अमरावती

मनोधैर्य योजना में अपात्र मामलों की संख्या अधिक

116 मामले प्रस्तुत, 57 मामलों में सहायता मंजूर, 132 प्रलंबित

अमरावती/दि.20– बलात्कार और लैंगिक अत्याचार से पीडित महिलाएं व लडकियों को फिर से अपने जीवन में जीने का आधार मिले. वे इस परेशानी से बाहर निकले. इसके लिए शासन ने शुरू की मनोधैर्य योजना का अमरावती जिले में 57 महिला और लडकियों को इस बार लाभ मिला. इस योजना के लिए कुल 116 मामले अभी तक प्रस्तुत किए गये थे. उसमें से 57 मामलों में मदद मंजूर हुई तथा 19 मामलों में वह नकारी गई. 132 मामले हाल ही में प्रलंबित है. विगत वर्ष 2022 में 92 मामले अपात्र घोषित किए गये है.

महिला व बालिकाओं पर अत्याचार करनेवालो को कडी से कडी सजा देने का प्रावधान कानून मेंं किया गया है. कानून में इन अपराधियों को सजा मिलने पर भी पीडिता का कोई दोष न होने पर इन्हें बडे अपमान का सामना करना पडता है. अनेकों का जीवन इस धोखे से खराब हो जाता है. पीडिता फिर अपनी आयु नये से शुरू करें. जीवन में यह धोखा सहन कर फिर से आत्मविश्वास से जीवन जी सके. इसके लिए शासन ने मनोधैर्य योजना शुरू की है. इस योजना के माध्यम से पीडित महिला और बालकों को बल देने का अभियान चलाया जाता है.

मनोधैर्य योजना में 2022 में कुल 145 मामले प्राप्त हुए है. 92 मामलों में मदद नहीं दी गई. इस वर्ष में अपात्र मामलाेंं की संख्या अधिक होने का सामने आया. इसी साल प्रलंबित मामलों की संख्या 92 है. बलात्कार, बालकों पर लैंगिक अत्याचार (लडका- लडकी दोनों ) और अ‍ॅसिड हमले में पीडित महिलाओं के लिए शासन की मनोधैर्य योजना बहुत उपयोगी सिध्द होगी. इस योजना अंतर्गत पीडित महिला को अधिक से अधिक 10 लाख तक मदद मिलती है. जिला विधि सेवा प्राधिकरण के माध्यम से पीडित को आर्थिक मदद की जाती है.

अपराध की गंभीरतानुसार पीडित को सहायता दी जाती है. मामले में एफआयआर न्यायालय के सामने दी गई जिम्मेदारी की प्रत और वैद्यकीय सबूत सहित प्राधिकरण में आवेदन देना पडता है. आवेदन दर्ज होने के बाद उसकी जांच की जाती है. शेष रकम मंजूर होने के बाद वह 10 वर्ष के लिए आवेदकों के नाम बैंक में मुदत के रूप में रखे जाते है.

सुधारित योजनानुसार 2017 आर्थिक सहायता प्रस्ताव मंजूर का अधिकार जिलाधिकारी की समिति के बदले जिला विधि सेवा प्राधिकरण को दिया गया. इस दौरान के काल में जिलाधिकारी को प्रस्ताव मंजूर किया था. परंतु निधि कौन देगा इस समस्या के कारण अनेक मामले में प्राथमिक 30 % आर्थिक सहायता भी नहीं दी गई, ऐसी शिकायतें सामने आयी है.

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