5 रुपए का दूध अनुदान केवल कागजों पर ही
दूध संघों द्वारा संगणक प्रणाली पर जानकारी भरने में कोताही
पुणे/दि.14– गाय की दूध का उत्पादन करने वाले किसानों को प्रति लीटर 5 रुपए का अनुदान देने के संदर्भ में राज्य सरकार का निर्णय केवल कागजों पर ही दिखाई दे रहा है. क्योंकि दूध संघों द्वारा संगणक प्रणाली पर इसे लेकर जानकारी भरने में कोताही की जा रही है. बता दें कि, राज्य में करीब 70 लाख दूध उत्पादक व्यवसायी है. जिसमें से केवल 41 हजार 500 किसानों को ही अब तक केवल 4 करोड रुपयों की निधि वितरीत की गई है.
ज्ञात रहे कि, नवंबर-दिसंबर माह के दौरान गाय के दूध की दरें घटकर 25 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गई थी. जिसके बाद जनवरी माह में राज्य सरकार ने गाय के दूध हेतु प्रति लीटर 5 रुपए का अनुदान देने का निर्णय घोषित किया था. जिसके तहत सबसे पहले सहकारी दूध उत्पादक संघ तथा इसके उपरान्त निजी दूध संघों में दूध डालने वाले सभी किसानों को प्रति लीटर 5 रुपए का अनुदान देने का निर्णय लिया गया था. यह योजना समूचे राज्य में 11 जनवरी से 10 फरवरी 2024 के दौरान चलाई जाने वाली थी. जिसके तहत किसानों को सीधे तौर पर अनुदान की राशि मिलने वाली थी. परंतु यह अनुदान मिलने हेतु 3.5 स्निग्ंधांश (फैट) व 8.5 घन पदार्थ यानि सॉलीड नॉट फैट (एसएनएफ) रहने वाले दूध के लिए 27 रुपए प्रति लीटर रुपए के दाम देना सहकारी व निजी दूध संघों हेतु अनिवार्य किया गया था. साथ ही दूध उत्पादक किसानों के जानवरों की टैगिंग करने दूध उत्पादक किसानों के आईडी, आधार कार्ड व बैंक खाते का आपस में लिंक रहने को भी अनिवार्य किया गया है.
* अनुदान मिलने में दिक्कत
अनुदान मिलने हेतु गाय के दूध को 27 रुपए प्रति लीटर का दाम देना आवश्यक है. परंतु दूध पॉउडर व बटर का उत्पादन करने वाले दूध संघों द्वारा 25 रुपए प्रति लीटर अथवा उससे कम दाम दिये जाते है. साथ ही गाय के दूध हेतु 3.5 के फैट व 8.5 के एसएनएफ का रहना भी आवश्यक किया गया है. जबकि हकीकत में कुल दूध में से 25 फीसद दूध इस मानक को पूरा नहीं कर सकता है. वहीं दूसरी ओर सहकारी व निजी दूध संघों ने किसानों एवं दूध उत्पादन की जानकारी को राज्य सरकार की संगणक प्रणाली पर अब तक अपडेट व अपलोड नहीं किया है. साथ ही कुछ दूध संघों ने किसानों को दिये जाने वाले 5 रुपए के अनुदान में से प्रति लीटर 50 पैसे का अनुदान दूध संघों को देने की मांग की है.
5 रुपए प्रति लीटर का अनुदान सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा कराया जाएगा. यह योजना बेहद पारदर्शक और दूध उत्पादकों के लिए हितकारक है. योजना में रहने वाली दिक्ततों को दूर करने में हाल ही में एक बैठक हुई है. साथ ही अधिक से अधिक दूध उत्पादकों को अनुदान देने का प्रयास किया जा रहा है.
– प्रशांत मोहोड,
आयुक्त, दूग्ध व्यवसाय विभाग.