* 15 की बजाय 7 दिन की नियुक्ति भी नहीं आयी काम
अमरावती/दि.28– हाईकोर्ट में दायर याचिका तथा बारिश के मौसम को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने 15 दिन की बजाय केवल 7 दिन के लिए धारणी व चिखलदरा तहसील के दुर्गम व अतिदुर्गम स्वास्थ्य केंद्रों में स्त्री व बालरोग विशेषज्ञों को भेजने का निर्णय लिया था. लेकिन हकीकत में कल सोमवार की शाम तक एक भी स्वास्थ्य विशेषज्ञ मेलघाट में अपने काम पर उपस्थित नहीं हुआ था. ऐसे में कहा जा सकता है कि, नियुक्ति के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति करते हुए एक तरह से मेलघाट क्षेत्र के कुपोषित आदिवासी बच्चों तथा गर्भवती व नव प्रसूता महिलाओं की जिंदगी व स्वास्थ्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है.
बता दें कि, प्रतिवर्ष धारणी व चिखलदरा तहसील में कुपोषण की वजह से जन्मत: कमजोर रहनेवाले बच्चों की मौत हो जाती है. वहीं इन दिनों तो इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में माता मृत्यु का सिलसिला भी शुरू हो गया है. ऐसे में अदालत के समक्ष पीआयएल यानी जनहित याचिका दाखिल रहने के चलते सरकारी आदेशानुसार प्रतिवर्ष शहरी क्षेत्र के स्त्री रोग एवं बालरोग विशेषज्ञों को पंद्रह दिन के लिए मेलघाट के दुर्गम व अतिदुर्गम क्षेत्र स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं उपजिला व ग्रामीण अस्पतालों में बीमार व कुपोषित बच्चों तथा गंभीर स्थिति में रहनेवाली गर्भवती एवं नवप्रसूता महिलाओं के स्वास्थ्य परीक्षण एवं इलाज करने हेतु भेजा जाता है. 27 जून से 4 जुलाई तक की जानेवाली इस नियुक्ति हेतु राज्य के गडचिरोली, सोलापुर, गोंदिया, अहमदनगर, पांढरकवडा, उस्मानाबाद, उल्हासनगर, भंडारा व सोलापुर सहित राज्य के अन्य कई जिलों से 26 स्त्री व बालरोग विशेेषज्ञों की नियुक्ति की गई, लेकिन हकीकत में सोमवार 27 जून को इनमें से एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर आदिवासी बहुल मेलघाट में पहुंचा ही नहीं. ऐसे में सात दिनों के लिए मेलघाट में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति का मामला केवल हवा-हवाई घोषणा और कागजी खानापूर्ति ही साबित हुआ है.
* सैंकडों किमी दूरवाले इलाकों की बजाय नजदिकी जिलों के डॉक्टरों की होनी चाहिए थी नियुक्ति
आदिवासी बहुल मेलघाट में कुपोषण की समस्या के निर्मूलन हेतु काम कर रहे कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वास्थ्य महकमे द्वारा अपनायी जाती ढूलमुल नीति पर अपना संताप प्रकट करते हुए कहा कि, सैंकडों किमी दूर रहनेवाले डॉक्टरों की सेवा केवल सात दिनों के लिए ली गई है. जिसमें अनुपस्थित नहीं रहा जा सकता. यानी संबंधित डॉक्टरों को पुरे सात दिन मेलघाट में ही रहना था. संभवत: किसी वजह के चलते दूर-दराज के जिलेवाले डॉक्टरों ने मेलघाट आने से कन्नी काट ली. ऐसे में ज्यादा बेहतर रहता यदि दूर-दराज की बजाय आस-पडोस के जिलों में रहनेवाले डॉक्टरों की मेलघाट में सेवा देने हेतु नियुक्ति की जाती.
मेलघाट में बारिश के मौसम दौरान प्रतिवर्ष एक पखवाडे के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की जाती है. लेकिन इस वर्ष सात दिनों की नियुक्ति का पत्र प्राप्त हुआ था. जिसके तहत कुल 26 स्वास्थ्य विशेषज्ञों की नियुक्ति 27 जून से मेलघाट के आदिवासी बहुल इलाकों के लिए की गई थी. अभी यह जानकारी नहीं है कि, इसमें से कितने स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मेलघाट पहुंचकर अपनी ड्यूटी रिपोर्ट की है.
– डॉ. दिलीप रणमले
जिला स्वास्थ्य अधिकारी