अमरावतीमहाराष्ट्र

कैंब्रिज का मौका छूटा और सुपर-30 का जन्म

पद्मश्री आनंद कुमार ने कहा

* विद्यार्थियों से कहा- करते रहें शोध
अमरावती /दि.22– कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने दाखिले के लिए 1994 में अवसर मिला था, किंतु आर्थिक परिस्थिति कमजोर रहने से कैंब्रिज में नहीं जा पाया. इसका बडा आघात मेरे परिवार और पिता को लगा. पिता को दिल का दौरा पडा एवं उनकी मृत्यु हो गई. किंतु इस अपघात के बाद भी निराश नहीं हुआ. नये उत्साह से काम करते हुए सुपर-30 की कल्पना सूझी. उपरान्त साकार की. यह बात पद्मश्री आनंद कुमार ने कही. वे सोमवार को पीआर पोटे पाटिल एज्यूकेशन ग्रुप के तकनीकी उत्सव टेक्लॉन्स-25 का उद्घाटन करने पधारे थे. इस समय उनसे संक्षिप्त संवाद का अवसर मिला.
* बुद्धिमत्ता का हो सर्वत्र उपयोग
पद्मश्री कुमार ने कहा कि, आईआईटी में विद्यार्थी नये रुप में तैयार हो रहे हैं. विद्यार्थियों की बुद्धिमत्ता का सर्वत्र उपयोग होना चाहिए. उसी प्रकार विद्यार्थियों को भी सतत शोध में लगे रहना चाहिए. नये आईडीया आज मार्केट की बडी डिमांड है. उन्होंने स्वीकार किया कि, अब तक देश के संशोधनों का प्रभावी उपयोग कदाचित नहीं हो पाया. संशोधन का उपयोग देश की प्रगती हेतु होना चाहिए.
* बढिया काम कर रही नई पीढी
पद्मश्री आनंद कुमार ने कहा कि, जानकारी के चौतरफा विंडो खुले हैं. जिससे देश की नई पीढी जानकारी जुटाकर बढिया काम कर रही है. विद्यार्थियों को कुछ नया करते समय शॉटकट का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि, बडे लोगों से सीख लेते हुए हमेशा यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि, कोई भी अचानक बडा नहीं होता, उसके पीछे बडा संघर्ष, परिश्रम होता है. कुमार ने उत्तरी भारत में अपने सुपर-30 कोचिंग क्लास से धूम मचा दी. वे लगभग नि:शुल्क कोचिंग क्लास लेते. अब तक सैकडों विद्यार्थियों को आईआईटी और बडे शिक्षा संस्थाओं में प्रवेश का मार्ग सरल कर चुके हैं. कुमार ने विद्यार्थियों से असफलता से बिल्कुल नहीं डरने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि, हमें अपने प्रयत्न सतत जारी रखने चाहिए.

* नई शिक्षा नीति छात्र हित में
पद्मश्री कुमार ने पीएम मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति को विद्यार्थियों के हित में बताकर उसके कई प्रावधानों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि, डिग्री प्राप्त न करने पर भी उस विषय मेें की गई वर्ष दो वर्ष की पढाई का भी प्रमाणपत्र दिये जाने का नई नीति में समावेश है. यह स्वागतयोग्य है. उसी प्रकार विद्यार्थियों को मातृभाषा में शिक्षा पर बल दिया गया है. यह भी प्रशंसनीय है. उन्होंने विद्यार्थी एक साथ अन्य विषय का भी अध्ययन कर सकेंगे, यह श्लाघनीय है.

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