मां संबल देती है, हमें तराशती हैं, वे ही दृढ प्रतिज्ञ व प्रेरणास्त्रोत
शहर के तीन उच्चाधिकारियों ने मां का नाम लेते ही दी अत्यंत भावना प्रधान प्रतिक्रिया
* प्रत्येक ने कहा – वे आज जो कुछ है मां की बदौलत हैं
अमरावती/ दि. 11 – वैसे तो मदर्स डे, फादर्स डे हमारी भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं. किंतु मीडिया के बढते प्रभाव के कारण कुछ दशकों से भारतीय भी ऐसे दिन मना रहे हैं. भारतीय तो उत्सवप्रिय होते ही हैैं. उत्सव मनाने का अवसर तलाशते रहते हैं. मदर्स डे की पूर्व संध्या पर अमरावती के अनेक गणमान्य ने अमरावती मंडल से कहा कि निश्चित ही यह दिन विशेष है. हमारे जीवन में माता-पिता का अनमोल, अवर्णनीय योगदान हैं. उसमें भी मां के प्रति पुत्र पुत्री का लगाव झुकाव अपनत्व कुछ अधिक ही रहता है. अंबानगरी प्रशासन की बागडोर संभाल रहे तीनों अग्रणीय अधिकारियों से हमने बात की तो सभी ने मां के अमूल्य योगदान, प्रेरणा का सगर्व एवं सहर्ष तथा तत्काल उल्लेख किया. उनके शब्दों में असाधारण आदर झलक रहा था तो उतना ही स्नेह, अनुराग भी.
* मुझे डाउट था, मां को भरोसा कि बनूंगा जिलाधीश
जिलाधीश सौरभ कटियार ने मदर्स डे की पूर्व संध्या उनकी माता जी के विषय में पूछते ही तुरंत पहले जो शब्द कहे वह यह है कि ‘मां की बदौलत ही आज मैं कलेक्टर हूं’. सौरभ कटियार की माता जी का नाम विद्या जी कटियार हैं. उन्होंने बताया कि मां ने उन्हें सदैव बेहतर से बेहतर करने के लिए प्रेरित किया. जब स्नातक की पढाई पूरी हो गई और स्पर्धा परीक्षा की तैयारी की बात आयी तो उन्हें थोडा संशय था. उनका विश्वास डगमगाया हुआ था. वे आयएएस परीक्षा देने से झिझक रहे थे.े सौरभ कटियार ने बताया कि ऐसे में उनकी मां विद्या देवी ने उन्हें हिम्मत दी. मां को मेरी प्रतिभा पर पूर्ण विश्वास था. मां के कारण ही वे आयएएस की परीक्षा दे सके. उत्तीर्ण होकर आज कलेक्टर बने हैं. सौरभ कटियार यह भी कहते हैं कि प्रत्येक के जीवन में मां का स्थान निश्चित ही विशेष रहता है. जिसे मां का आशीर्वाद प्राप्त है वह व्यक्ति जीवन में मनचाही सफलता, उपलब्धियां प्राप्त कर सकता है. अमरावती के बारे में भी उन्होंने बडे ही सहज भाव से कहा कि अंबानगरी का नाम माता अंबा के नाम से हैं. वह शहर तो वैसे ही भाग्यशाली हैैं. अमरावती की सामाजिक गतिविधियों की भी उन्होंने लगे हाथ सराहना कर दी.
* मां का सपना उन्हीं के कारण साकार
जिला परिषद अर्थात मिनी मंत्रालय की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सीईओ संजीता मोहपात्रा ने कहा कि उनका आज इस पद पर पहुंचना दरअसल मां लक्ष्मी मोहपात्रा के सपने के कारण संभव हुआ है. संजीता जी ने बताया कि उनके पिता शक्तिपद मोहपात्रा है. उनकी मां कक्षा पांचवी तक पढी है. किंतु घर परिवार की साज संभाल उन्होंने बखूबी की है. इसलिए उन्हें होेममेकर कहा जा सकता है. मां ने कठिन आर्थिक परिस्थिति से जूझते हुए हम दोनों बहनों के लिए अच्छे सपने देखे. जिप सीईओ की बडी बहन सरिता जी बैंकर हैं. संजीता मोहपात्रा बताती है कि मां ने ही उन दोनों बहनों को सदैव पढाई लिखाई के लिए प्रेरित किया. जिसके कारण वे दोनों शाला के समय से ही मेरिट छात्राएं रही. मां लक्ष्मी ने ही उनके कलेक्टर बनने का सपना देखा था. कदम- कदम पर वे प्रेरित करती रही. कोई कठिन समय आया तो उससे निकाल संभाल मां ने ही खूबी के साथ किया. संजीता मोहपात्रा बताती है कि उनकी माताजी लक्ष्मी देवी बडी स्ट्रांग परसन हैं. हमेशा मोटीवेट करती हैं. संजीता के आयएएस बनने पर लक्ष्मी जी को मानो दुनिया भर की खुशिया प्राप्त हो गई थी. इस कदर वे खुश हो गई. अपनी बेटी को कलेक्टर बनाने का लक्ष्मी मोहपात्रा का ख्वाब साकार हुआ था. स्वयं शीघ्र मां बनने जा रही संजीता मोहपात्रा कहती है कि उनके लिए मां से बढकर कोई नहीं है. मां ने सदैव शक्ति दी है. प्रेरित किया है. बेहतर से बेहतर करने का. आज भले ही वे बडे ओहदे पर हैं. किंतु मां का मार्गदर्शन सदैव और बिना झिझक लेती है.
* मां का योगदान वर्णनातीत
सीपी नवीनचंद्र रेड्डी ने कहा कि उनके जीवन में मां प्रमिला देवी का योगदान वे शब्दों में बयान नहीं कर सकते. मां ने हर समय उन्हें प्रेरित किया है. कुछ गलत हो जाने पर डांट लगाई है तो जीवन में सही राह भी दिखाई है. उनके पुलिस ऑफीसर बनने के पीछे प्रेरणा और मेहनत मां की है. सीपी रेड्डी आज अंबानगरी में कर्तव्यदक्ष अधिकारी के रूप में छाप छोडने में सफल हो रहे हैं तो इसके लिए भी वे मां प्रमिला देवी का आशीष मानते हैं. रेड्डी ने बताया कि मां के कारण अनुशासन सदैव उनके जीवन का महत्वपूर्ण भाग रहा. पुलिस प्रशासन में आपको बेहतर, प्रभावी कार्य करना है तो अनुशासन का पालन स्वयं से ही आरंभ करना पडता है. आप अनुशासित रहेंगे तो आपके अधीनस्थ और उनके भी अधीनस्थ कायदे में रहेंगे. यह पाठ उन्होंने मां से ही सीखा हैं. रेड्डी के अनुसार मां ने जीवन में पग-पग पर काफी कुछ सिखाया, बताया है. मां का प्रत्येक के जीवन में विशेष स्थान होता ही है. होना भी चाहिए. सीपी रेड्डी ने कहा कि हमारा जीवन अच्छा गढता है, हम किसी की इंस्पीरेशन बनते हैं तो इसमें निश्चित ही हमारी मां की सिखावन, सकारात्मक सोच और किए गये मार्गदर्शन का बडा योगदान हैं. रेड्डी ने दोहराया कि मां की महत्ता को शब्दों में व्यक्त करना उनके लिए भी कदाचित संभव नहीं हैं.