अमरावती

चाणक्य नीति के नाम पर मनमानी कर रहे मोदी व शाह

संविधान विश्लेषक एड. असिम सरोदे का प्रतिपादन

* निर्भय बनो विचार मंच के व्याख्यान में कथन
* भारतीय लोकतंत्र विषय पर हुआ व्याख्यान
अमरावती /दि.11- इन दिनों अक्सर यह कहा जाता है कि, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्बारा चाणक्य नीति का अवलंब किया जा रहा है. जबकि हकीकत यह है कि, इन दोनों नेताओं द्बारा अपने फायदें के लिए कूटनीति वाली राजनीति करने के साथ ही एक तरह से मनमर्जी की जा रही है. जिसे देश व संविधान के लिए एक बडा खतरा कहा जा सकता है. अत: इसके खिलाफ समय रहते जागरुक होकर पूरी निर्भयता के साथ आवाज उठाना बेहद जरुरी है. इस आशय का प्रतिपादन मानव अधिकार व संविधान विश्लेषक एड. असिम सरोदे द्बारा किया गया.
विगत शनिवार को निर्भय बनो विचार मंच द्बारा स्थानीय संत ज्ञानेश्वर सांस्कृतिक भवन में भारतीय लोकतंत्र विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर एड. असिम सरोदे अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. पूर्व विधायक प्रा. बी. टी. देशमुख की अध्यक्षता में आयोजित इस व्याख्यान में ख्यातनाम सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. विश्वंभर चौधरी बतौर प्रमुख अतिथि उपस्थित थे. साथ ही इस अवसर पर पूर्व मंत्री व विधायक एड. यशोमति ठाकुर, पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख तथा पूर्व महापौर विलास इंगोले व मिलिंद चिमोटे भी विशेष रुप से उपस्थित रहे.
इस समय अपने संबोधन में एड. असिम सरोदे ने कहा कि, सरकारी नियमों के अनुसार किसी भी देश की कुल उपलब्ध आमदनी का 60 फीसद हिस्सा विकास कामों पर और 35 फीसद हिस्सा प्रशासनिक कामों पर खर्च होना चाहिए. लेकिन मोदी सरकार द्बारा अपनी खुद की तारीफ करने के लिए सबसे अधिक खर्च विज्ञापनबाजी पर किया जा रहा है. जिसके कारण देश का विकास प्रभावित हो रहा है. प्रधानमंत्री मोदी व उनके नेतृत्व वाली सरकार पर हमेशा ही झूठ बोलकर देश को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए एड. असिम सरोदे ने विपक्ष को भी जमकर घेरा. उन्होंने कहा कि, आज देश में जिस तरह के हालात है. उसके लिए कहीं न कहीं कांगे्रस व राष्ट्रवादी कांग्रेस जैसे प्रमुख विपक्षी दल भी जिम्मेदार है. यदि विपक्ष द्बारा अपनी भूमिका का सही ढंग से निर्वहन किया जाता, तो शायद आज मोदी सरकार को मनमानी करने का मौका नहीं मिलता. ऐसे में अब यह देश के आम नागरिकों की जिम्मेदारी बनती है कि, वे निर्भय होकर सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाए, ताकि देश में लोकतंत्र मजबूत हो और संविधान सुरक्षित रहे. इस समय एड. असिम सरोदे ने यह भी कहा कि, खुद भाजपा में भी अब मोदी को कोई खास पसंद नहीं किया जा रहा, बल्कि भाजपा में अब प्रधानमंत्री पद के लिए नितिन गडकरी सभी नेताओं की पहली पसंद है. इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि, मोदी व शाह की जोडी को लेकर स्वीकार्यता किस हद तक कम हुई है.
इस अवसर पर प्रा. बी. टी. देशमुख व डॉ. विश्वंभर चौधरी सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने भी अपने संक्षिप्त विचार रखने हुए सरकार की गलत नीतियों व मनमानी के खिलाफ निर्भयतापूर्वक विचार रखने और आवाज उठाने की जरुरत प्रतिपादित की. इस व्याख्यान को सुनने हेतु सांस्कृतिक ज्ञानेश्वर भवन का सभागार पूरी तरह से खचाखच भरा हुआ था.

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