अमरावती

कारागार में 50 फीसदी से अधिक कैदियों की आयु 30 वर्ष से उपर

बडे पैमाने पर अपराधों में लिप्त हो रहे युवा

  • हत्या व बलात्कार मामले के आरोपियों की संख्या ज्यादा

अमरावती प्रतिनिधि/दि.28 – स्थानीय मध्यवर्ती कारागार में विभिन्न अपराधों के तहत दोषी पाये जाने के बाद सजा काट रहे कुल कैदियोें में से 50 फीसदी कैदी 30 से 50 वर्ष आयुगुट वाले है. इनमें हत्या व बलात्कार के अपराधों में कैदियों की संख्या अधिक है. राज्य में कुल 9 मध्यवर्ती कारागार है तथा अन्य कारागारोें की तुलना में अमरावती मध्यवर्ती कारागार में महिला कैदियोें की संख्या 23 के आंकडे पर स्थिर है.
ज्ञात रहे कि, कोरोना वायरस के संक्रमण काल का परिणाम कैदियों की जीवनशैली पर भी हुआ है. और वे विगत आठ माह से अपने परिजनों व रिश्तेदारों से मिल नहीं पाये है. साथ ही इस समय तक कैदियों की उनके रिश्तेदारों के साथ मुलाकात शुरू करवाने के संदर्भ में सरकार की ओर से कोई नई गाईडलाईन भी जारी नहीं की गई है. बता दें कि, स्थानीय मध्यवर्ती कारागार की क्षमता 1020 कैदियों की है, और यहां पर इस समय 1033 कैदी रखे गये है. जिनमें 18 से 30 वर्ष आयुगुट वाले 235 तथा 30 से 50 वर्ष आयु गुटवाले 518 कैदी है. वहीं 180 कैदियों की आयु 51 वर्ष से अधिक है. अमरावती मध्यवर्ती कारागार में मुंबई बम विस्फोट मामले के कैदी भी बंद है. इसके अलावा यहां पर अमरावती जिले सहित यवतमाल, अकोला, वाशिम व बुलडाणा जिले की अदालतों द्वारा विभिन्न मामलों में सजा सुनाये गये कैदी भी रखे गये है. इन सभी कैदियों द्वारा अंजाम दी गई अपराधिक वारदातोें का आलेख देखने पर पता चलता है कि, इन कैदियों में हत्या, बलात्कार, चोरी व सेंधमारी सहित मादक पदार्थों की बिक्री में लिप्त कैदियों की संख्या काफी अधिक है. मध्यवर्ती कारागार में युवा कैदियों की लगातार बढती संख्या प्रशासन के लिए चिंता की बात है. साथ ही हत्या, बलात्कार व नशिले पदार्थ के मामलों में सबसे अधिक युवा कैदियों का ही समावेश है. इसके अलावा ऐसे अपराधों से संबंधित जीन मामलोें की अदालत में सुनवाई चल रही है, उसमें भी युवा वर्ग के आरोपी सबसे अधिक नामजद है.

  • सजा काटने के साथ ही कैदी के सुधार पर ध्यान

इन दिनों जेलों में सुधार व पुनर्वास योजना अंतर्गत विभिन्न उपाय करते हुए कैदियों में परिवर्तन लाया जा रहा है. उन्हें जेल से निकलने के बाद रोजगार प्राप्त हो, इस हेतु उन्हें कंप्यूटर प्रशिक्षण, एलईडी लाईट बनाने, सिलाई काम व बढई काम आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है.

  • हत्यारोपियों की संख्या अधिक

स्थानीय मध्यवर्ती कारागार में अदालत के आदेश पर सजा भुगतनेवाले सर्वाधिक कैदी हत्यासंबंधी मामलों से वास्ता रखते है. साथ ही दूसरे स्थान पर बलात्कार के मामलों के आरोपियों का नंबर लगता है. बुलडाणा जिले में घटित हत्या के मामले में पति-पत्नी एक साथ उम्र कैद की सजा भुगत रहे है. साथ ही कुछ कैदी हत्या के अपराध में सजा भुगतते हुए पूरी तरह से जर्जर भी हो गये है. इसके अलावा पारिवारिक विवाद, संपत्ति के झगडे और पैसों की जरूरत आदि के चलते गुस्से और द्वेषभावना से किसी की हत्या को अंजाम देनेवाले कई कैदी भी यहां पर सजा भुगत रहे है. जिसमें से कुछ लोगों ने तो बाकायदा सुपारी लेकर हत्या की थी.

  • पैसों के लिए कुछ भी करने को तैयार

सुपारी लेकर यानी पैसे लेकर किसी को मौत के घाट उतारनेवाले कैदियोें में अधिकांश की उम्र 30 से 50 वर्ष के बीच है. इसके साथ ही 18 से 30 वर्ष आयुगुट के कई युवा ऐसे भी है, जिन्होंने शराब व मादक पदार्थों के सेवन हेतु पैसों की जरूरत पूरी करने के लिए अपराधिक वारदातों को अंजाम दिया. इस तरह के कैदियों के बारे में पता चला है कि, वे पैसोें के लिए कुछ भी करने में आगे-पीछे नहीं देखते.
इस अध्ययन के दौरान पता चला कि, जिला व सत्र न्यायालय से उम्र कैद की सजा प्राप्त कई कैदियों की सजा को उच्च न्यायालय द्वारा भी कायम रखा गया है. इसमें से अधिकांश कैदियों की आयु 51 वर्ष से अधिक है.

  • पैरोल पर 250 कैदी जेल से बाहर

कोरोना संक्रमण के खतरे को टालने हेतु सरकार द्वारा जारी मार्गदर्शक तत्वों के तहत सात वर्ष से कम सजा रहनेवाले करीब 250 कैदियों को पैरोल पर छोडा गया है. पैरोल पर छोडते समय गृह विभाग द्वारा तय किये गये नियमों का पालन करते हुए ही यह कैदी जेल से बाहर है. उन्हें महिने में एक बार संबंधित पुलिस थाने में हाजरी लगानी होती है. साथ ही उनकी वजह से कानून व व्यवस्था को नुकसान नहीं पहुचेगा, ऐसा प्रतिज्ञापत्र भी लिखकर देना होता है. चूंकि अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बरकरार है. अत: पैरोल पर छोडे गये कैदी अब तक वापिस लौटकर नहीं आये है.

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