अमरावती

जिजाऊ जैसी माता व शाहजी जैसे पिता की आज आवश्यकता

पीठाधीश्वर जितेंद्रनाथ महाराज (Jitendranath Maharaj) का प्रतिपादन

अमरावती/दि.6 – 21 वीं सदी के बदलते परिवेश में समाज अपने संस्कार और परंपरा को भूलने लगा है. उस जमाने में जब मुगलों का देशभर में सम्राज्य था उस समय शाहजी राजे ने जो स्वराज्य का सपना देखा था उसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने मात्र 8 साल की उम्र से अपनी आंखों में सजाकर उस पर अमल करते हुए स्वराज्य की स्थापना की. शिवाजी महाराज पर इस प्रकार के संस्कार तब हो पाए जब राजे शाहजी और माँ जिजाऊ ने माता-पिता की जिम्मेदारी निभाते हुए अपने बेटे को अच्छे संस्कार दिए. आज जिजाऊ और शाहजी राजे जैसे माता-पिताओं की सख्त जरुरत है ऐसा प्रतिपादन अंजनगांव स्थित देवनाथमठ के पीठाधीश्वर जितेंद्रनाथ महाराज ने व्यक्त किया.
वे शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व जिलाध्यक्ष प्रा. दिनेश सूर्यवंशी की मां सुशीला सूर्यवंशी (स्व.अक्का) की छठवी पुण्यतिथि के अवसर पर प्रशांत नगर बगीचे के समीप सावता व्यायाम व क्रीडा मैदान में कीडनी मरीज सहायता प्रकल्प गुणमय आत्मनिर्भर भारत कार्यालय व कौशल्य अकादमी प्रकल्प के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता सद्भावना मंच के विदर्भ प्रदेश संयोजक शिवाजी पिंपलकर ने की थी तथा प्रमुख अतिथि के रुप में पूर्व ऊर्जा मंत्री व भाजपा प्रदेश महासचिव चंद्रशेखर बावनकुले, शिवाजी शिक्षण संस्था के सदस्य हेमंत कालमेघ, यवतमाल अर्बन बैंक ेके अध्यक्ष अजय मुंधडा, विधायक प्रताप अडसड, संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के सिनेट सदस्य निखिल खर्चे, अतुल भारद्बाज, डॉ. अविनाश चौधरी उपस्थित थे.
इस अवसर पर पीठाधीश्वर जितेंद्रनाथ महाराज ने केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना रखते हुए कहा कि, मैं हूं तो सब कुछ है यह आत्मा की आवाज सुनने का अवसर हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया है. इस परंपरा को उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान के रुप में पेश किया है. उन्होंने कहा कि समाज की उन्नति के लिए माँ जो अपने बच्चे को जन्म देने से पूर्व उनके भविष्य का विचार करती है उसे मातृत्व कहा जाता है. समाज में विविध प्रकार के लोग है किंतु भविष्य की पीढी को सजाने और सवारने का काम करने वाले मार्गदर्शक व्यक्तिमत्व का समाज में निर्माण होना चाहिए.
राज्य के पूर्व ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि देश में आने वाले समय 30 करोड युवा निर्माण हो रहे है. इन 30 करोड युवाओं की फौज को हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना है और इस मानवी संसाधन का जतन करना है. जिसके लिए दिनेश सूर्यवंशी द्बारा शुरु किए जा रहे उपक्रम समाज की उन्नति में कारगर साबित हो सकता है. 21 वीं सदी में यह अवसर मिल रहा है इसका लाभ भी उठाने का आहवान पूर्व ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने किया. कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रा. दिनेश सूर्यवंशी ने रखी तथा संचालन मीरा फडण्वीस ने किया व आभार दिनेश सूर्यवंशी ने माना.
इस अवसर पर मंच पर उपस्थित अतिथियों के हाथों प्रकल्प कार्यालय का शुभारंभ किया गया तथा उपस्थित मान्यवर अतिथियों का शाल श्रीफल व स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया गया. इस समय डॉ. अविनाश चौधरी को सूर्यवंशी परिवार की ओर से डॉयलेसिस सेंटर के लिए 51 हजार रुपए का धनादेश सौंपा गया. इस अवसर पर डॉ. स्मिता सूर्यवंशी, डॉ. मंजूषा चौखंडे, नितिन भुतडा, प्राचार्य डॉ. प्रसाद खानजोडे, प्रा. डॉ. विशाल पानसे, प्रा. डॉ. सोनल चांडक, प्रा. पल्लवी मांडवघरे, प्रा. डॉ. श्रीनिवास ओमनवार, प्रशांत जोशी, प्रा. नागराज, आशीष तामोलकर, सचिन देशमुख, पूर्व उपमहापौर संध्या टिकले, पार्षद गंगा खारकर, स्थायी समिति सभापति राधा कुरील, पार्षद सुरेखा लुंंगारे, उपमहापौर कुसुम साहु, पार्षद श्रीचंद तेजवानी, बलदेव बजाज, अजय सारसकर, राजेश पड्डा, सचिन रासने, भूषण हरकुट, डॉ. प्रणय कुलकर्णी, सुनील काले, विनोद कलंत्री, मुकेश कटाले, विलास टेकाडे, किरण देशमुख, रविराज देशमुख, शीतल वाघमारे, सोपान गुडधे, शिवानंद पाटिल, प्रवीण रुद्रकार, शुभम पांडे, रुपाली लहाने, गजानन भारसाकले, भूषण यादगिरे, मिलिंद नागले, संजय आठवले, मिलिंद बांबल, रीता मोकलकर, पल्लवी मांडवघरे, अजय मोटघरे, उत्तपल टोंगे आदि उपस्थित थे.

Related Articles

Back to top button