधान करने की मांग को लेकर आयटक के प्रतिनिधि मंडल ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ्य मंत्री के नाम जिलाधिकारी पवनीत कौर को ज्ञापन सौपा.
ज्ञापन में कहा गया है कि, महाराष्ट्र राज्य में बहुल इलाकों सहित सभी ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के लिए वर्ष 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान शुरु किया गया. संपूर्ण देश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान में 8 लाख आशा स्वयंसेविका और 40 हजार गटप्रवर्तक कार्यरत है. इन सभी को प्रतिमाह 2 हजार रुपए मानधन दिया जाता है. इसके अलावा आशा स्वयंसेविकाओं को विविध काम के लिए काम पर आधारित मानधन दिया जाता है. जिसके मुताबिक आशा वर्करों को प्रतिमाह 6 हजार रुपए मानधन मिलता है.
आशा स्वयंसेविकाओं का काम पूर्ण समय तक रहता है. गटप्रवर्तकों का व आशा स्वयंसेविकाओं का काम कायम स्वरुप व आवश्यक काम है. उनके कारण ही देश की माता व बालमृत्यु दर कम हो गई है. उनका आम जनता तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने में बडा योगदान है. कोरोना काल में भी गटप्रवर्तक व आशा स्वयंसेविकाओं ने अपनी जान की परवाह किए बिना काम किया. इस कारण गटप्रवर्तकों को तृतीय श्रेणी तथा आशा स्वयंसेविकाओं को चतुर्थ श्रेणी देकर कायम कर्मचारी दर्जा देने की मांग ज्ञापन में की गई है. इसके अलावा वर्ष 2018 से मानधन में बढोत्तरी न करने पर रोष जताते हुए कोरोना योद्धा के रुप में न्यूनतम वेतन देकर सम्मानित करने, गटप्रवर्तकों को प्रतिमाह 22 हजार तथा आशा स्वयंसेविकाओं को प्रतिमाह 18 हजार ुरुपए देने का प्रावधान आगामी वित्तीय बजट में करने की मांग की गई है. ज्ञापन सौपने वालों में आयटक के जिला सचिव प्रफुल देशमुख, आशा इंगोले, सुनीता सुखदान, रेखा मोहोड, अर्चना राउत, मंदा गल्लीवाले, निर्मला सोनवणे, अंजलि तानोड, पद्मा माहुलकर, वनीता कडू, प्रणिता वाहने का समावेश था.