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इलाज के नाम पर जहरीला इंजेक्शन लगाकर की थी मां व छोटे भाई की हत्या

मां व छोटे भाई का हत्यारा सौरभ कापसे हैदराबाद में चढा पुलिस के हत्थे

* नकली नाम व पहचान के साथ छिपा था, मोर्शी पुलिस व ग्रामीण एलसीबी ने खोज निकाला
* हत्या की वजह और तरीके को लेकर दी सिलसिलेवार जानकारी
* मां के चरित्र को लेकर था संदेह, आए दिन होता था झगडा
* तीन माह से दोनों को मौत के घाट उतारने की थी योजना
* यूट्यूब व गूगल के जरिए खोजा था मर्डर का तरीका
* छोटे भाई पर मां का साथ देने को लेकर था गुस्सा
अमरावती/दि.4 – विगत 1 सितंबर की दोपहर मोर्शी शहर के शिवाजी नगर स्थित कापसे परिवार के घर में रखे दीवान बेड बॉक्स से निलिमा गणेश कापसे व आयुष गणेश कापसे नामक मां बेटे की सडी-गली लाशें बरामद हुई थी. इस मामले की जानकारी मिलते ही मोर्शी पुलिस ने ग्रामीण अपराध शाखा पुलिस के साथ मिलकर संयुक्त रुप से कार्रवाई करते हुए निलिमा कापसे के बडे बेटे सौरभ गणेश कापसे (24) को तेलंगणा राज्य के हैदराबाद शहर से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की. जिसके बाद आरोपी सौरभ कापसे ने बिना किसी नानुकूर के अपना अपराध कबूल कर लिया. साथ ही पुलिस को अपने कृत्य से संबंधित पूरी कहानी भी बतायी. जिसे सुनकर मोर्शी पुलिस एवं स्थानीय अपराध शाखा पुलिस का दल भी हैरत में पड गया. क्योंकि सौरभ ने बताया कि, वह विगत 3 माह से अपनी मां और छोटे भाई को मौत के घाट उतारने की योजना बना रहा था तथा दोनों को किस तरह से मौत के घाट उतारा गया. इसका तरीका उसने यूट्यूब व गूगल के जरिए खोजा था.
बता दें कि, मोर्शी के शिवाजी नगर परिसर में रहने वाली 45 वर्षीय निलिमा कापसे के पति गणेश कापसे का कुछ अरसा पहले निधन हो गया था और वे अपने दो बेटों सौरभ कापसे (24) व आयुष कापसे (22) के साथ चार कमरे वाले अपने घर में रहा करती थी. निलिमा कापसे वन विभाग में दैनिक ठेका पद्धति पर काम करती थी. वहीं उनका बडा बेटा सौरभ कापसे इलेक्ट्रीकल्स में पॉलिटेक्नीक की पढाई पूरी कर चुका था तथा मोबाइल शॉपी चलाने का काम करता था. वहीं छोटा बेटा आयुष कापसे विद्याभारती महाविद्यालय में द्बितीय वर्ष का छात्र था. कापसे परिवार ने चार कमरे वाले अपने घर में एक कमरा किराए पर दे रहा था. वहीं तीन कमरे में कापसे परिवार रहा करता था. विगत 23 व 24 अगस्त से कापसे परिवार के तीनों सदस्य अचानक ही आसपडोस के लोगों को दिखना बंद हो गया. वहीं 30 व 31 अगस्त के आसपास से कापसे परिवार से अजीब सी दुर्गंध आनी शुरु हो गई. यह बात कापसे परिवार के घर में किराए से रहने वाले व्यक्ति ने कोंढाली में रहने वाले निलिमा कापसे के पिता को फोन पर बतायी, जो खुद भी एक सप्ताह से अपनी बेटी व दोनों नातियों के फोन नहीं लगने की वजह से परेशान थे. ऐसे में निलिमा कापसे के माता-पिता गौदाबाई व बबनराव बेलगे तुरंत कोंढाली से मोर्शी पहुंचे. जहां पर पुलिस की मौजूदगी में जब कापसे परिवार के घर का ताला तोडकर घर के भीतर की तलाशी ली गई, तो घर में रखे बेड बॉक्स से निलिमा कापसे व उनके छोटे बेटे आयुष कापसे की सडी-गली लाशें बरामद हुई. वहीं सौरभ कापसे का कहीं कोई अता पता नहीं था. पश्चात पुलिस की जांच में पता चला कि, सौरभ कापसे का मोबाइल लोकेशन आखरी बार अमरावती में दिखाई दिया था. साथ ही उसी मोबाइल लोकेशन पर निलिमा कापसे व आयुष कापसे के भी मोबाइल लोकेशन से मतलब साफ था कि, अपनी मां और छोटे भाई को मौत के घाट उतारने के बाद सौरभ कापसे उन दोनों का मोबाइल लेकर मोर्शी से निकलकर अमरावती गया था और वहां से कही आगे फरार हो गया था. इस जानकारी के आधार पर पुलिस ने सौरभ कापसे की सरगर्मी से तलाश करनी शुरु कर दी थी और आखिरकार पुलिस ने उसे हैदराबाद से खोज निकाला.

