अमरावतीमहाराष्ट्र

मनपा, जि.प. चुनाव लोकसभा के बाद पूर्व पार्षद सहित इच्छुको में निराशा

अमरावती /दि.31– लोकसभा चुनाव की प्रशासकीय तैयारी की शुरुआत हो गई है. लेकिन विविध कारणो से मनपा और जिला परिषद, पंचायत समिति के चुनाव देरी से होने वाले है. यह चुनाव अब लोकसभा चुनाव के बाद ही होगे, ऐसा अब स्पष्ट हो गया है. इस कारण इच्छुको में निराशा दिखाई दे रही है.
अमरावती मनपा पर 8 मार्च 2022 तथा जिला परिषद पर 21 मार्च 2022 से प्रशासक राज है. प्रशासकीय राज को कुछ ही दिनों में दो वर्ष पूर्ण होनेवाले है. मनपा की प्रभाग रचना का विवाद न्यायप्रविष्ट है. प्रभाग रचना, आरक्षण और मतदाता सूची अंतिम करने के लिए कम से कम तीन माह लगने वाले है. दुसरी तरफ लोकसभा चुनाव अप्रैल 2024 तथा विधानसभा चुनाव अक्तूबर में होने की संभावना है. लेकिन अब तक मनपा, जिला परिषद चुनाव की गतिविधियां दिखाई नहीं दे रही है. मतदाता सूची की प्रक्रिया पूर्ण करने की दृष्टि से चुनाव आयोग ने 1 जुलाई 2023 तारीख अंतिम निश्चित कर मतदाता सूची तैयार करने के निर्देश दिए रहने से मनपा चुनाव का बिगुल दिवाली में बजेगा ऐसा कहा जा रहा था.

लोकसभा, विधानसभा चुनाव के पूर्व मतदाताओं का रुझान जानने के लिए ‘लिटमस टेस्ट’ के रुप में स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव की तरफ देखा जा रहा है. 2011 के बजाय वर्तमान आबादी के आधार पर जिला परिषद व पंचायत समिति के सर्कल व वॉर्ड की रचना के बदलाव को शिंदे-फडणवीस सरकार ने अदालत में चुनौती दी है. यह मामला अभी तक हल नहीं हो पाया है. न्यायालय की सुनवाई न होने से यह चुनाव अब लोकसभा चुनाव के बाद ही होगे ऐसा लगभग स्पष्ट हो गया है. मनपा चुनाव देरी से होने के कारण पूर्व पार्षदो सहित इच्छुको में निराशा है. शहर में सफाई का अभाव, संपत्ति कर वृद्धि का मुद्दा अधर में है. संपत्ति कर के मुद्दे पर अब तक हल नहीं निकला है. इस कारण पिछले 5 वर्ष सत्ता में रहे पूर्व पार्षदो की दुविधा हो गई है. इच्छुक नगरसेवको को पूर्व तैयारी के रुप में किया गया खर्च पानी में जाने की चिंता उन्हें लगी है.

* काम पर मर्यादा
पिछले समय निर्वाचित हुए जिला परिषद सदस्यों के पास पद न रहने से जनता के काम करने पर भी मर्यादा आ रही है. तैयारी हो गई लेकिन चुनाव ही न होने से अब पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं में बेचैनी बढने लगी है. पदाधिकारियों को प्रशासकीय स्तर पर अधिकारियों से काम करवा लेना कठिन हो गया है. प्रशासक रहने से पदाधिकारी-कार्यकर्ताओं को मर्यादा है. वहीं दुसरी तरफ अधिकारी अब पदाधिकारियों को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे है.

* इन कारणो से चुनाव लंबित
प्रभाग रचना, प्रभागनिहाय आरक्षण और अंतिम मतदाता सूची घोषित करना आदि चुनाव के पूर्व के तीन चरण पूर्ण करने में कम से कम ढाई से साढे तीन माह लगनेवाले है. तब तक लोकसभा चुनाव की शुरुआत हो जाएगी, इस पृष्ठभूमि पर स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव लोकसभा ही नहीं बल्कि विधानसभा चुनाव के बाद ही होने की संभावना वरिष्ट सूत्रो ने व्यक्त की है.

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