अमरावती/प्रतिनिधि दि.१७ – कोरोना काल में बहुत से लोगों का मन नकारात्मकता से प्रभावित हुआ है. नकारात्मकता मन की ऐसी स्थिति है जिसमें मन की अच्छी भावनाएं, जिन्हें हर मन विटामिन कह सकते है, जैसे कि आशा, विश्वास, साहस इत्यादि दब जाती है. इनकी जगह नकारात्मक भावनाएं जैसे की डर, चिंता, हताशा और डिप्रेशन मन पर कब्जा कर लेती है. कोरोनाकाल में लोग ज्यादा चिंतित हो रहे है. क्योंकि अपने मन की चिंताओं को वे किसी को भी कह नही पा रहे है, क्योंकि भविष्य में वे उदासी को नहीं देख पा रहे. ऐसे में प्रश्न यह है कि कैसे हम इन नकारात्मक भावनाओें से बचें और इस समय को भरपूर जियें इसके लिए जो पहला मंत्र अपने मन में रखना है, वो यह है कि बदल जाना समय का स्वभाव है. बुरे समय की यह रात जो हताश मन सौ सूरज अवश्य निकलेगा यह समय कभी तरह के तर्क देगा कि न इसकी न सुने. खतम नही होगा, लेकिन नहीं आता. मन जब तक सूरज निकल नहीं आता मन के एक कोने में आशा का दीपक जरुर जलाय रखे, ऐसी अपील डॉ. आशा हरवानी ने की.
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नियमित व्यायाम जरुर करें
डॉ. हरवानी के अनुसार कोरोना वायरस संक्रमण, सोशल डिस्टेसिंग जीवन की गति ना रोके. इसके लिए जीवन में अनुशासन लाना होगा. अपनी दिनचर्या को नई वास्तविकता के अनुसार ढालना चाहिए आज कल बहुत लोग घर से काम कर रहे है. घर से निकलना कम हो गया है, ऐसे में नियमित व्यायाम, शरीर व मन को खुश रखने के लिए बेहद जरुरी हे. जब भी संभव हो धूप और बारिश का आनंद ले. पेड-पौधों पर ध्यान दे, प्रकृति के जितना निकट रहेंगे उतना मन प्रसन्न रहेगा. मित्रों से संपर्क रखे. मन की सुने और अपने मन की कहे.
मित्रों से डेली संपर्क बनाए रखें
अपने किसी ना किसी करीबी मित्र या रिश्तेदार से रोजाना फोन पर बात जरुर करें. खुद को अलग थलग बिल्कुल ना करें, कोशिश करें कि अपने परिचय के दायरे के बाहर भी लोगों को मदद कर सके, इससे संतुष्टि मिलेगी, जीवन को नया अर्थ मिलेगा. घर में रहते हुए भी काफी कुछ कर सकते है, हम घर बैठे-बैठे कई जरुतमंदों को भोजन सामग्री एक साथ जुटाकर भेज सकते है. यदि हम चाहे तो नेटवर्किंग के जरिये क्या क्या नहीं कर सकते. हम सब इस कोरोना काल में अपने जीवन और अधिक समाजोपयोगी बनाने की कोशीश कर सकते है. कोरोनाकाल यह स्वयं को साबित करने का एक अवसर है कि इंसान के मन की ताकत असीमित है और हम एक दूसरे का साथ देते हुए किसी भी चुनौती का सामना कर सकते है.