विधायक रवि राणा को मिली बडी राहत
विधानसभा चुनाव में तय मर्यादा से अधिक खर्च नहीं किया राणा ने
* चुनाव आयोग ने 1 अप्रैल को दिया निर्णय
* सुनील खराटे ने की थी शिकायत
अमरावती/दि.8– वर्ष 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी रहनेवाले रवि राणा ने निर्वाचन आयोग द्वारा तय की गई खर्च की अधिकतम सीमा 28 लाख रूपये से कही अधिक राशि अपने चुनाव प्रचार पर खर्च की थी. इस आशय की शिकायत शिवसेना के जिला प्रमुख सुनील खराटे तथा सेना पदाधिकारी सुनील भालेराव द्वारा जिला निर्वाचन विभाग सहित केंद्रीय निर्वाचन आयोग से की गई थी. जिस पर हुई सुनवाई के उपरांत केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने इस शिकायत को खारिज करते हुए कहा कि, रवि राणा ने वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में अधिकतम सीमा से अधिक खर्च नहीं किया है. निर्वाचन आयोग द्वारा विगत 1 अप्रैल को दिये गये इस निर्णय से वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से विजयी रहे विधायक रवि राणा को बडी राहत मिल गई है.
बता दें कि, वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद शिवसेना पदाधिकारियों सुनील खराटे व सुनील भालेराव ने 21 नवंबर 2019 को जिला निर्वाचन अधिकारी के समक्ष विधायक रवि राणा के खिलाफ निर्वाचन आयोग के नियमों व निर्देशों के उल्लंघन को लेकर शिकायत दर्ज करायी थी. जिसमें कहा गया था कि, विधायक रवि राणा ने निर्वाचन आयोग द्वारा तय की गई खर्च की अधिकतम सीमा 28 लाख रूपये से कही अधिक रकम अपने चुनाव प्रचार के दौरान खर्च की है. अत: मामले की जांच करते हुए विधायक रवि राणा के निर्वाचन को खारिज किया जाये. पश्चात जिला निर्वाचन विभाग ने विधायक रवि राणा द्वारा दिये गये खर्च के ब्यौरे एवं सेना पदाधिकारियों द्वारा की गई शिकायत को लेकर अपनी जांच-पडताल शुरू की. जिसमें जिला निर्वाचन अधिकारी ने मान्य किया था कि, रवि राणा द्वारा 28 लाख रूपये की अधिकतम खर्च सीमा को पार कर लिया गया था. जिसके उपरांत केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा विधायक रवि राणा को कारण बताओ नोटीस जारी करते हुए उनसे खर्च का विस्तृत ब्यौरा दोबारा मांगा गया.
विधायक रवि राणा द्वारा केंद्रीय निर्वाचन आयोग को दिये गये जवाब से संतुष्ट होने के बाद आयोग ने माना कि, जिला निर्वाचन विभाग का आदेश जिला खर्च नियंत्रण व देखरेख समिती द्वारा 21 नवंबर 2019 की प्राथमिक रिपोर्ट पर आधारित है और जिला खर्च देखरेख व नियंत्रण समिती ने कई ऐसे खर्चों को भी प्रत्याशी के नाम पर जोड दिया है. जिसे लेकर सेना पदाधिकारियों द्वारा शिकायत दर्ज करायी गई थी. जबकि उन खर्चों का प्रत्याशी से सीधे तौर पर कोई संबंध नहीं था. इसके तहत कहा गया कि, चुनाव प्रचार जारी रहने के दौरान 20 अक्तूबर 2019 को जिला खर्च नियंत्रण समिती ने कुल 3 हजार 310 सहायता कार्ड एक व्यक्ति के पास से बरामद किये थे. जिनमें सीधे नंबर के तौर पर अंतिम सिरियल नंबर 79712 दर्ज था. ऐसे में समिती ने 5.50 रूपये प्रति कार्ड के हिसाब से प्रचार खर्च में 4 लाख 38 हजार 416 रूपये जोड लिये, क्योंकि इस सहायता कार्डों पर प्रत्याशी के नाम व चित्र सहित प्रत्याशी का चुनाव चिन्ह प्रकाशित था. इसी तरह पहले से रिकॉर्डेड वाईस मैसेज के लिए भी 1 लाख 95 हजार 595 रूपये का खर्च प्रत्याशी के नाम पर जोडा गया. समिती ने यह मान लिया कि, ऑटोमेटेड वॉईस कॉल संबंधित क्षेत्र के मतदाताओं को की गई. जिन्हें यह पहले से रिकॉर्डेड वॉईस मैसेज सुनाया गया. जबकि इन दोनों खर्चों से प्रत्याशी का कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं होता. इसके साथ ही प्रत्याशी द्वारा अपना कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहने को लेकर अखबार में प्रकाशित विज्ञापन का खर्च 9 हजार 990 रूपये दर्शाया गया. जबकि इसके लिए 29 हजार 148 रूपये के खर्च को मान्यता दी. ऐसे में समिती ने विज्ञापन पर हुए खर्च की राशि 39 हजार 138 रूपये ग्राह्य मानी. जिसमें से आयोग ने 29 हजार 148 रूपये को कम कर दिया. इसके अलावा 12 हजार 800 रूपये मूल्य की साडी और 48 हजार 510 रूपये की नकद बरामद होने और इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बावजूद इसे चुनाव खर्च में जोडा गया. जबकि इसे खर्च में