* पुलिस की आरोपियों पर बडी एक्शन
अमरावती/दि.17 – पुलिस ने पठानपुरा झेंडा चौक में गत दिसंबर में हुए प्रॉपर्टी डीलर शोएब परवेज अब्दूल रशीद की हत्या के मामले में बंदी बनाए गये आरोपी मोहम्मद खालिद पहलवान, इमरान जवाई, अब्दूल रफीक अब्दूल रहीम, अब्दूल फहीम अब्दूल सलीम, अब्दूल आवेद उर्फ गुड्डू और अब्दूल मोहसीन अब्दूल बशीर पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम मकोका चस्पां किया है. आरोपियों में से तीन मो. इमरान उर्फ जवाई, मो. खलिफ उर्फ पहलवान और अब्दूल रफीक पहले जिला बदर अर्थात तडीपार भी किये गये थे. पुलिस ने आज पूरी टोली पर मकोका लगा दिया.
* 15 दिनों तक मृत्यु से संघर्ष
बता दें कि, विगत 20 दिसंबर की देर रात आरोपियों ने शोएब परवेज पर उस समय चाकू से प्राणघातक हमला किया, जब वह ससुर के घर से क्रेटा गाडी से लौट रहा था. हमले में शोएब गंभीर रुप से घायल हो गया. उसे उपचार के लिए पहले सुयश और बाद में एक्झॉन हॉस्पिटल में भर्ती किया गया. उसकी जबानी रिपोर्ट पर पुलिस ने हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया. उपचार दौरान 5 जनवरी को शोएब की मृत्यु हो जाने से धारा 302 लगाई गई.
* आरोपी थे तडीपार
पुलिस ने बताया कि, आरोपी मो. इमरान, मो. खलिफ और अब्दूल रफीक को जिले से तडीपार करने के बाद भी आरोपी बगैर इजाजत शहर में नागपुरी गेट थाने की हद में घुस आये थे. उनके विरुद्ध महाराष्ट्र पुलिस कानून की धारा 142 के तहत कार्रवाई की गई. सभी आरोपी अभी जिला कारागार में बंदी है.
* इमरान टोली पर कार्रवाई
पुलिस ने देखा कि, जांच में टोली के मुखिया मोहम्मद इमरान उर्फ जवाई मोहम्मद जमील (36, नूर नगर) ने अपने और टोली के सदस्यों के आर्थिक लाभ एवं अपराध में वर्चस्व के लिए कई संगीन अपराध किये है. आयुक्तालय क्षेत्र के अनेक थानों में कई प्रकरण दर्ज है. इसलिए पुलिस आयुक्त की अनुमति से आरोपियों पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम 1999 की धारा 3 (1) (2), 3 (2), 3 (4) लगाया गया है. यह कार्रवाई सीपी रेड्डी के मार्गदर्शन में उपायुक्त परिमंडल-1 सागर पाटिल, पूनम पाटिल, वरिष्ठ निरीक्षक हनुमंत उरलागोंडावार, अंमलदार संदीप देशमुख ने उक्त कार्रवाई की. अपराध की जांच सहायक पुलिस आयुक्त अरुण पाटिल कर रहे हैं.
* क्या है और क्यों लगता है मकोका
सरकार ने 1999 में मकोका कानून बनाया था. इसका उद्देश्य संगठित और अंडरवर्ल्ड वसूली, अपहरण जैसे अपराध खत्म करना है. मकोका उन आरोपियों पर लगाया जाता है, जो संगठित अपराध करते हैं. इन मामलों में जबरन वसूली, फिरौती, अपहरण, हत्या और हत्या का प्रयास, धमकी जैसे मामले शामिल है. फिरौती से बडे प्रमाण में धन उगाही की जाती है. ऐसे मामलों में शामिल आरोपियों पर मकोका अंतर्गत कार्रवाई की जाती है. आरोपियों को आसानी से जमानत नहीं मिलती.