मां कनकेश्वरी देवी संतों की काशी हैं- उत्तम स्वामी
मां कनकेश्वरी देवी को ग्रामगीता और रूद्राक्ष से तोला गया
* अवतरण दिवस पर लगी संतो और भक्तों की भीड
अमरावती / दि. 2 – मां कनकेश्वरी देवी जनकल्याण ट्रस्ट अंतर्गत गठित मां अंबा सत्संग समिति द्बारा गुरूवार, 2 मार्च को मां कनकेश्वरी देवी का 53 वां अवतरण दिवस गणेश शाश्वत धाम, झिरी नई बस्ती बडनेरा में अत्यंत सादगीपूर्ण मनाया गया. इस मौके पर मां को नेपाल से लाए खास रूद्राक्ष, सेब, मोतीचूर के लड्डू, गुड और राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज की ग्राम गीताओं से तोला गया. उनके मुखारविंद से श्रीराम कथा का रसपान करने और तुला का दर्शन करने कथास्थल पर देशभर से अनेक संतो और गणमान्यों का जमावडा लगा.
कथा में मां ने अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा कि शरीर का अवतरण दिवस मनाना उन्हे बिल्कुल पसंद नहीं ,ऐसे में यदि कोई उन्हें तुला पर बिठाकर किसी भी चीज से तोलने की बात कहे तो वे तत्काल मना कर देती है. लेकिन इस बार आयोजन समिति ने उनकी नब्ज पकड ली और तुला आयोजित कराया भी तो रूद्राक्षों से समिति ने विनती की थी कि कथा को ठीक 4.30 बजे तक निपटाएं, लेकिन मेरी इच्छा नहीं थी. मेरा मानना है कि अवतरण दिवस पर तो कथा और ज्यादा देर तक चलनी चाहिए. आज मेरे साथ मंच पर अन्य संत भी उपस्थित थे. उन्हें कथा का अधिक रसपान कराने के लिए हम कथा देर तक लेंगे. इसलिए मां की इच्छा से गुरूवार को कथा 1 घंटा अधिक चली.
कथा के दौरान मां के साथ मंच पर कौंडण्यपुर रूख्मिणी पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर श्री समर्थ सदगुरू रामराजेश्वर माउली सरकार, महामंडलेश्वर श्री ईश्वरानंद ब्रम्हचारी उत्तम स्वामी(राजस्थान), हिरेन्द्र शास्त्री, सावनेर के वामन महाराज, संत कंवरराम के प्रपौत्र कंवर धाम के श्री साई राजेशलाल (कंवर साहब) उपस्थित रहे. कथा समाप्ति के पश्चात पहले राजकोट से अपने शिष्यों के साथ पधारे शास्त्री हिरेनभाई के मार्गदर्शन में वेदमंत्रों के साथ मां पर पुष्प वर्षा की गई. सभी विप्र विद्यार्थियों ने चारों वेदों से एक-एक श्लोक पढा. प्रा. बाबा राउत सुदर्शन गांग और प्रमोद भरतिया द्बारा मां को शाला और माला पहनाई गई. अंत में मंत्रोच्चारण के साथ मां को सबसे पहले सेब, फिर लड्डू, गुड, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज की ग्राम गीता और आखिर में नेपाल के विशेष रूद्राक्षों से तोला गया.
इस ताक्कि पर उत्तम स्वामीजी ने कहा कि संत को रूद्राक्ष से तोलने की संकल्पना सराहनीय है. यह ऐसा ही है जैसे भगवान को तुलसी या बेलपत्र से तोलना है. यह रूद्राक्ष भी साधारण नहीं है. बाजार में मिलनेवाले छिद्र वाले रूद्राक्ष नहीं है. बल्कि नेपाल में वृक्षों से फल की भांति तोडकर लाए गए है. कनकेश्वरी देवी मेरी बडी गुरू बहन और मां दोनों ही है. मुझे यहां तक पहुंचाने में उनकी अहम भूमिका रही.जब तक यहां मां का निवास रहेगा यहां कोई बुराई नहीं पनप सकती, मां की उपस्थिति मात्र से बुराई का नाश हो जाता है. उन्होंने मां को अगला अवतरण दिवस बांसवाडा में मनाने के लिए निमंत्रित किया है. मां संतों के लिए काशी की तरह है.
