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जिलाधिकारी कार्यालय के सामने 25 दिनों से शुरु है आंदोलन

आंदोलन स्थल पर बच्चे व रिश्तेदारों की किलबिल शाला शुरु करेंगे

* यहीं मवेशियों का पालन पोषण करने का भी निर्णय
* न्याय के लिए आंदोलन पंडाल में ली पत्रकार परिषद
अमरावती/ दि.29- अपनी विभिन्न मांगों को लेकर विदर्भ बलिराजा प्रकल्पग्रस्त संघर्ष समिति व्दारा जिलाधिकारी कार्यालय प्रांगण में 25 दिन पूर्व से राहुटी आंदोलन शुरु है, मगर अब तक किसी तरह का कोई लाभ नहीं मिला. इस वजह से आंदोलन के आत्मक्रोध के दूसरे चरण में बच्चे, रिश्तेदारों व्दारा आंदोलन स्थल पर किलबिल शाला आंदोलन शुरु किया जाएगा, इसके साथ ही आंदोलन स्थल पर ही उनके बेजुबान मवेशियों का पालन पोषण भी करेंगे, ऐसी चेतावनी आंदोलन के पेंडाल में आज आयोजित पत्रकार परिषद में दी गई.
जानकारी देते समय मनोज चव्हाण, साहेबराव विधले, अतुल महल्ले, संजय गिध, उमाकांत अहिरराव, माणिकराव गंगावले उपस्थित थे. पत्रकार परिषद को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि, सिंचाई जलाशय के लिए सीधे खरीदी पध्दति से 6 जून 2006 के शासन पत्र व्दारा सीधे खरीदी की गई जमीन का भूसंपादन, पुनर्वसन, पुनर्स्थापना 2013 के कानूना नुसार मूल्यांकन कर तफावत की रकम अदा की जाए. हर पीडित बेरोजगार प्रमाणपत्र धारक को सरकारी सेवा में शामिल करे या एकसाथ 20 लाख रुपए प्रदान किये जाए, महाराष्ट्र प्रकल्प ग्रस्त पुनर्वसन अधिनियम 1999 रद्द होने के कारण ऐसा कानून लागू न करते हुए नए पुनर्वसन पुन: स्थापना अधिनियम 2013 कानून लागू कर उसके अनुसार सभी को लाभ दिया जाए, अपर वर्धा, बेंबला, लोअर वर्धा आदि जलाशय अंतर्गत मूल्यांकन में हुई गलतियां सुधारकर ब्याज समेत मुआवजा दिया जाए व लाभ क्षेत्र में जमीन प्रदान करे, पुनर्वसन कानून के अंतर्गत बेघर, भूमिहीन प्रकल्प ग्रस्तों को घरकुल व एक एकड जमीन दी जाए, विभागीय व जिलास्तरीय प्रकल्प ग्रस्तों की समस्या तत्काल हल करे.
ऐसी मांग को लेकर पिछले 25 दिनों से आंदोलन जारी हेै. भीषण गर्मी में आंदोलन कर रहे है. फिर भी अब तक किसी तरह का ठोस कदम नहीं उठाया गया. माता-पिता आंदोलन स्थल पर होने के कारण उनके बच्चे व परिवार के सदस्यों का बुरा हाल हो रहा है. मवेशियों को भी भारी यातनाएं भुगतना पड रहा है. इसलिए आंदोलन के आत्मक्रोध के दूसरे चरण में बच्चे व परिवार की किलबिल शाला आंदोलन स्थल पर शुरु करेंगे, इसी तरह बेजुबान मवेशियों का पालनपोषण भी आंदोलन स्थल पर करने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए शासन प्रशासन जिम्मेदार रहेगा, ऐसी चेतावनी भी आयोजित पत्रकार वार्ता के माध्यम से दी गई.

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