* किसानों की बढी चिंता
अमरावती/दि.22- बारिश का खंड पडने के बाद सावन की बारिश से सोयाबीन की फसल संभल गई. लेकिन कुछ फसल पीली पडने से किसानों की चिंता बढी है. फसल बढती रहतेे विषाणुजन्य मोझेक रोग का प्रादुर्भाव हुआ है. इस कारण इस रोग पर नियंत्रित नहीं किया गया तो उत्पादन काफी कम होने की संभावना है.
रोग का संक्रमण फसलों पर आने के पूर्व नियंत्रित नहीं हुआ तो औसतन उत्पादन में 90 प्रतिशत कमी आ सकती है. लेकिन बुआई के 75 दिन के बाद संक्रमण हुआ तो ज्यादा नुकसान नहीं होता, ऐसा कृषि शास्त्रज्ञों का कहना है. मंगबीन यलो मोझेक विषाणु और मंगबीन येलो मोझेक इंडिया विषाणु प्रजाती के कारण यह रोग होता है. इस विषाणु का वाहक सफेद मक्खी है. बढते तापमान और बारिश की उमस रहने पर सफेद मक्खियों का प्रादुर्भाव बढता है. जिले में 25 प्रतिशत बारिश की उमस रहने से इस रोग का प्रादुर्भाव बढा है. रोग का प्रादुर्भाव कम रहा तो बाधित पेड काट लेना और जमीन में गाड देना महत्वपूर्ण है. इसे अलावा प्रति हेक्टेयर 160 के हिसाब से पीले चिपचिपे ट्रैप लगाए जाए और ग्रीष्मकालीन सोयाबीन की फसल न लेने की सलाह पीकेवी अकोला अंतर्गत स्थानीय प्रादेशिक संशोधक केंद्र के सहयोगी प्रा. राजी घावडे ने किसानों को दी है.
* यह व्यवस्थापन आवश्यक
– बीटा साइफ्लूथ्रीन 8.49 प्रतिशत के साथ अधिक इमिडॉक्लोप्रिड 19.81 प्रतिशत, 0.7 मिली प्रति लीटर पानी अथवा थॉयोमेथोक्झाम के साथ ल्याबडा साइलोथ्रीन 0.25 मिमी प्रति लीटर पानी की फवारणी करें.
– क्लोयानत्रानिपाल 9.30 प्रतिशत के साथ ल्याबडा साइलोथ्रीन 4.60 प्रतिशत 0.4 मिली प्रति लीटर पानी में से किसी एक कीटकनाशक की फवारणी करें, ऐसा घावडे ने कहा.