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श्रीमती प्रभाताई अरुण मराठे का निधन

हजारों नम आंखों ने दी अंतिम बिदाई

अमरावती/दि.29 – दै. हिंदूस्थान के संस्थापक संपादक व स्वाधीनता सेनानी बालासाहब मराठे की बहु तथा संपादक स्व. डॉ. अरुण मराठे की पत्नी श्रीमती प्रभाताई मराठे का कल बुधवार 28 सितंबर की शाम 7.15 बजे देहावसान हो गया. वे 82 वर्ष आयु की थी. पश्चात आज गुरुवार 29 सितंबर को सुबह 11 बजे मराठे परिवार के खापर्डे बगीचा परिसर स्थित निवास स्थान से श्रीमती प्रभाताई मराठे की अंतिम यात्रा निकाली गई और उनके पार्थिव पर बेहद शोकाकुल माहौल के बीच हिंदूस्मशान भूमि मेें अंतिम संस्कार किये गये. इस समय विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्यों ने उपस्थित रहकर दिवंगत प्रभाताई मराठे को श्रद्धांजलि देने के साथ ही मराठे परिवार के प्रति अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की.
विवाह से पूर्व उषा सदाशिवराव महाबल नाम रहने वाली प्रभाताई विवाह पश्चात डॉ. अरुण मराठे की पत्नी के रुप में मराठे परिवार का हिस्सा बनी और प्रभा अरुण मराठे के नामाभिमान के साथ मराठे परिवार में एक रुप हो गई. उन्होंने बहु की तरह नहीं बल्कि एक बेटी की तरह अपने ससुर बालासाहब मराठे के व्यापक सामाजिक व पत्रकारिय व्यस्तता के बीच उनका ध्यान रखा. साथ ही अपने देवर स्व. अविनाश मराठे, दै. हिंदूस्थान के संपादक उल्हास मराठे, हव्याप्रम अभियांत्रिकी महाविद्याल के पूर्व प्राचार्य डॉ. अनंत मराठे, ननद श्रीमती सुमेधा फलके व सौ. मंगला फलके सहित देवरानी श्रीमती संध्या अविनाश मराठे, सौ. ज्योति उल्हास मराठे एवं सौ. नीना अनंत मराठे को अपने ममत्व की छाव दी. इसके साथ ही अपने पति व दै. हिंदूस्थान के दिवंगत संस्थापक डॉ. अरुण मराठे के साथ वे कर्तव्यनिष्ठ व प्रेमपूर्ण साये की तरह रही. समुचे राज्य के संपादक वरिष्ठ पत्रकार साहित्यिक सर्वपक्षीय राजनीतिक नेता विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज व सरकारी अधिकारियों सहित सर्वसामान्य नागरिकों का दै. हिंदूस्थान व मराठे परिवार में आना जाना था. अपने यहां पर आये हर एक व्यक्ति का एक समान स्नेह व आदर के साथ आवभगत करने की परंपरा को प्रभाताई मराठे ने आखरी तक निभाया. अपने यहां आने वाले प्रेत्येक व्यक्ति को मराठे परिवार बेहद अपना लगने लगे. इतना प्यार व स्नेह प्रभाताई मराठे ने अपने यहां आने वाले हर एक व्यक्ति को दिया. साथ ही कई परिवारों को सिद्ध हस्त आधार देते समय उन्होंने इसकी कभी चर्चा नहीं की और अपने दरवाजे से कभी किसी को खाली हाथ नहीं जाने दिया.
मराठे परिवार के लोकसंग्रह को जोडे रखने और उसे बढाने में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही. दै. हिंदूस्थान से जुडे सभी वितरकों, विक्रेताओं, संवाददाताओं तथा दै. हिंदूस्थान कार्यालय के कर्मचारी उन्हें ‘आई’ (मां) कहकर ही संबोधित करते थे. उत्तुंग व्यक्ति रहने वाले अपने ससुर स्व. बालासाहब मराठे व पति स्व. डॉ. अरुण मराठे से प्राप्त सामाजिक, सांस्कृतिक व सेवाभावी विरासत को श्रीमती प्रभाताई मराठे ने अंतिम सांस तक निभाया. तपोवन स्थित विदर्भ महारोगी सेवा मंडल के कई महिला संगठनों व सामाजिक संगठनों के साथ उनके नजदीकी संबंध रहे. साथ ही दै. हिंदूस्थान की अमृत महोत्सवी यात्रा में उनका योगदान व मार्गदर्शन काफी अनमोल था और दै. हिंदूस्थान को उनके विचारों का अध्यात्मिक आधार प्राप्त था.
श्रीमती प्रभाताई मराठे अपने पश्चात 4 पुत्र डॉ. प्रमोद, विनोद, विलास व विवेक, पुत्री मंजिता मोडक, दामाद प्रशांतराव मोडक, बहु सारिका, मनिषा, वेदश्री व डॉ. वृंदा, नाती-पोते सृश्रृत, निशांत, निकिता, स्वप्नजा, साहिल, ओमकार, सर्वेश, मैथिली व मिताली सहित भरा पूरा परिवार शोकाकुल छोड गई है. श्रीमती प्रभाताई मराठे के निधन की खबर प्राप्त होते ही राजनीतिक, सामाजिक, पत्रकारिता, शैक्षणिक, वैद्यकीय व उद्योग क्षेत्रों के अनेकों गणमान्यों ने मराठे परिवार के निवास स्थान पर उपस्थित होकर श्रीमती प्रभाताई मराठे के अंतिम दर्शन किये. साथ ही मराठे परिवार के लिए अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की. आज सुबह श्रीमती प्रभाताई मराठे की अंतिम यात्रा खापर्डे बगीचा परिसर स्थित मराठे परिवार के आवास से निकाली गई और उनके पार्थिक को कुछ समय के लिए खापर्डे बगीचा परिसर स्थित दै. हिंदूस्थान कार्यालय के समक्ष अंत्यदर्शन हेतु रखा गया. पश्चात हिंदू मोक्षधाम में उनके पार्थिव पर बेहद शोकाकुल वातावरण के बीच अंतिम संस्कार किये गये. जहां पर हजारों नम आंखों ने श्रीमती प्रभाताई मराठे को अंतिम बिदाई दी.

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