अमरावतीमहाराष्ट्र

एमआईडीसी का आरओ ऑफिस बना भ्रष्टाचार का अड्डा

अभी छोटी मछली फंसी जाल में, बडी मछली का पकड में आना बाकी

* भ्रष्टाचार का ‘आका’ भी अभी पहुंच से बहुत दूर
अमरावती /दि.8– एमआईडीसी के स्थानीय प्रादेशिक कार्यालय के एक रिश्वतखोर कर्मचारी को एसीबी के अधिकारियों ने 10 हजार रुपए की रिश्वत स्वीकार करते हुए रंगेहाथ धरदबोचा. जिसके चलते एमआईडीसी के प्रादेशिक कार्यालय में होने वाले भ्रष्टाचार की एक बार फिर चर्चाएं शुरु हो गई है.
बता दें कि, विगत 4 फरवरी को दोपहर एमआईडीसी के आरओ ऑफिस में ही एसीबी के दल ने अपना जाल बिछाते हुए रिश्वतखोर कर्मचारी को पकडा था. जिसके खिलाफ राजापेठ पुलिस थाने में अपराध भी दर्ज किया गया. कोई कर्मचारी यदि अपने ही कार्यालय में बैठकर रिश्वत लेता है, तो उस कार्यालय की संस्कृति ही घूसखोरी वाली हो चुकी है. ऐसा संदेह इस ट्रैप के चलते जताया जा रहा है. साथ ही जिस कर्मचारी को एसीबी द्वारा पकडा गया, वह क्लास-3 का कर्मचारी है. जिसके चलते माना जा रहा है कि, अभी तो एसीबी के जाल में एक बेहद छोटी मछली फंसी है तथा बडी मछली और इन दोनों मछलियों का आका फिलहाल पकड से बाहर है. ऐसे में पूरे मामले की सघन जांच किये जाने की संभावना जतायी जा रही है.

* फिर्यादी से काफी चक्कर लगवाये
नांदगांव पेठे एमआईडीसी में अपनी बहन के नाम पर रहने वाले प्लॉट को पिता के इलाज हेतु सरेंडर करने और इससे मिलने वाली रकम के जरिए पिता के मुख कर्करोग का इलाज करने हेतु व्यंकटेश कालोनी निवासी आकाश नामक युवक ने एमआईडीसी के आरओ आफिस पहुंचकर आवेदन किया था. परंतु वहां के सहायक मोतीराम ढोेरे ने सरेंडर किये जाने वाले भूखंड के 9 लाख 30 हजार रुपए फटाफट निकालकर देने हेतु 25 हजार रुपए की रिश्वत मांगी और इससे पहले 5 हजार रुपए की घूस भी दी.

* एसीबी के लिए बडी मछली की खोज जरुरी
भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग द्वारा एमआईडीसी के प्रादेशिक कार्यालय में घुसखोरी के मुखिया को खोजकर निकाला जाये और उसका बयान दर्ज करते हुए उस बडी मछली के खिलाफ भी कार्रवाई की जाये, ऐसी मांग एमआईडीसी से संबंधित उद्योजकों व प्लॉट धारकों द्वारा की गई है. साथ ही अब यह चर्चा भी चल रही है कि, मोतीराव ढोरे को केवल एक छोटा सा प्यादा है. वहीं घुसखोरी व भ्रष्टाचार का असली वजीर तो नाम के लिए ही ‘शांत’ रहने वाला एक अधिकारी है.

* बडी मछली की हिस्सेदारी जरुर होगी
विगत मंगलवार को एसीबी द्वारा लगाये गये ट्रैप के चलते भले ही 10 हजार रुपए की रिश्वतखोरी का मामला उजागर होते ही एसीबी के रिकॉर्ड पर आया है और इस मामले में तृतीय श्रेणी कर्मचारी को पकडा गया है. परंतु मांगे गये 25 हजार रुपयों में चेहरे से ‘शांत’ रहने वाले बडे अधिकारी की हिम्मेदारी भी थी. इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता, ऐसा आरओ ऑफिस में अब खुलेआम कहा जा रहा है.

* ढोरे का मुंह खुलवाना जरुरी
रिश्वत की रकम लेते हुए रंगेहाथ पकडे गये मोतीराम ढोरे का यदि एसीबी द्वारा मुंह खुलवाया जाता है, तो एमआईडीसी के कई बडे अधिकारियों के नाम सामने आ सकते है और उनकी असलियत भी उजाकर हो सकती है, ऐसी चर्चा स्थानीय औद्योगिक क्षेत्र में चल रही है.

* ‘लक्ष्मी दर्शन’ के बिना फाइल नहीं सरकती आगे
संभाग के पांच जिले के कार्यक्षेत्र रहने वाले एमआईडीसी आरओ ऑफिस के काम का दायरा इन दिनों काफी अधिक बढ गया है. वहीं दूसरी ओर फाइल पर ‘लक्ष्मी’ रुपी वजन रखे बिना तथा फाइल के भीतर ‘हरी पत्ति’ रहे बिना किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर भी नहीं होते. ऐसी जानकारी अब इस ट्रैप के बाद सामने आने लगी है. एमआईडीसी में रोज के प्रशासकीय व्यवहार एवं पांचों जिलों के भूखंडों को देखते हुए वहां पर ‘लक्ष्मी दर्शन’ कराये बिना कोई ही नहीं होता. ऐसा अब खुलेआम कहा जा रहा है.

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