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मुलायम की घोषणा हवाहवाई, यूपी में पग-पग पर मिली कारसेवकों को आवभगत

प्राणप्रतिष्ठा पर व्यक्त किया हर्ष, मनाएंगे जोरदार उत्सव

* अमरावती के कारसेवकों के अनुभव
अमरावती/दि. 26- 1990 की कारसेवा के लिए देशभर से रामभक्त अयोध्या कूच कर रहे थे. तब यूपी के सीएम मुलायमसिंह यादव ने परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा, ऐसी सुरक्षा व्यवस्था का दावा किया था. उनकी सुरक्षा व्यवस्था को चकमा देते हुए कारसेवक विवादित ढांचे के पास पहुंच गए थे. उस पर चढकर भगवा ध्वज भी लहरा दिया था. यह जानकारी कारसेवा में अत्यंत युवावस्था में सहभागी और आज गर्वित, हर्षित राजा खारकर ने दी. खारकर ने बताया कि मुलायम सरकार भले ही कारसेवा और कारसेवकों के खिलाफ थी. किंतु उन्हें तो यह अनुभव आया कि यूपी में लोग जगह-जगह कारसेवकों की न केवल सहायता कर रहे थे, बल्कि उनकी अगवानी और आवभगत की होड लगी थी. उन्हें अयोध्या पहुंचने के सीधे, सरल और निकटतम मार्ग बताए जा रहे थे. कई तो साथ चलकर मार्ग बताने का दावा राजा खारकर ने अमरावती मंडल से बातचीत में किया.
* दोनों समय गए थे कार्यकर्ता
परकोटे के भीतर रहनेवाले अनेक कार्यकर्ता आज अयोध्या में अगले माह होने जा रही रामलला की प्राणप्रतिष्ठा से इसलिए भी अधिक उत्साहित और हर्षित है कि इनमें से अधिकांश ने कारसेवक के रुप में आज से 33 बरस पहले 1990 और 1992 की कारसेवा में सहभाग किया था. राजा खारकर तो 16-17 साल की आयु में अपने से थोडे बडे-छोटे साथियों संग 1990 की पहली कारसेवा में भाग लेने के लिए निकल पडे थे. अमरावती मंडल से बातचीत दौरान उन्होंने बताया कि राजू महाजन उर्फ मिठ्ठू, रवि भुयार, गजानन खारकर, ज्ञानेश्वर करुले, सोमेश्वर वाहिरे, श्याम सावलकर, चंद्रकांत गावंडे, मनोज पवार, संजय आदि के साथ वे निकल पडे थे. इस चर्चा दौरान सुरेंद्र बुरंगे, चंद्रकांत गावंडे, अभय बपोरिकर, सौ. योगिता राजा खारकर भी उपस्थित थी.
* प्रतापसिंह व्दारा प्रबंध
खारकर ने बताया कि रेलवे के टीसी ने गंगा किनारे जंगल में ट्रेन की चेन खिचकर उतार दिया. यह हमारे लिए सेफ था. इनायत सराय नाम का स्थान था, जहां प्रतापसिंह ठाकुर ने सभी के लिए भोजन आदि का प्रबंध कर रखा था. ठाकुर अपने क्षेत्र के दबंग व्यक्तित्व और उतने ही प्रबल रामभक्त रहे. उन्होंने कई दिनों तक कारसेवकों के लिए सवेरे की चाय से लेकर नाश्ता, दोपहर का खाना आदि उपलब्ध कर रखा था. प्रतापगढ से बाहर निकलने पर 100 कारसेवक एकसाथ ठहर सके ऐसा भी इंतजाम एक जगह था. ठंड बहुत थी. महाराष्ट्र, गुजरात, केरल के कारसेवकों को पैदल काफी चलना पडा. जिसकी उन्हें आदत न थी. अत: पैरों की मालिश करने वाले भी उपलब्ध कर रखे थे. इतनी सेवा चाकरी वहां के लोगों ने की. जिससे कई बार भावनाएं उबाल पर आ जाती.
* रेडियो से पता चला
खारकर एवं साथियों ने बताया कि रेडियो की खबर से पता चला कि कारसेवा हो न सकी तथापि 15-20 कारसेवक गुंबद पर चढ गए थे. मणिराम छावनी में आगे जाने से पहले गमछे, दुपट्टे दिए गए. कारसेवकों को बताया गया कि आंसू गैस के गोले छोडे जाएंगे. अत: वे अपने गमछे गीले कर लें. गीले गमछों के कारण उन्हें आंसू गैस की परेशानी कम हो जाएगी. सीएम यादव की बार-बार घोषणा के बाद भी कारसेवकों का जोश कम नहीं हो रहा था, बल्कि सामान्य पुलिस कर्मी भी उनकी मदद कर रहे थे.
* लोगों ने गैलरी से डाला पानी
अयोध्या के नजदीक पहुंचने पर कारसेवकों के जत्थे रोकने आंसू गैस के गोले छोडे गए. तो आम लोगों ने अपने घरों की गैलरी से पानी बरसाकर धुएं का प्रभाव कम किया. हर हर महादेव, जय श्रीराम के नारे लगाकर जोश बढाया. पुलिस हाथ में डंडे रहने पर भी वार नहीं कर रही थी. किंतु उस वक्त तक खबर मिली कि गोलीबार हुआ है. कुछ कारसेवक हताहत हुए हैं. यह सुनते ही कारसेवक सहम गए. सामने गडबड होने की जानकारी स्थानीय लोगों ने ही देशभर से आए कारसेवकों को दी. जिससे वे रुक गए.
* 15 शव लाए गए छावनी
कारसेवकों ने बताया कि मणिराम छावनी क्षेत्र में 15 शव लाए गए थे. उसी दौरान हममें से मिठ्ठू महाजन बिछड गया. उसे खोजने में हम सभी लगे. उधर लगातार खबरे या कह लीजिए अफवाहें उफान पर थी. शरयू में काफी लाशे बहाए जाने की चर्चा थी. वातावरा खतरनाक हो गया था. युवाओं में जोश कायम था. किंतु 2 नवंबर को पूरी अयोध्या खाली करा ली गई. फैजाबाद स्टेशन हमें छोडा गया. जहां से ट्रेन से हम सभी लौटे.
* अमरावती में जगह-जगह स्वागत
अमरावती लौटे कारसेवकों का बडनेरा से लेकर राजकमल तक और गली-मोहल्लों में भी स्वागत किया गया. खारकर ने बताया कि उस समय थोडा लडकपन था. किंतु आज उन क्षणों को स्मरण कर गर्व की अनुभूति होती है. भाषा की कोई दिक्कत कभी नहीं हुई. हिंदी लगभग सभी को आती थी. जिससे काम चल जाता. 8 दिनों तक पैदल चले कच्चे रास्ते थे. रामपुर, अमेठी, सुलतानपुर सभी भागों से गुजरे. (शेष अगले अंक में)

* कल पढें, गर्भवती पत्नी को अस्पताल में भर्ती कर अयोध्या कूच के बारे में.

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