अमरावती

मोबाइल बना रहा बच्चों को चिडचिडा व गुस्सैल

मोबाइल के अतिप्रयोग की आदत का सामने आ रहा दुष्परिणाम

परिवार का बदलता माहौल भी साबित हो रहा वजह
अमरावती/दि.23 – कम उम्र वाले छोटे बच्चे अनुकरण से ही सबकुछ सिखते है. ऐसे मेें अभिभावक जिस तरह का व्यवहार करते है उसी का अनुकरण छोटे बच्चे द्बारा भी किया जाता है. इन दिनों चूंकि हर व्यक्ति अपने मोबाइल व स्मार्ट फोन में व्यस्त रहता है. ऐसे में छोटे बच्चों में भी मोबाइल को लेकर काफी बडे पैमाने पर आकर्षण बढ गया है. इसके अलावा खानपान व पारिवारिक वातावरण के साथ ही मोबाइल पर खेले जाने वाले आक्रामक गेम्स की वजह से बच्चों का स्वभाव भी आक्रामक व गुस्सैल हो रहा है. ऐसा मानसोपचार विशेषज्ञों द्बारा किए गए सर्वेक्षण से पता चला है. ऐसे में मानसोपचार विशेषज्ञों के मुताबिक अभिभावकों द्बारा अपने बच्चों की ओर समय रहते ध्यान दिए जाने की सख्त जरुरत है.
उल्लेखनीय है कि, इन दिनों संयुक्त परिवार की बजाय एकल परिवारों का चलन बढ गया है और दोनों अभिभावक अपने-अपने कामकाज में व्यस्त रहते है. जिसकी वजह से घर पर अकेले रहने वाले छोटे बच्चों के पास अपना अकेलापन काटने हेतु टीवी व मोबाइल का सहारा रहता है. साथ ही बच्चे अपने माता-पिता को भी पूरा समय मोबाइल व टीवी के साथ चिपके देखते है और अभिभावकों का इन दिनों अपने बच्चों के साथ संवाद काफी घट गया है. ऐसे में छोटे बच्चें भी अपना ज्यादातर समय मोबाइल व टीवी के साथ बिताने लगे है और उनका अधिकांश समय टीवी पर एक्शन फिल्म देखने या मोबाइल पर आक्रामक गेम खेलने में व्यतित होता है. जिसकी वजह से बच्चों का स्वभाव दिनोंदिन ज्यादा आक्रामक व गुस्सैल होता जा रहा है.
मानसोपचार विशेषज्ञों द्बारा किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक उनके पास आने वाले छोटे बच्चों से संबंधित 10 मामलों में से 8 मामले आक्रामक व गुस्सैल बच्चों से संबंधित होते है. जिसके पीछे मोबाइल के अतिप्रयोग की सबसे प्रमुख वजह होती है. मोबाइल से अधिकांश समय चिपके रहने वाले बच्चे अपने खाने-पीने पर पूरा ध्यान नहीं देते. साथ ही बाहर की दुनिया से भी कटे रहते है. ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि, वे अपने बच्चों के साथ प्रेमपूर्वक संवाद स्थापित करते हुए धीरे-धीरे उन्हें मोबाइल की लत से दूर करें. साथ ही जरुरत पडने पर इस काम के लिए किसी मानसोपचार विशेषज्ञ की भी सलाह लें. ताकि बच्चों का समूपदेशन किया जा सके.
* गुस्सैल के साथ ही हिंसक भी हो सकते हैं बच्चे
अभिभावक द्बारा मोबाइल नहीं दिए जाने की वजह से चिडकर बीते दिनों एक बच्चे ने अपने पिता के हाथ पर कांट खाया, ऐसा भी एक मामला सामने आया है. ऐसे में कहा जा सकता है. ही मोबाइल की लत बच्चों को गुस्सैल के साथ-साथ हिंसक भी बना रही है. इस बात को बेहद गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
* क्या सतर्कता बरतना जरुरी
अभिभावकों ने अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहिए. अभिभावकों का यह संवाद प्रेमपूर्ण होना चाहिए. यदि बच्चे के मन में किसी भी तरह का कोई गुस्सा है, तो पहले उसे अपने मन का गुस्सा बाहर निकालने हेतु बोलने का मौका दिया जाना चाहिए और इसके बाद भी उसे प्रेमपूर्वक समझाना चाहिए.
* क्यों गुस्सैल हो रहे है बच्चे
यदि अभिभावक अपने बच्चों के सामने हमेशा लडते-झगडते रहते है, तो बच्चे भी उनका अनुकरण करते है. इसके अलावा आनुवांशिकता की वजह से भी बच्चे चिडचिडे व गुस्सेल होते है. साथ ही इन दिनों मोबाइल व टीवी पर आक्रामक गेम व एक्शन फिल्म के साथ जुडे रहने की वजह से भी बच्चे आक्रामक व गुस्सैल होते है.
* समूपदेशन जरुरी
बच्चों का आक्रामक व गुस्सैल होना उनके पारिवारिक वातावरण के साथ ही मोबाइल व टीवी के अतिप्रयोग का परिणाम हो सकता है. ऐसे में बच्चों को सुधारने हेतु सबसे पहले अभिभावकों द्बारा अपने व्यवहार की भी समीक्षा की जानी चाहिए. साथ ही व्यवहार में सुधार हेतु किसी योग्य मानसोपचार विशेषज्ञ व समूपदेशक की सहायता ली जानी चाहिए, ताकि समस्या की जड तक पहुंचकर उसका योग्य निदान किया जा सके.

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