अमरावती

मोर्शी, उदखेड के गणेश मंदिरों में भाविक भक्तों की उमडी भीड

नेरपिंगलाई मेें गणेशोत्सव की सैकडों वर्षो की परंपरा

मोर्शी-/दि.6  स्थानीय जयस्तंभ चौक व तहसील अंतर्गत उदखेड तथा नेरपिंगलाइ के गणेश मंदिरों में भाविक भक्तों की भीड दर्शन के लिए उमड रही है. जयस्तंभ चौक में श्री गणेश का स्वयंभु मंदिर है. यहां पर गणेश चतुर्थी, विनायक चतुर्थी व संकट चतुर्थी के दिन भाविको की कतारे लगी रहती है.
व्यापारी तथा नागरिक गणेश दर्शन करके ही अपनी दिनचर्या शुरू करते है. माना जाता है कि यहां मांगी गई मन्नत पूरी होती है. पाटिल पटवारी सराय संस्था की देखरेख में मंदिर का काम काज चलाया जाता है. गणेश चतुर्थी से इस मंदिर पर आकर्षक रोशनाई की गई है.

उदखेड के टेकडी पर स्वयंभू गणेश
मोर्शी- चांदुर बाजार हाईवे पर चारगढ नदी व देव नदी के संगम पर प्राकृतिक सुंदरता से टेकडी पर बायी सूंड वाले श्री गणेश की मूर्ति है. यह स्थान मोर्शी से 10 किमी की दूरी पर है. बुजुर्गो के अनुसार ेकाशी के ऋषि मुनि को इस गणेशजी ने सपने में दृष्टांत दिया था. उसके अनुसार उन्होंने उदखेड आकर स्वयं गणेश मूर्ति की स्थापना की थी और उसके बाद नागरिको ने चंदा कर यह मंदिर बनवाया. संकट चतुर्थी के दिन यहां भक्तों की भारी भीड रहती है. गणेशजी के दर्शन करने पर हर मनोकामना पूरी होती है. गणेशोत्सव पर मंदिर परिसर को फूलों से सजाकर आकर्षक रोशनाई की जाती है. दर्शन के लिए आनेवाले भक्तों को देव नदी से आना पडता है. जिसमें यहां पुल बनाने की मांग की जा रही है. टेकडी परिसर में मंदिर संस्थान द्बारा वृक्षारोपण किए जाने से परिसर की सुंदरता और बढ गई है. बच्चों के लिए झूले भी लगवाए गये है.

प्राचीन है नेरपिंगलाई का गणपति मठ
तिवसा-चांदुर बाजार हाईवे पर स्थित नेरपिंगलाई में गुलाब पुरी मंदिर से सटा गणपति मठ सैकडों वर्ष प्राचीन है. यहां हर साल गणेशोत्सव मनाया जाता है. साल 963 में इस मठ की स्थापना हुई. तब से इस गादी पर ब्रम्हचारी ही विराजमान रहते है. गणेश स्थापना से विसर्जन तक हजारो भक्त यहां दर्शन करने आते है. दिंडी व ढोल ताशे के गजर में गणेशमूर्ति का विर्सजन सैकडों भाविको की उपस्थिति में किया जाता है.

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