* ऐसे रचा प्लान और ऐसे की हत्या
पुलिस द्बारा पकडे जाने के बाद सौरभ ने पूछताछ के दौरान अपने अपराधिक कृत्य को लेकर विस्तार के साथ सिलसिलेवार जानकारी दी. जिसमें उसने बताया कि, उसे अपनी मां के चरित्र को लेकर संदेह था. जिसके बारे में उसका अपनी मां के साथ झगडा भी हुआ था. मां के किसी अन्य व्यक्ति के साथ चल रहे अवैध संबंधों की जानकारी उसके छोटे भाई आयुष कापसे को भी थी. लेकिन इसके बावजूद आयुष हमेशा अपनी मां का साथ दिया करता था और मां के अवैध संबंधों का विरोध नहीं किया करता था. इस बात को लेकर उसके मन में दोनों के प्रति काफी गुस्सा था और उसने दोनों को ही सबक सिखाते हुए अपने रास्ते से हमेशा के लिए हटा देने का विचार शुरु किया. इसके लिए उसने यूट्यूब सहित गूूगल का सहारा लिया. जहां पर वह हमेशा ऐसे तरीकों को खोजा करता. जिनके जरिए किसी को आसानी से मौत के घाट उतारा जा सके और सबूतों को आसानी से नष्ट करते हुए पुलिस की पकड में आने से भी बचा जा सका. चूंकि कई मेडिकल स्टोअरवालों और डॉक्टरों के साथ उसके अच्छे संबंध थे और उसे दवाईयों के बारे में थोडी बहुत जानकारी थी. ऐसे में उसने इलाज के नाम पर किसी जानलेवा व जहरीली दवाई का इंजेक्शन लगाकर अपने मां व भाई को मौत के घाट उतारने की योजना बनाई. इस योजना पर वह 3 वर्षों से काम कर रहा था और आखिरकार विगत 23 अगस्त को उसने अपनी योजना को अमली जामा पहनाया.

