अमरावती

मोबाईल टॉवर खड़े किए, नेटवर्क और रेंज लापता

आदिवासी विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षण से वंचित

परतवाड़ा/मेलघाट दि १० -: 70 वर्षो की आजादी के बाद भी आदिवासी अंचल के असंख्य गावं आज भी बिजली,पानी,आरोग्य,सड़क और शिक्षण की सुविधाओं से वंचित है.मेलघाट के अतिदुर्गम हतरु गाँव मे डेढ़ वर्ष पूर्व एक निजी कंपनी द्वारा मोबाईल टॉवर जरूर स्थापित किया गया.किंतु इसे प्रत्यक्ष रूप से कार्यान्वित नही कर आदिवासियों का उपहास उड़ाया जा रहा.इसी के परिणाम स्वरूप लॉकडाउन में विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षण अध्ययन से भी वंचित रहना पड़ रहा.
किसी भी शासकीय योजना के मुंबई से जारी होने के बाद वो कछुआ गति से मेलघाट तक पहुंचती है.हर योजना के हाल आदिवासियों को देखने मिलते है.चिखलदरा तहसील के रुइपठार, गांगरखेड़ा, हतरु, बिबा,एकताई इन गाँवो में निजी कंपनी ने डेढ़ वर्ष से टॉवर स्थापित कर रखे.सड़क,बिजली और अन्य प्राथमिक सुविधाएं नहीं होने पर भी स्थानीय लोग इस बात पर खुश हो रहे थे कि चलो कम से कम मोबाईल की सुविधा तो मिल रही.टॉवर खड़े हो गए, मेलघाट की संवादहीनता को कागजातों पर दूर करके अधिकारी-कर्मचारी जो गये तो वो आज तक लौटकर नही आये.पंचायत समिति के सदस्य नानकराम ठाकरे इस असुविधा पर रोष प्रगट करते है.वो कहते है काटकुंभ, चुरणी परिसर में बीएसएनएल की सेवा जरूर है लेकिन उसका भी सर्वाधिक काल बंद पड़े रहने का एक रिकार्ड है.इस कारण बीएसएनएल के खिलाफ भी आदिवासियों में जबरदस्त नाराजी है.जिलाधीश शैलेश नवाल ने मेलघाट के संपर्क विहीन गाँवो को संपर्क में लाने के लिए अभियान चलाया था.आज भी हतरु परिसर में ये चार टॉवर के घोड़े लंगड़े और चलने में असमर्थ सिध्द हो रहे.इन चार गाँवो में टॉवर स्थापित होने के बाद अपेक्षा की जा रही थी कि क्षेत्र के कम से कम 20 गाँवो को इसका लाभ मिलेगा.ये गाँव तहसील मुख्यालय और शहरों के संपर्क में स्थायी होंगे.छात्रों को ऑनलाइन पढ़ने की भी सुविधा मिलेगी.प्रत्यक्ष में टॉवर शुरू ही नही होने से यह पूरा अतिदुर्गम इलाका आज भी संपर्क विहीन है.
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