ग्राह्य नहीं माना जा सकता. इसी तरह एक वीडियो फूटेज के आधार पर मसाला भात के वितरण पर 60 हजार रूपये का खर्च होने की बात समिती ने ग्राह्य मानी थी. जिसे आयोग ने खारिज कर दिया. इसके अलावा जिला खर्च देखरेख व नियंत्रण समिती ने पहले चुनाव प्रचार बूथ पर राणा द्वारा 9 लाख 25 हजार 864 रूपये खर्च होने की बात कही थी. किंतु बाद में खुद समिती ने ही इसमें से 5 लाख 22 हजार रूपये घटाकर इस पर हुए खर्च की राशि को 4 लाख 3 हजार 864 रूपये ग्राह्य माना. इन सबके साथ ही खर्च नियंत्रण समिती ने चुनाव काल के दौरान हुए एक संगीतमय कार्यक्रम के लिए भी राणा के चुनाव खर्च में 3 लाख 99 हजार 320 रूपये की राशि जोडी थी. एक घंटे के इस संगीत कार्यक्रम के वीडियो में विधायक रवि राणा और उनकी पत्नी नवनीत कौर राणा ने शिरकत करते हुए राजनीतिक वक्तव्य देकर वोट मांगे थे, ऐसा समिती का कहना था. इसके साथ ही शिकायतकर्ताओं ने विधायक रवि राणा पर प्रचार काल के दौरान चुनाव जीतने हेतु निर्वाचन आयोग के कई दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने और गडबडियां करने को लेकर भी अपनी शिकायत दर्ज करायी थी. जिसके उपरांत निर्वाचन आयोग ने जिला निर्वाचन विभाग एवं खर्च नियंत्रण व देखरेख समिती की रिपोर्ट को अपने स्तर पर जांचा. साथ ही इस संदर्भ में विधायक रवि राणा से भी उनका जवाब मांगा.
उल्लेखनीय है कि, जहां एक ओर जिला खर्च व नियंत्रण समिती ने निर्दलीय प्रत्याशी रवि राणा द्वारा चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों पर 41 लाख 88 हजार 402 रूपये खर्च किये जाने की बात कही थी. वहीं खुद रवि राणा ने अपने द्वारा 17 लाख 77 हजार 933 रूपये खर्च किये जाने का ब्यौरा जिला निर्वाचन विभाग को प्रस्तुत किया था. साथ ही इस संदर्भ में जिला निर्वाचन विभाग द्वारा अतिरिक्त खर्च को लेकर पूछे गये सवालों के संदर्भ में स्पष्टीकरण भी दिया था. यहीं स्पष्टीकरण विधायक रवि राणा द्वारा निर्वाचन आयोग को भी दिया गया. जिसमें उन्होंने कहा कि, 20 नवंबर 2019 को पकडे गये सहायता कार्ड से उनका कोई संबंध नहीं है और उन्होंने ऐसे कोई कार्ड नहीं छपवाये थे. इसी तरह जिस मोबाईल फोन से क्षेत्र के मतदाताओं को प्रि-रिकॉर्डेड ऑडिओ मैसेज सुनाने हेतु ऑटोमेटेड वॉईस कॉल किये गये थे, उस फोन नंबर से भी विधायक रवि राणा या उनसे संबंधित किसी भी व्यक्ति का कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया. इसी तरह साडी व नकद राशि बरामद होनेवाले मामले से भी रवि राणा का संबंध साबित नहीं हुआ. साथ ही जिस पुलिस थाने में इस मसले को लेकर शिकायत दर्ज करायी गई, वह पुलिस थाना भी बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र में नहीं आता. इसके अलावा मसाला भात के वितरण से भी रवि राणा ने अपने से संबंधित किसी भी व्यक्ति का कोई संबंध नहीं रहने की बात कही. इसी तरह संगीत कार्यक्रम को लेकर भी प्रत्याशी का कहना रहा कि, यह आयोजन उनके द्वारा आयोजीत नहीं किया जाता, बल्कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा आयोजीत इस कार्यक्रम में उन्हें विधायक होने के नाते और उनकी पत्नी को सांसद होने के नाते आमंत्रित किया गया था. अत: इस कार्यक्रम पर हुए खर्च से उनका कोई लेना-देना नहीं है. अत: इन खर्चों को प्रत्याशी के खर्च में नहीं जोडा जा सकता. इसी तरह रवि राणा ने यह भी कहा कि, प्रचार बूथ के तौर पर जिला खर्च नियंत्रण समिती द्वारा ग्राह्य पकडा गया 7 लाख 98 हजार 716 रूपये का खर्च भी सही नहीं है. क्योंकि किस हेतु प्रयोग में लाये गये टेंट, कुर्सी, बैनर व वर्कर्स को सप्लायर के जरिये उपलब्ध कराया गया और यह सब साजो-सामान व मनुष्यबल एक ही दिन के दौरान अलग-अलग रैली व सभा में प्रयुक्त होता है. अत: इसका केवल किराया ही ग्राह्य माना जाना चाहिए, न कि पूरा लागत मूल्य, ऐसे तमाम स्पष्टीकरण विधायक रवि राणा द्वारा केंद्रीय निर्वाचन आयोग को दिये गये. जिसे बेहद पुख्ता मानते हुए केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने सुनील खराटे व सुनील भालेराव द्वारा दर्ज करायी गई शिकायत को निरस्त कर दिया. साथ ही विधायक रवि राणा द्वारा दिये गये स्पष्टीकरण को ग्राह्य मानते हुए स्वीकार किया कि, विधायक रवि राणा ने विधानसभा चुनाव में तय मर्यादा से अधिक खर्च नहीं किया है.