*पहले भी एक बार देख चुका था जहरीली दवाई, इस बार लगाया जहरीला इंजेक्शन
सौरभ कापसे द्बारा पुलिस को दी गई जानकारी के मुताबिक कुछ समय पहले उसने अपने एक दोस्त के मोबाइल के जरिए ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी एमेझॉन से वेसनाभा (बचनाक) नामक दवाई मंगवाई थी. जो उसने अपनी मां और भाई को खाने में मिलाकर दे दी थी. लेकिन इस दवाई का उन दोनों पर कोई असर नहीं हुआ. ऐसे में उसने एक बार फिर सोशल मीडिया साइट्स के जरिए ज्यादा असरकारक व जहरीली दवाईयों की खोज करनी शुरु की. इसी दौरान चांदूर बाजार पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत हुई मारपीट की घटना में सौरभ कापसे खुद बुरी तरह घायल हुआ और उसे पांच दिनों तक पीडीएमसी में इलाज के लिए भर्ती रखा गया. जहां पर डॉक्टरों द्बारा खुद को दी जाने वाली सभी दवाईयों की उसने स्टडी करनी शुुरु की और फिर इसके बाद एक बार फिर अपने एक दोस्त के मोबाइल का प्रयोग करते हुए विक्यूरिनियम बोमाइट नामक इंजेक्शन खरीदा. इसके बाद उसने 23 जुलाई को टिफिन लेकर जाने वाले अपनी मां और छोटे भाई के खाने में धतुरे के बीज पिसकर मिला दिए. जिसका सेवन करते हुए शाम तक दोनों मां बेटे की तबीयत बिगड गई और उन्हें उल्टी व दस्त होने की शिकायत होने लगी. ऐसे में जब निलिमा कापसे और आयुष कापसे शाम के वक्त घर पहुंचे, तो सौरभ कापसे ने फिर्क जताते हुए उन्हें एक डॉक्टर के पास ले जाकर बताया और फिर दवाई-गोली की चिट्ठी लेकर वह उन्हें अपने घर वापिस ले आया. जहां पर उसने किसी दवाखाने में काम करने वाले अपने एक दोस्त को अपनी मां व भाई की तबीयत खराब रहने की जानकारी देते हुए उन्हें सलाइन लगाने हेतु आने कहा और मां व भाई को बताया कि, डॉक्टर ने सलाइन लगाने के लिए अपने एक स्टॉफ को भेजा है. इस समय अपने दोस्त के जरिए अपने मां व भाई को ग्लूक्लोज की साधी सलाइन लगवाकर सौरभ ने अपने दोस्त को अपने घर से रवाना कर दिया. जिसके बाद उसने पहले से अपने पास मौजूद विक्यूरिनियम बोमाइड नामक इंजेक्शन को सलाइन में इंजेक्ट कर दिया. जो धीरे-धीरे निलिमा कापसे और आयुष कापसे के शरीर में चला गया. जिससे 23 अगस्त की रात से दोनो मां-बेटे की मौत हो गई. इसके बाद सौरभ कापसे रात भर अपने ही घर में रुका और अगले दिन 24 अगस्त को मोर्शी से निकलकर अमरावती गया. जहां से दोपहर तक बडी-बडी प्लास्टिक की पन्नियां लेकर एक बार फिर मोर्शी के शिवाजी नगर स्थित अपने घर पहुंचा. जहां पर उसने अपनी मां और भाई के शवों को बडे-बडे प्लास्टिक के बैग मेें लपेटा और उन्हें दीवान के बॉक्स में यह सोचकर डाल दिया कि, अब एक महिने तक इन दोनों शवों से कोई दुर्गंध नहीं आएगी और दोनों शव बेड के भीतर पडे-पडे कंकाल बन जाएंगे. जिसके चलते किसी को भी उसके इस कृत्य का पता नहीं चलेगा.

* मां के अकाउंट से डेढ लाख रुपए निकाले और भाग गया
अपनी मां और छोटे भाई को मौत के घाट उतारने के बाद सौरभ कापसे के मुताबिक उसने खुद भी आत्महत्या करने के बारे में सोचा और खुद को जहरीले इंजेक्शन की सलाइन लगाने हेतु अपने हाथ की नस में इंटराकैथ भी लगाया था. परंतु उसने ऐन समय पर अपना इरादा बदला. जिसके बाद उसने अपने मां के अकाउंट से अपने अकाउंट में करीब डेढ लाख रुपए ऑनलाइन तरीके से ट्रान्सफर किए और अपने लैपटॉप व प्रिंटर के जरिए आकाश रमेश राठे के नकली नाम से अपना फर्जी आधार कार्ड बनाया. जिसके बाद वह नागपुर और शिर्डी होते हुए हैदराबाद पहुंचा. जहां पर वह अपने नकली नाम वाला आधार कार्ड दिखाकर एक होटल में रुका हुआ था और इसी होटल से मोर्शी पुलिस और स्थानीय अपराध शाखा के दल ने सौरभ कापसे को हिरासत में लेकर पूरे मामले का पर्दाफाश किया.
यह कार्रवाई ग्रामीण पुलिस अधीक्षक अविनाश बारगल, अपर पुलिस अधीक्षक शशिकांत सातव एवं मोर्शी के उपविभागीय अधिकारी नीलेश पांडे के मार्गदर्शन तथा मोर्शी के थानेदार श्रीराम लांबाडे व ग्रामीण अपराध शाखा के पीआई किरण वानखडे के नेतृत्व में पीएसआई नितिन चुलपार व पुलिस कर्मी संतोष मुंदाने, पंकज फाटे, सचिन मिश्रा, रवींद्र बावने, बलवंत दाभने, भूषण पेठे, शकील चव्हाण, शिवा शिरसाठ व रितेश वानखडे के पथक द्बारा की गई.

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