माऊ ली सरकार ने कहा कि मां, को ब्रम्हवादिनी और वेदमूर्ति भी कहो तो उनकी कीर्ति को शब्दों में कहा नहीं जा सकता. मध्यप्रदेश में जब 24 अवतारों का मंदिर बना, वहां मेरी मां से पहली बार मुलाकात हुई थी.
मां साक्षात अपने वांगमय और रामभाव के साथ इस रामेश्वरी का रसपान कनक रूपी साक्षात राम आप तक पहुंचा रही है. हम अनेक महापुरूषों वक्ताओं के प्रवचन सुनते है, लेकिन हमारा यह परम सौभाग्य है कि आपको एक ब्रम्हवादिनी के वाक्य सुनने को मिल रहे है. मां आपके समक्ष बैेठे यह साधक आपको वेदमूर्ति मानकर आप में ब्रम्ह देखते है. उस ब्रम्ह की याचना और अर्चना महत्वपूर्ण है. राम जीवन का आधार है, जीवन जीने की प्रतिज्ञा है, राम जीवन जीने का यज्ञ है, कर्म रूपी समिधा है, ज्ञान की गंगा है, कर्तुत्व का रूप है, महानता का विशाल पर्वत है, जीवन जीने का अधार है,समता का समुद्र है और सनातन धर्म का आधार है, इसलिए रामकथा हम सुनते है.
उनके दर्शनार्थ पूर्व विधायक धाने पाटिल, पूर्व पालकमंत्री सुनील देशमुख, कमलकिशोर मालाणी, एड. अटल, सचिन रासने, पुष्पा बोडे, रामप्रिया श्रीजी धर्माले, विजय बोंडे, तुलसी सेतिया, प्रकाश गुप्ता, कुसुम साहू, सतनाम कौर हुडा, रश्मि नावंदर आदि गणमान्य कथा स्थल पधारे थे. रमेशचंद्र चांडक, डॉ. कमलकिशोर नावंदर, भगवानदास तोष्णीवाल, नीरज रम्मानी, संपत शर्मा, किरण शर्मा, सुगना शर्मा शीला शर्मा,आनंद सिकची, अनूप सिकची, चंदूलाल बिडलानी, नंदलाल खत्री, जुगलकिशोर गट्टाणी, मनोहर दीक्षित, राजूभाई, सतीश ढेपे, मंगेश वाटाणे, भूते, राजू गायगोलो, प्रकाश लकडे, जीजी ठाकुर, सुधा जोशी, एड. प्रदीप चांडक, किशोर साहू, मुन्ना गुप्ता, गीता साहू, देवा साहू, कुंदन यादव, सरला सिकची, दीपक दुबे, कांता शर्मा, वनिता सोनिग्रा, मुन्नीबाई त्रिपाठी, इंदुमति देशमुख, प्रज्ञा सिकची, वानखडे और जायसवाल (मुंडगांव), सुनील शर्मा, आशीष शर्मा, प्रमोद भरतिया, मीरा भरतिया, रवि कोडककर, नीलेश कदम, रूपाली खेडकर, शीतल कदम, नीलेश रमतकार, दादाराव अढाउ, बबिता बढाऊ , संजय ठाकरे, ओमप्रकाश चांडक, प्रकाश साहू, विक्की साहू, ठाकुर साहब, मनोज अग्रवाल, मूर्तिजापुर , लोहिया, डॉ. हर्षद समेत सैकडो भक्तगण उपस्थित रहे.