हमालपुरा के चांडक टॉवर इमारत हिलने के बाद मनपा प्रशासन नींद से जागा
शहर की हजारों इमारतों के पास कम्प्लीशन प्रमाणपत्र नहीं
* बिल्डर व नेताओं के दबाव में कर रही मनपा काम
* अनेक क्षेत्रों में अवैध निर्माण के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं
अमरावती/दि.8– शहर के हमालपुरा स्थित चार मंजिला चांडक टॉवर की इमारत के पिलर में क्रेक आने के बाद उसे मनपा व्दारा तत्काल खाली करवाकर सील कर दिया गया. इमारत के संचालक व्दारा अब तक कम्प्लीशन सर्टिफिकेट मनपा से प्राप्त न करने की जानकारी मनपा आयुक्त देवीदास पवार के ध्यान में आते ही उन्होंने शहर के ऐसे कितनी इमारतों के संचालकों ने कम्प्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं किए है. इस बाबत नगररचना विभाग के सहायक संचालक से विस्तृत जानकारी मांगी है. सोमवार तक उन्हें यह जानकारी प्रस्तुत करने कहा गया है. इस घटना से एक बात ध्यान में आई है कि मनपा प्रशान नेताओं और बिल्डरों के दबाव में अपना काम कर रहा है. शहर के अनेक अवैध निर्माण होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
चांडक टॉवर चार मंजिला इमारत के पिलर में क्रेक आने के बाद प्राथमिक जांच में यह भी पता चला कि, शहर में वर्ष 2018 से अब तक लगभग 2200 से अधिक इमारतों को कम्प्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं हुए हैं. सबसे ज्यादा कम्प्लीशन सर्टिफिकेट के बिना अनुमति दिये जाने का मामला पूर्व मनपा आयुक्त संजय निपाणे के कार्यकाल में होने का दावा भी किया गया है. मनपा के एक सदस्य द्वारा मांगी गयी जानकारी में यह खुलासा सामने आया है. सूत्रों ने बताया कि, वर्ष 2018 से 2200 से अधिक शहर के प्रमुख व्यापारी संकुल और कुछ इमारतों को कम्प्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं है. फिर भी कुछ राजनीतिक दल के नेता एवं प्रमुख बिल्डरों के खातिरदारी तथा नेताओं के दबावतंत्र मे आकर प्रशासन ने यह फैसला लिया था. अब भी कुछ व्यापारी संकुल में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है. इसके बावजूद किसी भी संकुल पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
* गुढेवार के कार्यकाल के बाद नहीं हुई कार्रवाई
गौरतलब है कि मनपा के पूर्व आयुक्त चंद्रकांत गुढेवार ने अपने कार्यकाल के दौरान शहर के तमाम इमारत, व्यापारी संकुल, फ्लैट स्कीम व अन्य मार्केटों की जानकारी मांगकर इन सभी के संबंधितों को सख्त निर्देश देकर पार्किंग की व्यवस्था करने के आदेश जारी किये थे. जिनमें से कुछ व्यापारियों ने अनदेखा करने पर गुढेवार ने उन व्यापारियों के होटलों पर बुलडोजर तक की कार्रवाई कर डाली थी. मगर उनका तबादला हो जाने के बाद यह मामला फिर से मनपा की फाइलों तक ही सीमित रह गया. बताया जाता है कि, शहर में कुछ प्रमुख इलाकों में आज भी ऐसे निर्माण कार्य किये गये हैं, जो कि सरकारी कागजातों पर अवैध तक घोषित कर दिये गये हैं. किंतु उसे अब तक नेताओं के दबावतंत्र के चलते जमींदोज करने में मनपा हिचकिचा रही है.