चुनाव के मद्देनजर फिर शुरु हुआ ‘मुवी वॉर’
राजनीति को चमकाने अब फिल्मों का सहारा
* भारत में भी हो रहा अंतरराष्ट्रीय पैटर्न का प्रयोग
अमरावती /दि.30- विगत 10 वर्षों के दौरान सूचना व तकनीकी तंत्रज्ञान ने भारत में चुनावों और राजनीति का चेहरा-मोहरा एक तरह से बदलकर रख दिया है. अब राजनेताओं की छवि चमकाने तथा चुनाव के समय प्रचार करने हेतु बैज-बिल्लों तथा पोस्टरों व बैनरों का पहले की तरह प्रयोग नहीं होता, लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया पर राजनेताओं के ऑफिशियल पेज बने हुए है. जिनके जरिए राजनेताओं की प्रत्येक गतिविधियों को अपडेट करने के साथ ही उनसे जुडी रील्स को उनके समर्थकों द्वारा धडाधड शेयर करते हुए वायरल किया जाता है. साथ ही साथ इन 10 वर्षों के दौरान अंतरराष्ट्रीय पैटर्न का प्रयोग करते हुए अब ऐतिहासिक घटनाओं सहित राजनेताओं की जीवनी पर आधारित फिल्में बनाकर प्रदर्शित करने का चलन भी जमकर चल पडा है. जिसके जरिए राजनेताओं द्वारा अपनी प्रतिमा को चमकाने के साथ ही विपक्षी नेताओं एवं विपक्षी दलों की प्रतिमा को मलीन करने का भी कथित तौर पर प्रयास किया जाता है.
बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल दौरान ही उनकी बायोग्राफी के तौर पर ‘मोदी’ नामक फिल्म का प्रदर्शन हो चुका है. वहीं इसके उपरान्त म्यांमार बॉर्डर तथा जम्मू कश्मीर उरी सेक्टर में भारतीय सैनिकों पर आतंकियों द्वारा किये गये हमले को लेकर ‘उरी’ नामक फिल्म भी बनाई गई थी. जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ हुई सर्जीकल स्ट्राइक को दिखाते हुए आम नागरिकों में देश प्रेम की भावना जगाने का प्रयास किया गया था. इस फिल्म के साथ ही झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी पर आधारित ‘मणिकर्निका’ नामक फिल्म भी प्रदर्शित की गई थी. इसके बाद तो मानों आतंकवाद और विशेष रुप से पाकिस्तान के खिलाफ विषयवस्तु रहने वाली फिल्मों की बाढ ही आ गई थी. साथ ही साथ बची कुची कसर ओवर द टॉप यानि ओटीटी पर रिलीज होने वाली वेब सिरिजों ने पूरी कर दी. जिनमें हॉलीवुड फिल्मों की तरह भारतीय सेना व पुलिस को चूस्त दुरुस्त व मुस्तैद बताते हुए देश की रक्षा के लिए हमेशा तैयार दिखाने का प्रयास किया जाता रहा. साथ ही इस जरिए मौजूदा सत्ताधारी दल की छवी को चमकाने का भी प्रयास हुआ.
अभी हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फिल्ड मार्शल जनरल सैम मानेक शॉ की जीवनी पर आधारित ‘सैम बहादुर’ नामक फिल्म प्रदर्शित करते हुए एक बार फिर पाकिस्तान व बांग्लादेश के खिलाफ माहौल बनाकर भारतीय जनता को राष्ट्रवाद व देश प्रेम की धारा के साथ जोडने का प्रयास किया गया. साथ ही फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत द्वारा निर्मिति व अभिनीत फिल्म ‘इमर्जेन्सी’ के प्रदर्शन को लेकर माहौल गरमाया रहा. इस फिल्म के जरिए अब भाजपा की सांसद रहने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत ने सन 1975 में कांग्रेस द्वारा देश में लगाये गये आपातकाल के दौरान की स्थितियों को दिखाने का प्रयास किया है. जिसे लेकर अब प्रमुख विपक्षी दल रहने वाली कांग्रेस पार्टी द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि, इस फिल्म के जरिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व कांग्रेस पार्टी की प्रतिमा को जानबूझकर मलीन करने का प्रयास किया जा रहा है.
इन्हीं तमाम स्थितियों के बीच अब महाराष्ट्र में कुछ समय बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्दनेजर कभी ठाणे जिले में शिवसेना का सबसे सशक्त चेहरा रहने वाले शिवसेना के दिवंगत नेता आनंद दिघे की जीवनी पर आधारित फिल्म ‘धर्मवीर-2’ को रिलिज किया गया है. बता दें कि, दिवंगत आनंद दिघे के जीवनी पर आधारित फिल्म ‘धर्मवीर’ इससे पहले ही प्रदर्शित हो चुकी है. वहीं अब इस फिल्म का सिक्वेल यानि दूसरा हिस्सा प्रदर्शित किया गया है. जिसमें शिवसेना नेता आनंद दीघे के साथ ही उनके जीवनकाल के समय से ही उनसे जुडे राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के भी राजनीतिक सफर को दिखाया गया है. इसी तरह मनसे प्रमुख राज ठाकरे को मुख्य विषय वस्तु बनाकर ‘येक नंबर’ नामक मराठी फिल्म भी प्रदर्शन के लिए तैयार है. ऐन चुनावी मुहाने पर इस तरह की फिल्मों के प्रदर्शित होने को देखते हुए साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि, चुनावी लाभ उठाने तथा प्रचार के समय ऐसी फिल्मों की सफलता का फायदा लेने के लिए ही इस तरह का ‘मुवी वॉर’ शुुरु किया गया है. बहरहाल ऐसी फिल्मों का आम नागरिकों व मतदाताओं पर कितना असर पडता है. यह आने वाले चुनाव के बाद ही पता चलेगा.