अमरावतीमहाराष्ट्रविदर्भ

माता मृत्यु कम रहने वाले राज्य की सूची में महाराष्ट्र देश में दूसरे नंबर पर

पालकमंत्री एड. यशोमती ठाकुर के निर्देश

प्रतिनिधि/दि.२०
अमरावती– सैम्पल रजिस्टे्रशन सर्वे (एसआरएस)की ओर से हाल में प्रकाशित की गई रिपोर्ट में माता मृत्यु का दर कम रहने वाले राज्यों की सूची में महाराष्ट्र राज्य को देश में दूसरा नंबर प्राप्त हुआ है. सरकार की ओर से माता मृत्यु के अलावा कुपोषण को रोकने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे है. इस आशय का प्रतिपादन राज्य की महिला व बालविकासमंत्री तथा पालकमंत्री एड. यशोमती ठाकुर ने दिए है. केंद्रीय पंजीयन महानिरीक्षक कार्यालय की ओर से किए सैम्पल रजिस्ट्रेशन सर्वे की सूची में केरल के बाद महाराष्ट्र का माता मृत्यु दर कम है. महाराष्ट्र का माता मृत्यु दर ६८ से ६१ के बाद ५५ और अब ४६ तक कम हो गया है. इस सर्वे के अनुसार देश का माता मृत्यु का दर ११३ है. संयुक्त राष्ट्रसंघ में माता मृत्यु दर कम करने के लिए नियुक्त की गई शाश्वत विकास ध्येय की पूर्तता देश के पांच राज्यों ने की है. इनमें महाराष्ट्र का भी समावेश है. कोरोना का प्रकोप रोकने के लिए जहां महाराष्ट्र राज्य अग्रसर है वहीं माता मृत्यु का दर कम रहने वाले राज्यों की सूची में महाराष्ट्र ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है. जो राहत देने वाली बात है. राज्य में संस्थात्मक प्रसुति में बढोत्तरी हुुई है. जिससे माता मृत्यु को रोकना संभव हो रहा है. राज्य के गर्भवती माताओं का बच्चों की सेहत ठीक-ठाक रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से विविध उपक्रम चलाए जा रहे है. राज्य में २४८ प्राथमिक संदर्भ सेवा केंद्र शुरु किए गए है. उनके जरीए संस्थात्मक प्रसुति पर जोर दिया जा रहा है. माहेर योजना के माध्यम से दुर्गम इलाकों की माता मृत्यु को रोकने का प्रयास किय जा रहा है.

कुपोषण मुक्ति के लिए विशेष प्रयास
कुपोषण मुक्ति के लिए राज्य में पौष्टिक आहार आपूर्ति को गति दी जा रही है. कुपोषण यह केवल दुर्गम क्षेत्र की ही समस्या नहीं है बल्कि महानगर में भी यह समस्या पायी जा रही है. इसलिए पौष्टिक आहार आपूर्ति के लिए व्यापक नियोजन किया जा रहा है. बच्चों के जन्म से पहले से ही मां को पौष्टिक आहार व बच्चों के जन्म के बाद बालक को पौष्टिक आहर मिलना चाहिए. इसके लिए व्यापक विचार कर योजना प्रभावित रुप से चलाने का लक्ष्य है.

मेलघाट में प्रभावी यंत्रणाए
कुपोषण मुक्ति के लिए मेलघाट में आशासेविका, आंगनवाडी सेविका, ग्राम सेवक, स्वास्थ्य सेवक के संमन्वय से मजबूत संपर्क यंत्रणाए चलाने का प्रयास किया जा रहा है. छोटे बच्चों का उचित पोषण होना यह आंगनवाडी केंद्रों के कार्यो का मुख्य उद्देश्य है. कुपोषण निर्मूलन के लिए बच्चों का नियमित वजन, उंचाई नापकर आयूनुरुप बढोत्तरी होती है क्या यह देखा जाता है. इसलिए कोरोना का समयावधि होने पर भी आवश्यक सभी सुरक्षा उपाय योजना व सावधानी बरतते हुए काम में बाधा निर्माण न होने दिए जाए.कोरोना की स्थिति मे छोटे बच्चों का टीकाकरण, योजना अंतर्गत गृह भेंट, एप पर प्रशिक्षण, गृह भेंट के समय प्रशिक्षण, पोषण आहार वितरण जैसे अनेक कार्य आंगनवाडी सेविकाएं तत्परता से कर रही है. दुर्गम क्षेत्र में भी कुपोषण मुक्ति की योजना उपक्रम चलाने में उनका सहयोग मिल रहा है. आगे भी गांव, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व तहसील स्तर पर विविध यंत्रणाओं के समन्वय से योजना व उपक्रम प्रभावी रुप से चलाए जाएगें.

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