अमरावतीमहाराष्ट्र

हे हिंदु नृसिहां प्रभो शिवाजी राजा…..

‘पाडवा पहाट’ में 120 से अधिक कलाकारों ने रखा शिवचरित्र का इतिहास

* व्यंकटेश लॉन में गूंजे मंगल स्वर
* संस्कार भारती का 24 वर्षों से शानदार व यादगार आयोजन
* गुडी पूजन कर नववर्ष का किया स्वागत
अमरावती/दि.10– गुडी पाडवा इस शुभ दिन से मराठी नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है. गुडी यानी विजय पताका. गुडी पाडवा के दिन पताका (ध्वज) लगाने की परंपरा है. आज गुडी पाडवा के शुभ पर्व पर अध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगरी अंबानगरी में प्रात: से मंगल गीतों की गूंज से सुनहरी सुबह की शुरुआत हुई. विगत 24 वर्षों से पाडवा पहाट का आयोजन कर रहे संस्कार भारती का आयोजन इस बार भी शानदार और यादगार रहा. संस्कार भारती की ओर से गुडी पाडवा के शुभमुहूर्त पर व्यंकटेश लॉन में आज सुबह 5.30 बजे कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत संस्कार भारती ध्येय गीत से हुई. इसके पश्चात शिवचरित्राचा जागर इस थीम पर नृत्य, नाटय अविष्कार से प्रस्तुत किया गया. 120 से अधिक कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी.

इस अवसर पर सांसद नवनीत राणा, ईसीई के संचालक तिखिले, दिनेश बूब, डॉ.उल्हास संगई, एड.आकाश मालू, विदर्भ प्रांत अध्यक्ष सुरमणी कमलताई भोंडे, अजय देशपांडे, संस्कार भारती अध्यक्ष डॉ.जयश्री वैष्णव, आशुतोष देशपांडे इन मान्यवरों के हाथों गुडी पूजन किया गया.

पाडवा पहाट में सहभागी सभी कलाकारों ने शिवचरित्र को नाटयमंचन के जरिए रखा. शिवजन्म से लेकर शिवराज्याभिषेक को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया गया. झुलवा पाळणा बाल शिवाजीचा, हे हिंद नृसिंहा प्रभू शिवाजी राजा.., आम्ही मावळे मावळे, की प्रस्तुति ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. मुगलों के पहले के काल को पेश किया गया. इसके साथ ही मां जिजाउ ने शिवराया को दिए प्रशिक्षण और ज्ञान के बारे में कलाकारों ने प्रस्तुत किया. इस प्रकार संपूर्ण शिवचरित्र को कार्यक्रम का संचालन व आभार प्रदर्शन प्रा.सीमा पेलागडे ने किया. कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कई कलाकारों का सहयोग मिला. इनमें नृत्य दिग्दर्शक मोहन बोडे, प्रकाश मेश्राम, विद्या सावले, नाटय दिग्दर्शक प्रसाद खरे, एड.श्रेयस वैष्णव, एड.चंद्रशेखर डोरले, अजय देशपांडे, आशुतोष देशपांडे, डॉ.जयश्री वैष्णव, अरूण विधाते, दीपक जोशी, स्वप्नील जोशी, प्रा.सीमा पेलागडे, अनुराधा रघुवंशी, मोहन काटे, विदुला जोशी, प्रा.सोनाली शिलेदार, कविता गुर्जर ने विशेष प्रयास किए. कार्यक्रम में हजारों की संख्या में अमरावती वासियों की उपस्थित रहीं.

* महिने भर से की जा रही थी तैयारियां
पाडवा पहाट के लिए एक माह से तैयारियों की जा रही थी. अस्मिता विद्यामंदिर व ब्राह्मण सभा में रोजाना शाम 6 बजे से रात 8 बजे तक सहभागी कलाकारों को तालीम दी जा रही थी. छोटे-बडे मिलाकर 100 से अधिक कला साधक इसमें शामिल हुए. संगीत, नाटय, नृत्य, रंगोली, चित्रकला इस प्रकार कई उत्कृष्ट कला प्रकारों को इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रस्तुत किया गया. केवल स्थानीय कलाकारों के सहभाग से प्रस्तुत होने वाले इस कार्यक्रम में शहरवासियों का हमेशा से ही अच्छा प्रतिसाद मिलता रहा है. इसलिए संपूर्ण भारतीय परंपरा के अनुसार मंगलमय वातावरण ने नववर्ष का स्वागत करने हेतु पाडवा पहाट कार्यक्रम आज अमरावती का लोकोत्सव बन गया है.

* सुख-समृद्धि की कामना

बतादें कि, गुडी पाडवा के दिन घर के बाहर गुडी बांधकर उसका पूजन करते हैं और नए साल में सुख-समृद्धि बनी रहे ऐसी कामना की जाती है. आज यानी 9 अप्रैल से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत हो चुकी है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिन्दू नव वर्ष शुरू होता है. महाराष्ट्र में हिंदू नववर्ष को गुडी पाडवा कहा जाता है और इसे उत्साह के साथ मनाया गया. धार्मिक मान्यताओं के आधार पर ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने अपने ब्रह्मांड का निर्माण किया था.

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