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एमआईडीसी ने दिया राज्य के उद्योजकों को झटका!

सभी उद्योजकों को 80 सेवाओं के लिए 6 वर्ष के जीएसटी सहित दंड भरने की नोटीस

अमरावती/दि.20 – एमआईडीसी क्षेत्र में रहने वाले उद्योगों को प्रदान की जाने वाली करीब 80 तरह की सेवाओं के लिए विगत 6 वर्ष से जीएसटी के ब्याज व दंड से शुल्क अदा करने की नोटीस महाराष्ट्र राज्य औद्योगिक विकास महामंडल यानि एमआईडीसी द्बारा राज्य के उद्योजकों के नाम जारी की गई है. जिसे राज्य के उद्योजकों को एक तरह का तगडा झटका माना जा रहा है. वहीं दूसरी ओर इस विषय को लेकर राज्य के उद्यौगिक संगठनों द्बारा सोमवार को बुलाई गई ऑनलाइन बैठक में पानी के बिल को छोडकर किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं भरने का निर्णय लिया गया है. साथ ही जरुरत पडने पर अदालत में जाने की तैयारी भी दर्शायी गई है. इन औद्योगिक संगठनों का कहना रहा कि, एमआईडीसी ने अपने द्बारा भेजे गए बिल में से पानी का बिल अलग करके देना चाहिए और उसी बिल का उद्योजकों द्बारा भुगतान किया जाएगा.

* एमआईडीसी देती है यह सेवाएं
नया नल कनेक्शन, नया ड्रेनेज लाइन कनेक्शन, निर्माण अनुमति, भूखंड हस्तांतरण, नये भूखंड का विक्री व्यवहार, उद्योजक के उपकिराएदार को अनुमति, रास्ता दुरुस्ती, जलापूर्ति, उद्योग प्रमाणपत्र, निर्माण पूर्णत्व प्रमाणपत्र, विकास शुल्क, भूखंड के उपयोग बदल की अनुमति, कंपनी के नाम में बदलाव की अनुमति, पर्यावरण शुल्क, लिफ्ट चार्जेस, फायर सर्विसेस, भूखंड किराए का व्यवहार सहित करीब 80 तरह की सेवाएं एमआईडीसी द्बारा प्रदान की जाती है और इन सभी सेवाओं पर जीएसटी एवं ब्याज सहित आवश्यक शुल्क आगामी 8 दिन के भीतर जमा करने की नोटीस एमआईडीसी द्बारा राज्य के सभी उद्योजकों को भेजी गई है.

* जीएसटी के ब्याज व दंड सहित बकाया रकम अरबों रुपए
ज्ञात रहे कि, राज्य में कुल 289 एमआईडीसी है. जिनमें लाखों कंपनियां व कारखाने है. ऐसे में उनकी ओर बकाया रहने वाले जीएसटी व दंड की रकम अरबों रुपयों के पेठे में है. जिसे वसूल करने के लिए एमआईडीसी द्बारा उद्योजकों के नाम नोटीस जारी किया गया है. ऐसे में इसे लेकर रास्ता निकालने हेतु सभी औद्योगिक संगठनों द्बारा बहुत जल्द राज्य के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, उद्योगमंत्री एवं एमआईडीसी के सीईओ से मुलाकात की जाएगी. साथ ही इस पर कोई सकारात्मक प्रतिसाद नहीं मिलने पर कोर्ट में गुहार लगाने की तैयारी भी संगठनों द्बारा की जा रही है.

* 1 जुलाई 2017 से लागू है एसजीएसटी व सीजीएसटी
– ज्ञात रहे कि, पूरे देश में 1 जुलाई 2017 से एसजीएसटी व सीजीएसटी लागू हुई है और उद्योजकों को 1 जुलाई 2017 से 4 जुलाई 2022 की कालावधि के लिए नोटीस जारी की गई है.
– सीजीएसटी विभाग के दक्षता पथक ने जब एमआईडीसी द्बारा दी जा रही 80 तरह की सेवाओं की जांच की, तो पता चला कि, किसी भी सेवा पर एसजीएसटी व सीजीएसटी नहीं लगाई गई है. जिसके चलते सरकार का काफी बडे पैमाने पर राजस्व डूब रहा है. यह निष्कर्ष निकाले जाने के बाद एमआईडीसी के अधिकारियों ने हडबडाकर नींद से जागते हुए उद्योजकों के नाम धडाधड नोटीस जारी करना शुरु किया. लेकिन इसे लेकर राज्य के उद्योजकों में अच्छे खासे असंतोष की लहर है.

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